पोकरण विधानसभा क्षेत्र भाजपा कांग्रेस में वर्चस्व कि लड़ाई
गाज़ी फ़क़ीर ने डैमेज कण्ट्रोल के बाद जीत को प्रतिष्ठा का सवाल बनाया
बाड़मेर जैसलमेर जिले कि और जोधपुर लोक सभा क्षेत्र में शामिल हुई पोकरण विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के आलाकमानों कि नज़रे हें। दूसरी बार हो रहे विधानसभा चुनावो में भाजपा के शैतान सिंह राठोड और कांग्रेस के वर्त्तमान विधायक साले मोहम्मद आमने सामने हें ,इन दोनों के बीच कड़ी टक्कर कि संभावनाए नज़र आ रही हें ,गत बार 337 मतों से हारे भाजपा के शैतान सिंह आज तक आरामदायक स्थति में हें ,कांग्रेस को उनके परम्परागत अन्य धुडो के मुस्लिम वोटो के खिसकने कि खबरो से हड़कम्प मचा हें वाही नरेंद्र मोदी और वसुंधरा राजे कि लोकप्रियता शैतान सिंह के लिए वरदान साबित हो सकती हें ,
कांग्रेस में गाज़ी फ़क़ीर हुए सक्रीय। । मुस्लिम धर्म गुरु और विधायक साले मोहम्मद के पिता गाज़ी फ़क़ीर ने पर जीत को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ कमान खुद सम्भाली हें इस सीट को जितने के लिए फ़क़ीर परिवार ने जैसलमेर सीट कि बाली दी हें। फ़क़ीर परिवार के हस्क्षेप के कारन सामान्य सीट पर कांग्रेस ने राजपूत उम्मीदवारो को दरकिनार कर अनुसूचित जाती के रूपाराम मेघवाल को मैदान में उतरा हें ताकि मेघवालो के वोट साले मोहम्मद को मिल सके। मगर हवा के रुख से फ़क़ीर परिवार के समीकरण बिगड़ते नज़र आ रहे हें ,जैसलमेर प्रत्यासी रूपाराम धनदे कि उपस्थिति के बावजूद सभाओ में अनुसूचित जाति के मतदाता नदारद हें। सेल मोहम्मद का एक काण्ड भी लोगो के बीच चर्चा का विषय हें ,कांग्रेस पूरी ताकत से जुटी हें ,मगर इस बार राजपूतों के कांग्रेस के खिलाफ लाम्बड़ होने के बाद सेल मोहम्मद को राजपूत मतदाताओ के मत मिलाने कि आस नहीं हें। गाज़ी फ़क़ीर खुद अपनी इज़ज़त का हवाला देकर वोट मांग रहे हें ,फ़क़ीर के आह्वान पर उनके मुरीद तो वोट देंगे ही मगर दूसरे मुस्लमान उनके साथ नहीं हें यही कांग्रेस कि सबसे बड़ी कमजोरी हें।
भाजपा। । भाजपा प्रतिसी शैतान सिंह को सबसे बड़ा लाभ गत चुनावो में नाम मात्र वोटो से मिली हार से सहानुभूति ,हार के बाद शैतान सिंह पोकरण के लोगो के बीच सक्रीय रहे ,लोगो के साथ खड़े रहने का फायदा उन्हें मिलता दिख रहा हें। शैतान सिंह को दूसरे धुडो का समर्थन हासिल हो रहा हें जो उनमे उत्साह जगा रहा हें ,पोकरण राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का गढ़ हें। संघ हर हाल में जीत चाहता हें ,अन्य समाजो का भाजपा को मिल रहा समर्थन भी शैतान सिंह को फायदा दे रहा हें ,वाही वसुंधरा राजे और नरेंद्र मोदी कि लोक प्रियता का फायदा भाजपा को मिलता नज़र आ रहा हें। गत चुनावो में राजपूत समाज एक साथ नहीं थे मगर इस बार राजपूत एक होकर लामबंद हो गए हें।
दोनों प्रत्यासी जोर आजमाईस में जुटे हें कड़ी टक्कर का मामला हें ,भाजपा कि प्रारंभिक बढ़त के बाद गाज़ी फ़क़ीर का चुनाव प्रचार कि कमान अपने पुत्र के लिए थामने के बाद कांग्रेस प्रत्यासी को कमज़ोर आंकना भाजपा के लिए बड़ी भूल होगी ,सट्टा बाज़ार में शैतान सिंह साले मोहम्मद पर बढ़त बनाये हुए हें। वाही जातिगत समीकरण भी पक्ष में हें।
बहर हल पोकरण सीट गाज़ी फैक्लीर परिवार ने अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ ली हें गाज़ी फ़क़ीर के हिस्ट्रीशीट प्रकरण के बाद यह चुनाव उनके परिवार कि राजनीती के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण हें। कांग्रेस प्रत्यासी राजनीती में पैसो का खेल खेलने में माहिर खिलाडी हें ,इस खेल को भाजपा कितना समझ पति हें ,उसी पर जीत तय होगी ,फ़क़ीर परिवार धन बल को आधार बना रहा हें चुनाव में ,वाही भाजपा सीधे सीधे मतदाताओ से जुड़ने का प्रयास कर रहे हें।
सरहदी जिले जैसलमेर के पोकरण विधानसभा का गठन 2008 के चुनावो से पूर्व परसीमन के दौरान हुआ। स्वतंत्र रूप से पहला चुनाव 2008 में हुआ। जिसमे कांग्रेस के उम्मीदवार साले मोहम्मद ने भाजपा प्रत्यासी शैतान सिंह को कुछ सौ मतों से पराजित कर पोकरण के प्रथम विधायक बनाने का सुख हासिल किया। मतगणना के अंतिम राउंड में शाले मोहम्मद ने भाजपा के शैतानसिंह को पोकरण निर्वाचन क्षेत्र में मात्र 339 मतों से हराकर जिले में पहली बार एक मुस्लिम विधायक बनने का गौरव हासिल किया। इस बार चुनावी रंगत में बदलाव नज़र आ रहा हें। भाजपा और कांग्रेस अपने शक्तिशाली नेताओ की प्रारंभिक सभे कर चुके हें ,कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा के लिए वसुंधरा राजे चुनावी बिगुल की शुरुआत कर चुकी हें।
संसदीय चुनावो में पोकरण विधानसभा को जोधपुर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा बनाने से लोगो को परेशानी हो रही हें। परिसीमन के बाद पोकरण विधानसभा जैसलमेर बाड़मेर संसदीय क्षेत्र से हटा कर इसे जोधपुर में शामिल किया गया।
जातिगत समीकरण पोकरण विधानसभा में सेंतीस हज़ार राजपूत ,उनचालीस हज़ार मुस्लिम ,उनीस हज़ार अनुसूचित जाती बारह हज़ार अनुसूचित जन जाती तेरह हज़ार जाट विश्नोई चार चार हज़ार बाकी अन्य जातीय के वोट हें। वैसे देखा जाये तो जातिगत आंकड़े कांग्रेस के पक्ष में हें। मुस्लिम एस सी एस टी और जाट विश्नोई कांग्रेस के परम्परागत वोट रहे हें।
गत जीत। । गत चुनावो में साले मोहम्मद कांग्रेस के गढ़ में महक तीन सौ उनचालीस मतों से ही चुनाव जीते ,इसका सीधा अर्थ हें कांग्रेस के परंपरागत मतों में सेंधमारी हुई थी।
कांग्रेस गाजी फ़क़ीर प्रकरण से परेशां। … पोकरण विधायक साले मोहम्मद पर जिला पुलिस रास्ग्त्र द्रोह के संगीन आरोप जड़ चुके हें जिसमे पाकिस्तान नागरिक को विधायक द्वारा पनाह देना ,पुलिस कर्मियों के साथ मारपीट। के आलावा उनके पिता गाजी फ़क़ीर की बंद हिस्ट्रीशीट वापस खुलना घटक साबित हो सकता हें इस प्रकरण से विधायक परिवार को नुकसान होता हें या फायदा मिलता हें देखने वाली बात हें। हल ही में गाजी प्रकरण की जांच पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने रिपोर्ट तलब की हें। फ़क़ीर परिवार के सबसे छोटे पुत्र के भरष्टाचार के कारनामो की गूंज राष्ट्रीय चेनलो तक जा पहुंची हें। जैसलमेर और पोकरण की सरकारी योजनाओ के सारे काम इनके या या इनके समर्थको की फार्म को दिए गए हें। सरकारी योजनाओ के काम गाँवों में हो नहीं रहे मगर फर्जी उपयोगिता प्रमाण पत्रों के जरिये करोडो रुपयों का फर्जी भुगतान उठाया गया हें। यह सब पोकरण की जनता की जेहन में हेंपांच साल की उपलब्धिया। । साले मोहम्मद के पांच साल के कार्यकाल की कोई खास उपलब्धि पोकरण के लिए खास नहीं रही उनका सारा ध्यान जैसलमेर विधानसभा में रहा। विधायक कोष का पैसा जरुर पोकरण में लगा। मगर योजनाओ की जिस कदर वर्ग विशेष के खास लोगो में बंदरबांट की गयी उससे जनता जरुर खफा हें।
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