राजस्थानी की मान्यता के लिए गांधीवादी रास्ता छोड़ने का निर्णय
भाषा का अधिकार हमें लेना आता हें ...देवल
बाड़मेर के महात्मा ईसरदास छात्रावास परिसर में राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति महोत्सव के दुसरे और अंतिम दिन चिंतन और रणनीति सत्र का का आयोजन किया गया .इस सत्र में की अध्यक्षता पूर्व विधायक और सेवानिवृत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सी डी देवल ने की वहीं पदम् श्री सूर्यदेव सिंह ,अर्जुन दान देथा प्रदेश महामंत्री राजेंद्र बारहठ ,राजस्थानी साहित्यकार भंवर सिंह सामौर ,संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ,जिला पाटवी रिड़मल सिंह दांता ,जिला प्रवक्ता रमेश सिंह इन्दा ,चिंतन परिषद् के पाटवी रमेश गौड़ ,उपाध्यक्ष इंद्र प्रकाश पुरोहित ,डॉ लक्ष्मी नारायण जोशी ,दलपत सिंह चारण सहित कई ने भाग लिया .चिंतन और रणनीति सत्र को सा,म्बोधित करते हुए सी डी देवल ने कहा की राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए लिए जा रहे प्रयासों में निति और नियत दोनों साफ़ होंगे तभी हम इस दिशा में अपनी मंजिल तक पहुँच पायेंगे उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा पर लिंगेस्तिक सर्वे से स्पस्ट हो चुका हें की राजस्थानी भाषा सशक्त भाषा हें ,उन्होंने कहा की अब मान्यता के लिए घर बार छोड़ने पड़ेंगे .दिल्ली की राह पकड़नी होगी .उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा सम्रध भाषा हें विश्व का सबसे बड़े शब्द कोष इसी का हें ,इस भाषा के बिना देश का इतिहास और साहित्य खोखला हो जायेगा ,.सम्मलेन को संबोधित करते हुए पदम् श्री सूर्यदेव सिंह ने कहा की राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए गांधीवादी तरीका सरकारें समझ नहीं पा रही हें ,राजस्थानियों की भलमानास्ता को उनकी कमजोरी समझने की भूल सरकार ना करे ,उन्होंने कहा की सरकार जिस भाषा को समझती हें उन्हें उसी भाषा में समझाया जाएगा .उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा के बिना राजस्थान की संस्कृति और परंपरा ख़त्म हो जायेगी .आखिर इसे बचना जरुरी हें यह हमारे पुरखों की सौगातें हें ,बोडो ने सरकारों को दारा धमका कर मान्यता ले ली .क्या सरकारे हमें उसी राह पर चलने को मजबूर कर रही हें .उन्होंने कहा की राजनेताओ से शुरुआत करो उन्हें वोट मत दो जब तक भाषा को मान्यता नहीं वोट नहीं ,प्रण ले लो .समापन सत्र में बोलते हुए राजेंद्र बारहट ने कहा की समिति जल्द मायड़ भाषा सम्मान रथ तैयार कर गाँव गाँव ढाणी ढाणी जाएगा लोगो को भाषा के बदले वोट की अपील करेंगे .उन्होंने कहा की सरकारों ने साथ साल तक राजस्थानियों के सब्र का इम्तिहान लिया हें .संसद में मानसून सत्र में इसी साल सरकार ने मान्यता नहीं दी तो रास्ते तय की जायेंगे अब हमारा सब्र छलक गया हें ,अब सरकार और नेताओं से सीधे बात होगी .अब ज्ञापन और गांधीवादी तरीको का समिति त्याग कर दूसरा रास्ता अपनाएगी जो सरकारों को जल्दी समझ आता हें अर्जुन दान देथा ने कहा की लोगो की भवने अब इस मुद्दे को लेकर भड़क गयी हें जनता हर कीमत पर भाषा की मान्यता चाहती हें .इसके लिए युवा वर्ग का पूरा संघठन खडा किया जाएगा ,चन्दन सिंह भाटी ने कहा की जब तक नेताओं की दुखती राग पर हाथ नहीं डालेंगे मान्यता के लिए आगे नहीं आउएङ्गे ,नेता डरता हें वोट की चोट से ,इस बार यही चोट करनी होगी ,उन्होंने कहा की राजस्थानी भले हें उन्हें बसें जलना नहीं आता ,तोड़ फोड़ करनी नहीं आती ,पत्थरबाजी करनी नहीं आती जिस दिनन राजस्थान इस दिशा में निकल पड़े तो सरकारे घर बेठे मान्यता ,देगी सरकारे गांधीवाद की बात करती हें मगर उसे मानती नहीं वो हिंसा की भाषा समझती हें .समिति के संस्थापक डॉ लक्षमण दान ने कहा की अब घर बताने से काम नहीं चलेगा ,गाँव ढाणी तक राजस्थानी भाषा के सम्मलेन आयोजित कर राजस्थानियों में भाषा की बहकाना भरनी होगी ,इस अवसर पर भंवर सिंह सामौर ने कहा की भः हमारी पहचान हें जिसे हम खोना नहीं ,चाहते भाषा हमारा अधिकार हें सरकारें नहीं देगी तो हमें अपने तरीके से लेनी आती हें .बाड़मेर सम्मलेन में राजस्थानी साहित्य प्रकाशन ,संपादन और संकलन पर जोर देने का निर्णय लिया गया .वही राजस्थानी भाषा समिति का सायबर मीडिया में अधिक से अधिक प्रसारित करने का निर्णय बाड़मेर सम्मलेन में लिया गया .सम्मलेन को डॉ लक्ष्मी नारायण जोशी ,दलपत सिंह चारण ,रिड़मल सिंह दांता ,ने भी संबोधित किया .सम्मलेन के अंतिम दिन कवी सम्मेल का आयोजन भी किया जिसमे दंगल भाषा की कविताए सुना कवियों ने सभी को भाव भोर कर दिया .भंवर लाल मेहरिया .दयाराम सेवदा झुंझनु ,शम्भू सिंह पितासनी ,महादान सिंह भद्रेश ,मुला राम भाम्भू ,ने भी सुझाव दिए .
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