मंगलवार, 19 नवंबर 2019

नगर परिषद चुनाव / बाड़मेर में लगातार तीसरी बार कांग्रेस का बोर्ड, भाजपा नहीं भेद पाई मेवाराम जैन की किलाबंदी

नगर परिषद चुनाव / बाड़मेर में लगातार तीसरी बार कांग्रेस का बोर्ड, भाजपा नहीं भेद पाई मेवाराम जैन की किलाबंदी


बाड़मेर नगर परिषद चुनाव में लगातार तीसरी बार कांग्रेस का बोर्ड बनेगा। बाड़मेर शहर की स्थानीय सरकार बनाने में कांग्रेस ने हैट्रिक लगा दी है। नगर परिषद के 55 वार्ड के मंगलवार को घोषित नतीजों में कांग्रेस ने 32 स्थान पर जीत हासिल कर बहुमत प्राप्त कर लिया है। कांग्रेस से बोर्ड छिनने का भरसक प्रयास करने के बावजूद भाजपा के प्रत्याशी 18 सीट पर ही चुनाव जीत पाए। जबकि पांच स्थान पर निर्दलीय ने जीत हासिल की।कुल 55 वार्ड में से 32 पर कांग्रेस व 18 पर भाजपा,


 बालोतरा नगरपरिषद में भाजपा का बोर्ड बनेगा। 45 वार्डो में 25 पर भाजपा ने जमाया कब्जा जबकि 16 वार्ड पर सिमटी कांग्रेस। 4 सीट पर जमाया निर्दलीयों ने कब्जा।

 नगर परिषद बाड़मेर पर दस सालों से कांग्रेस का कब्जा है। यहां विधायक से लेकर, प्रधान, प्रमुख तक कांग्रेस है। इस बार भी चुनाव की पूरी कमान बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ने संभाल रखी थी। विधायक ने सरपंच से राजनीति की शुरुआत की और बाड़मेर चेयरमैन बने। इसके बाद तीसरी बार बाड़मेर से विधायक हैं।

नगर परिषद बोर्ड बनाने को लेकर कांग्रेस पूरी तरह से आश्वस्त थी कि उनका ही बोर्ड बनेगा। इसी वजह से कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की बाड़ाबंदी नहीं की। कुछ नए प्रत्याशियों को शहर में पार्टी के लोगों की निगरानी में सुरक्षित स्थान पर रखा गया। सोमवार को कांग्रेस के अधिकतर प्रत्याशी घरों में ही रोजमर्रा के काम में व्यस्त नजर आए। चुनावी भागदौड़ के बाद महिलाएं जहां घरों में काम करती नजर आईं, वहीं पुरुष भी चुनावी दौड़ की नींद पूरी करते दिखे।

पुष्कर में भाजपा के प्रत्याशियों की बाड़ाबंदी

भाजपा ने खुद के प्रत्याशियों को बचाने के लिए बाड़मेर से 450 किमी दूर बाड़ाबंदी कर रखी थी। भाजपा को डर था कि कहीं कांग्रेस उन्हीं के प्रत्याशियों को खरीद-फरोख्त न करे। इसके लिए एक दिन पूर्व सालासर बालाजी दर्शन करने के बाद सोमवार रात को पुष्कर अजमेर में प्रत्याशियों को होटल में रखा गया था। नतीजों के बाद उन्हें बाड़मेर के लिए लाया गया।
भाजपा की कमान केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने संभाल रखी थी। चुनावी रणनीति तैयार की और लगातार प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार किया। यूआईटी की पूर्व चेयरपर्सन डॉ. प्रियंका चौधरी, जिलाध्यक्ष दिलीप पालीवाल समेत अन्य नेता भी सक्रिय रहे। लेकिन वे मेवाराम जैन की किलाबंदी को तोड़ नहीं पाए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें