बाड़मेर। बहुचर्चित टांका घोटाला प्रकरण- 22 साल बाद भी एसीबी 11 चालान पेश नही कर पाई , आखिर किसके दबाव में चालान पेंडिंग
बाड़मेर 33 साल साल पुराने बाड़मेर के बहुचर्चित टांका घोटाला प्रकरण में 22 साल बाद भी जांच पूरी नहीं हो पाई है। ब्यूरो ने अब तक 27 चालान पेश किए जबकि 11 चालान अभी तक पेंडिंग पड़े है। इन बकाया चालान ने रसूखदार जन प्रतिनिधी शामिल है।।
सूत्रों की माने तो रसूखदार जन प्रतिनिधि की चालान फ़ाइल ही तत्कालीन राज्य गृह मंत्री ने गायब करवा इन्हें बचा लिया। मगर अब चुनावी साल में इन फाइलों से धूल की जमा परते शीघ्र हटने के संकेत है।।सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार जल्द बकाया चालान पेश करने जा रही है।
वर्ष 1987 में बाड़मेर के शिव तहसील क्षेत्र में 2994 टांकाें के निर्माण के नाम पर घोटाला कर करोड़ों रुपए का गबन कर लिया था। इसके बाद शिकायतें हुई और वर्ष 1996 में पूरे मामले की जांच एसीबी को सौंप दी गई। एसीबी ने 38 मुकदमे दर्ज कर लिए, लेकिन जांच पूरी नहीं हुई है। एसीबी ने हाल ही में 30 मार्च 16 के बाद एक भी चालान न्यायालय में पेश नही किया है। इस समेत अब तक एसीबी ने 27 में चालान पेश किया है, जबकि 11 में चालान शेष है। मामले में कई रसूखदार आरोपियों ने राजनीतिक दबाव डलवाकर इस जांच प्रक्रिया की गति धीमी कर दी है। घोटाले के कई आरोपी अधिकारी कर्मचारी सेवानिवृत हो चुके हैं। कइयों की मृत्यु हो गई है। यहां तक कि एक आरोपी तो भारत छोड़कर पाकिस्तान चला गया है।
वर्ष 1987 में शिव तहसील क्षेत्र के 2994 टांकों का बिना निर्माण किए भुगतान उठा कर गबन कर लिया गया। उस समय यह राशि 150 लाख रुपए थी। एसीबी ने कुल 101 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए वर्ष 1996 में 38 प्रकरण दर्ज किए थे। इनकी जांच आज दिन तक चल रही है। 38 में से 27 प्रकरण में चालान पेश किए जा चुके है, जबकि 11 प्रकरण की जांच भी अब तक शेष है। 1987 में शिव तहसील क्षेत्र में कुल 10420 सार्वजनिक टांकों की स्वीकृतियां जारी की गई। इनमें 2994 टांकों का कागजों में निर्माण दर्शाकर गबन किया था।
जांच जुटाने के लिए मशक्कत
1996में टांका घोटाला प्रकरण दर्ज हुआ था। इसमें जांच सबूत जुटाने के लिए एसीबी को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। रजिस्टर कागजात पानी से खराब होने के कारण एसीबी ने लेमीनेशन भी करवाया है। अब तक 27 चालान पेश किए जा चुके है।
..ऐसे तो 20 साल और लग जाएंगे
जांचको देखा जाए तो इस प्रकरण में 20 साल तक का समय और लग जाएगा। अब तक एसीबी ने 38 मुकदमों में केवल 27 चालान ही पेश किए है। अब तक किसी को सजा होना तो दूर, सभी के खिलाफ चालान भी पेश नहीं हुए है।
आधे सेवानिवृत,कुछ भगवान को प्यारे
टांकाघोटाला प्रकरण में दोषी अधिकारी कार्मिकों में आधे के करीब तो सेवानिवृत हो गए है। वहीं कुछ की मौत हो जाने से उनके नाम भी प्रकरण से हटा दिए गए है।
जानिए यह है बहुचर्चित टांका घोटाला
वर्ष1987-88 में बाड़मेर जिले के शिव तहसील क्षेत्र अकाल राहत कार्याे के अंतर्गत 10420 टांके स्वीकृत हुए थे। इनमें 2994 टांकों का निर्माण नहीं होने के बावजूद भी अधिकारियों कार्मिकों ने मिलीभगत कर भुगतान उठा लिया गया। 1 अक्टूबर 1996 को विशिष्ट शासन सचिव सहायता के निर्देश पर तत्कालीन कलेक्टर संजय दीक्षित ने पूरे मामले की जांच एसीबी को सौंपी थी। इसमें टांकों के गबन का मामला उजागर हुआ। करीब 300 लोगों को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ 38 मुकदमे दर्ज करवाए गए। इस प्रकरण में विकास अधिकारी, ग्रामसेवक, पटवारी, सरपंच, पूर्व सरपंच सहित कई कार्मिकों जन प्रतिनिधियों को दोषी ठहराया गया है।
कब कितने चालान पेश
वर्ष - चालान
2012 - 2
2013 - 9
2014 - 6
2015 - 1
2016 - 8
कुल - 27
266 आरोपियों के खिलाफ दर्ज है 38 मुकदमे
टांकाघोटाला प्रकरण में एसीबी की जांच में 266 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है। इनके खिलाफ 1996 में 38 मुकदमे दर्ज किए गए। इनमें तत्कालीन विकास अधिकारी शिव मोहनलाल विश्नोई, सीताराम, मुबीन खां, अंबाराम, बलवंत सिंह, रोशन खां, हैदरअली, पदमाराम, आलम खां, हसन खां, लक्ष्मणसिंह, मेहरदीन , रेवती दान, समे खां, दुर्जनसिंह, खंगाराम, भंवरदान, गेनसिंह, मुकनाराम, राजाराम, भूरा राम, गुमानसिंह, उदाराम, मेवाराम,आसूलाल, सूर्यप्रकाश, जोरसिंह, भारतसिंह, गिरीशचंद्र, ईमाम खां, गेमरसिंह, गोरखाराम,कांभूराम, मुकाराम, मोडाराम, धुड़ाराम, भभूतसिंह, मुराददान, हुकमसिंह, किशोरसिंह, इंद्रसिंह, फतेहसिंह, टीकमाराम, बाबूलाल, केशाराम, जगदीशप्रसाद, भीखसिंह, बख्ताराम, अमृतलाल, बारथाराम, डूंगराराम, शोभसिंह, दुर्गाराम, बीसाराम, रुघसिंह, सवाईसिंह, कमाल खां, मोहम्मद रहीम, भक्तिराम, गणपतसिंह, बोहरीदास, एसबी राव, तालेबरसिंह, जालमसिंह, भीयल खां, चंदनसिंह, जयराम, गुलाबसिंह, खेतसिंह, गेमराराम, भीखाराम, शोभाराम, उकाराम, रासाराम, जुगतसिंह, जगतसिंह, गुलामाराम, चनणा, खीमदान, हरीसिंह, दुर्गादान, आईदानराम, चुतरसिंह, शंकरलाल, तख्तसिंह, उम्मेद खां, पुरुषोत्तमदास, गौरीशंकर, शंकरपुरी, अमोलकचंद, रमेश कुमार, जैताराम, देराबरसिंह, छगनलाल, बंशीधर, दीपसिंह, सफी मोहम्मद, चंन्दसिंह, शोरसिंह, चानणमल, ईलसिंह मुख्य आरोपियों समेत कुल 266 आरोपी है।