शनिवार, 26 सितंबर 2015

मोदी से मिले प्रेम भंडारी, जयपुर फुट, डिजिटल इंडिया, हेल्थकेयर राजस्थानी भाषा पर की चर्चा


मोदी से मिले प्रेम भंडारी, जयपुर फुट, डिजिटल इंडिया, हेल्थकेयर राजस्थानी भाषा पर की चर्चा


भगवान महावीर विकलांग समिति और डीआर मेहता के प्रयासों की प्रशंसा




न्यूयॉर्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी दौरे के दौरान भारतीय समुदाय के उन सामाजिक कार्यकर्ताओं से भी मिल रहे हैं जो अपनी माटी से लगातार जुड़े हुए हैं और देश के लिए कुछ करने की ख्वाहिश रखते हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को जयपुर फुट न्यूयॉर्क के चेयरमैन प्रेम भंडारी ने उनसे मुलाकात की और विकलांग कल्याण, डिजिटल इंडिया, हेल्थकेयर सुधार और राजस्थानी भाषा की मान्यता से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की। भंडारी ने मोदी को बताया कि मप्र के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की पहल पर जयपुर फुट का एक विशाल शिविर अंबेडकर जयंती पर मध्यप्रदेश के महू में लगाया जाएगा। उन्होंने जयपुर फुट की मातृ संस्था भगवान महावीर विकलांग समिति की ओर से फुट को और उन्नत बनाने के लिए प्रतिष्ठित स्टेनफोर्ड विवि, हार्वर्ड विवि और एमआईटी से हुए टाई अप्स की भी जानकारी दी। मोदी ने इसके लिए समिति के अध्यक्ष डीआर मेहता के प्रयासों की प्रशंशा की। साथ ही मेहता भंडारी को नवंबर में विस्तृत चर्चा के लिए नवंबर में मिलने का न्यौता दिया। इस मौके पर भंडारी के साथ नेक्स्ट जेनरेशन फाउंडेशन के को-फाउंडर परमीत माकोड़े और फोरम फॉर ग्लोबल लीडरशिप ऑफ इंडिया के संस्थापक कंचन बनर्जी भी मौजूद थे।
चर्चा में भंडारी ने मोदी को बताया कि वे डिजिटल इंडिया की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। राजस्थान और मध्यप्रदेश में महिलाओं विकलांगों को कम्प्यूटर साक्षर बनाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट के साथ करार हुआ है जिसके तहत 14 घंटे का सर्टिफिकेट कोर्स कराया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट नागौर और पाली से शुरू किया जाएगा। इसके लिए नागौर सांसद सीआर चौधरी पाली सांसद पीपी चौधरी आगे आए हैं। भंडारी ने बताया कि मोदी से भारत के ग्रामीण क्षेत्र में टेलीमेडिसिन सेवाएं देने की योजना पर भी वे काम कर रहे हैं।
इस मौके पर अभा राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति की ओर बतौर अंतरराष्ट्रीय संयोजक भंडारी ने मोदी से राजस्थानी की मान्यता की मांग भी की। उन्होंने कहा कि 10 करोड़ लोगों की मातृभाषा का मान्यता से वंचित रहना राजस्थानियों और प्रवासी राजस्थािनयों की सबसे बड़ी पीड़ा है।

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