देखे फोटो *थार की राजनीति शख्शियत गाज़ी फकीर*
*सरहद की राजनीति का आज भी सुल्तान है गाज़ी फकीर*
*चार लाख से अधिक मुस्लिम मतों पर सीधी पकड़,*
*बाड़मेर न्यूज ट्रैक*
सरहदी जिलों बाड़मेर, जैसलमेर के सिन्धी मुस्लिमों के धर्मगुरु के रूप में ख्याति प्राप्त अस्सी वर्षीय गाजी फ़क़ीर सरहदी जिलों की राजनीति के सुल्तान हैं। पूरे सरहदी क्षेत्र की राजनीति उनके रहमो करम पर चलती है, खासकर कांग्रेस की राजनीति में गाजी फ़क़ीर परिवार के बिना कोई। एक तरह से कांग्रेस का रहनुमा हें गाजी फ़क़ीर। जैसलमेर से बीस किलोमीटर दूर भागु का गाँव गाजी फ़क़ीर की राजधानी है। उनके रहबरों ने उन्हें गाजी की पदवी दे राखी हें। सिन्धी मुसलमान उनके आदेश के बगैर कदम नहीं भरते।
जब जब गाज़ी फकीर कांग्रेस से नाराज हुए कांग्रेस को मात खानी पड़ी।।चुनाव में टिकट वितरण भी फकीर की मर्जी से चलता था।उनकी मर्जी के खिलाफ किसी को टिकट दे दिया तो उसे हारना पड़ा।।
*राजनीति में फकीर की पकड़*
गाजी फ़क़ीर सरहदी क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय हैं। उनका एक पुत्र पोकरण से पूर्व विधायक है तो दूसरा जैसलमेर पूर्व जिला प्रमुख राह चुके है। उनका भाई फतेह मोहम्मद भी जिला प्रमुख रहे है।।उनके परिवार से आधा दर्जन लोग जिला परिषद् और पंचायत समितियों के सदस्य भी हैं।अमरदीन फकीर फिल वक़्त जेसलमेर पंचायत समिति के प्रधान है।।तो साले मोहम्मद को इस बार चुनाव कैम्पियन का संयोजक बनाया गया है। सरहदी इलाके के इन दो जिलों में कांग्रेस की राजनीति गाजी फकीर से शुरू होकर उन्हीं के परिवार पर खत्म हो जाती है।
*गाज़ी फ़क़ीर चार जिलों में प्रभावी ,सिंध के पीर पगारो के अनुयाई हे*
धर्मगुरु गाज़ी फ़क़ीर अल्पसंख्यक मुस्लिम वर्ग के धर्मगुरु हे ,पाकिस्तान के पीर पागारो सबगतुल्लाह और उनके वालिद से उनके बेहतरीन , गाज़ी फ़क़ीर अपना फ़तवा किसी उम्मीदवार के पक्ष में तब तक नहीं देते जब तक पीर जो गाथ के पगारो की सहमति नहीं आती ,चुनावो में पीर पगारो की समर्थन चिट्ठी हमेशा चर्चा में रही हे ,सरहदी इलाको में उनकी राजनितिक और सामाजिक क्षेत्र में तूती बोलती हे ,सामाजिक पर्वो के समय हर छोटा बड़ा नेता किसी भी दल का हो उनकी चौखट चूमने जरूर पहुंचता हैं,गाज़ी फकीर क्षेत्र की सियासत की डोर अपने हाथ में रखे हे,कांग्रेस में उनकी मर्जी के बिना पत्ता नहीं हिलता ,जब जब कांग्रेस उनकी मर्जी के खिलाफ गयी तब तब कांग्रेस को रुखसत होना पड़ा ,१९६२ के चुनावो से फ़क़ीर की कांग्रेस में दखल शुरू हुई जो आज तक चल रही ,कांग्रेस हुकुम सिंह और स्वतंत्र पार्टी से भोपाल सिंह के बीच मुकाबल में हुकुम सिंह को जितने में भूमिका निभाई तो अगले चुनावो में कांग्रेस को मजबूती प्रदान करते रहे क्षेत्र में राजपूत मुस्लिम मेघवाल का गठबंधन बन गया ,1985 में गाज़ी फ़क़ीर ने अपने भाई फ़तेह मोहम्मद के लिए टिकट मांगी कांग्रेस ने टिकट भोपाल सिंह भाटी को दी तो गाज़ी फ़क़ीर ने बगावत कर मेघवाल समाज के मुल्तानाराम को मैदान में उतार दिया मुस्लिम मेघवाल गठबंधन गाज़ी फ़क़ीर की रहनुमाई में जीत गया ,यही से फ़क़ीर परिवार का वर्चस्व जैसलमेर की राजनीती में बढ़ने लगा ,अगले मध्यावधि चुनावो 1993 में कांग्रेस ने राजपरिवार के जीतेन्द्र सिंह को टिकट दिया तो गाज़ी फकीर ने विद्रोह कर छोटे फ़क़ीर फ़तेह मोहम्मद को निर्दलीय चुनाव में उतार दिया क्षेत्र में पहली बार हिन्दू मुस्लिम के नारे लगे कमज़ोर स्थति में आये कांग्रेस के जीतेन्द्र सिंह ने भाजपा के गुलाब सिंह को समर्थन दे दिया जिसके भाजपा मजबूत हो गई ,गाज़ी फकीर के भाई फ़तेह मोहम्मद को त्यालीस हज़ार वोट मिले ,गाज़ी फ़क़ीर ने अपनी मुस्लिम मतदाताओं पर पकड़ एक बार फिर साबित की ,अगले चुनावो में भाजपा ने जीतेन्द्र सिंह को मैदान में उतर दिया कांग्रेस ने गोवर्धन कल्ला को टिकट दिया फ़क़ीर ने कल्ला के साथ रहकर जीता कर जीतेन्द्र सिंह को बुरीतरह से हरा दिया,गोरधन कल्ला विधायक बने। फतेह मोहम्मद लगातार जिला प्रमुख रहे ,फ़तेह मोहम्मद के बाद साले मोहम्मद और अब्दुलाह फ़क़ीर जिला प्रमुख रहे ,छोटे पंचायत और जिला परिषद चुनावो में फ़क़ीर परिवार आज भी प्रभावी हे ,बहार हल गाज़ी फ़क़ीर आज भी बाड़मेर जैसलमेर पोकरण ,और बीकानेर फलोदी तक प्रभावी हैं,इसलिये इन्हे सरहद का सुल्तान कहा जाता हैं ,
गाजी फकीर का राजनीतिक रसूख कितना अधिक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर चुनाव से पहले इलाके के उनके समर्पित अनुयाई उनके फतवे का इंतजार करते हैं। गाजी फकीर का दावा है कि उन्हें सरहद पार से संदेश आता है जिसके बाद ही वे फतवा जारी करते हैं। उनके समर्थक गाजी के फतवे के अनुरूप ही किसी पार्टी के पक्ष में एकमुश्त मत डालते हें। गाजी फकीर की यही राजनीतिक ताकत उनके दुश्मन भी पैदा कर चुकी है।
गत विधानसभा चुनावों से पूर्व में एक गुट ने गाजी फकीर की ताकत को खत्म करने की कोशिश शुरू की है, और समझा जा रहा है कि गाजी फकीर की बंद पड़ी हिस्ट्रीशीट खोलना भी उसी कोशिश का हिस्सा है। नहीं तो इलाके में रहनेवाले लोग जानते हैं कि नेता ही नहीं अधिकारी भी गाजी के दर पर सलाम बजाने पहुंचते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सरहदी इलाके के पांच लाख सिन्धी मुसलमानों के मन पर गाजी की सल्तनत चलती है।
पुलिस अधीक्षक पंकज चौधरी ने यह आरोप लगाते हुए उनकी हिस्ट्रीशीट खोली की गाजी फ़क़ीर राष्ट्रविरोधी गतिविधिओं में शामिल रहे हें .उनके पाकिस्तान के तस्करों के साथ तालुकात रहे हें . उनकी हिस्ट्रीशीट खोलने के आदेश उच्च अधिकारियो द्वारा ही दिए गए थे . बावजूद इसके गाज़ी फकीर के खिलाफ कोई सबूत नही मिले।।जो मुकदमे फकीर के खिलाफ थे उनमें एफ आर लगी तो कईयों में आरोप मुक्त भी हुए।।
*।।गाजी फ़क़ीर धर्मगुरु हें ।।*
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर श्रीमती सोनिया गाँधी तक उनके रसूखात हें .कांग्रेस के साथ साथ उनकी चौखट पर भाजपा के नेता भी जाते रहे हें .तत्कालीन पंकज चौधरी ने गाजी फ़क़ीर की आज़ादी के बाद सरहद पर निर्विवाद चली आरही सल्तनत को चुनौती दे डाली .जिसके बाद से पंकज चौधरी प्रशासनिक अमले में कहां है कहने की जरूरत नही।।
*धर्म गुरु गाजी फ़क़ीर के राजनितिक रसूख किसी राष्ट्राध्यक्ष से कम नहीं हें*.
or aapne ak yah baat nhilikhi ki Gaji fakir ko jaisalmer bhopal singh bhati badoda gav ne bataya or rajniti me vo hi laye
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