सरहद से उठी मान्यता हुंकार सरकारी तंत्र को हिला कर रख देगी
मान्यता में देरी बर्दास्त नहीं।
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर द्वारा बुधवार को आयोजित बज्जवता रेवो जगाता रेवो ढोल थाली संकल्प रैली महावीर पार्क में सभा में तब्दील हो गई ,सभा को संबोधित करते हुए डिंगल भाषा के साहित्यकार मेघुदान छरन झानाकाली ने कहा की राजस्थान के इतिहास ,और संस्कृति को संजोने में पुरावाजो द्वारा दिए बलिदान का ही नतीजा हें की राजस्थान की लोक संस्कृति और भाषा का विश्व भर में मान सम्मान हें ,इस सामान को बचाए रखने के लिए जरुरी हें की सरकार अब राजस्थानी भाषा को मान्यता दे ,उन्होंने कहा की भाषा के बिना राजस्थान की संस्कृति और परम्पराए ख़त्म हो ,जाएगी इसीलिए भाषा का जरुरी हें,इस अवसर पर राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ कवि महादान सिंह भादरेश ने कहा की युवाओं का मायड भाषा के प्रति झुन्झारुपन प्रेरणा योग्य हें ,उन्होंने कहा की बाड़मेर के युवाओं ने खून से ख़त लिख कर साबित कर दिया की अब सरकार नहीं चेती तो राजस्थानी आन्दोलन किस करवट बेठेगा और उसके क्या परिणाम होंगे अनुमान ही लगाया जा सकता हें ,उन्होंने कहा की विश्व के सर्वश्रेष शाद कोष और ग्रन्थ जिस भाषा के हो और उसी भाषा को मान्यता के लिए संघर्ष करना पड़े इससे ज्यादा शर्नाक बात क्या हो सकती हें ,लोक कलाकार फकीरा खान ने कहा की राजस्थानी भाषा के नूर ने राजस्थानी की संस्कृति को विदेशो में पहचान ,दिलाई मगर हम अपनी भाषा को अपने घर में सामान नहीं दिला पाए ,संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ने कहा की सरकार की यह क्या निति हें राजस्थानी भाषा के साहित्यकारों ,कवियों ,लेखको ,पत्र पत्रिकाओ को समानित करती हें पुरुस्कार देती हें ,राजस्थानी भाषा के कालजयी पुरुषो महिलाओ को राजस्थानी रत्न का सम्मान देती हें मगर भाषा को मान्यता नहीं देती आखिर क्यूँ, उन्होंने कहा की सरहद से राजस्थानी भाषा को मान्यता की जो हुनकर उठी हें वो पुरे प्रदेश के सरकारी तंत्र को हिला कर रखा देगी ,इस अवसर पर रिडमल सिंह दांता ,जीतेन्द्र छंगानी ,दुर्जन सिंह गुडीसार ,बाबु भाई शेख ,रमेश सिंह इन्दा,दिग विजय सिंह चुली ने भी अपने विचार रखे। ,
मान्यता में देरी बर्दास्त नहीं।
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर द्वारा बुधवार को आयोजित बज्जवता रेवो जगाता रेवो ढोल थाली संकल्प रैली महावीर पार्क में सभा में तब्दील हो गई ,सभा को संबोधित करते हुए डिंगल भाषा के साहित्यकार मेघुदान छरन झानाकाली ने कहा की राजस्थान के इतिहास ,और संस्कृति को संजोने में पुरावाजो द्वारा दिए बलिदान का ही नतीजा हें की राजस्थान की लोक संस्कृति और भाषा का विश्व भर में मान सम्मान हें ,इस सामान को बचाए रखने के लिए जरुरी हें की सरकार अब राजस्थानी भाषा को मान्यता दे ,उन्होंने कहा की भाषा के बिना राजस्थान की संस्कृति और परम्पराए ख़त्म हो ,जाएगी इसीलिए भाषा का जरुरी हें,इस अवसर पर राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ कवि महादान सिंह भादरेश ने कहा की युवाओं का मायड भाषा के प्रति झुन्झारुपन प्रेरणा योग्य हें ,उन्होंने कहा की बाड़मेर के युवाओं ने खून से ख़त लिख कर साबित कर दिया की अब सरकार नहीं चेती तो राजस्थानी आन्दोलन किस करवट बेठेगा और उसके क्या परिणाम होंगे अनुमान ही लगाया जा सकता हें ,उन्होंने कहा की विश्व के सर्वश्रेष शाद कोष और ग्रन्थ जिस भाषा के हो और उसी भाषा को मान्यता के लिए संघर्ष करना पड़े इससे ज्यादा शर्नाक बात क्या हो सकती हें ,लोक कलाकार फकीरा खान ने कहा की राजस्थानी भाषा के नूर ने राजस्थानी की संस्कृति को विदेशो में पहचान ,दिलाई मगर हम अपनी भाषा को अपने घर में सामान नहीं दिला पाए ,संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ने कहा की सरकार की यह क्या निति हें राजस्थानी भाषा के साहित्यकारों ,कवियों ,लेखको ,पत्र पत्रिकाओ को समानित करती हें पुरुस्कार देती हें ,राजस्थानी भाषा के कालजयी पुरुषो महिलाओ को राजस्थानी रत्न का सम्मान देती हें मगर भाषा को मान्यता नहीं देती आखिर क्यूँ, उन्होंने कहा की सरहद से राजस्थानी भाषा को मान्यता की जो हुनकर उठी हें वो पुरे प्रदेश के सरकारी तंत्र को हिला कर रखा देगी ,इस अवसर पर रिडमल सिंह दांता ,जीतेन्द्र छंगानी ,दुर्जन सिंह गुडीसार ,बाबु भाई शेख ,रमेश सिंह इन्दा,दिग विजय सिंह चुली ने भी अपने विचार रखे। ,
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