डीएनपी मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष एक |
बाड़मेर |
डीएनपी के मुद्दे पर आयोजित सर्वदलीय बैठक में विचार विमर्श के बाद सुलह के आसार बने हैं। कांग्रेस व भाजपा के शीर्ष नेताओं की अगुवाई में करीब चार घंटे तक मंथन के बाद डीएनपी से उत्पन्न समस्याओं के समाधान को लेकर मुख्य सचिव राजस्थान सरकार की मौजूदगी में जयपुर में बैठक आयोजित करने पर सहमति बनी। पार्टी से ऊपर उठकर सरहदी गांवों की जनता के लिए सभी ने पैरवी का विश्वास दिलाया। इस दौरान विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। मरू उद्यान संघर्ष समिति के संयोजक स्वरूपसिंह राठौड़ ने जनप्रतिनिधियों के समक्ष मसौदा रखा। इसके बाद संयुक्त रूप से प्रयास किए जाने का आह्वान किया गया। सरहदी गांवों के विकास में रोड़ा बने राष्ट्रीय मरू उद्यान से उत्पन्न समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए रविवार को स्थानीय डाक बंगले में सांसद हरीश चौधरी, शिव विधायक अमीन खां, बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन, भाजपा जिलाध्यक्ष मेजर परबतसिंह, संघर्ष समिति के संयोजक स्वरूपसिंह राठौड़ समेत शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में बैठक में आयोजित हुई। इस दौरान संघर्ष समिति के संयोजक स्वरूपसिंह राठौड़ ने डीएनपी के संबंध में विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी। सांसद हरीश चौधरी ने कहा सरहदी गांवों की समस्याओं के समाधान के लिए संयुक्त रूप से प्रयास किए जाएंगे। राज्य व केंद्र सरकार के समक्ष पहले भी यह मुद्दा रख चुके हैं। नए सिरे से पैरवी की जाएगी। शिव विधायक अमीन खां ने कहा कि पार्टी से ऊपर उठकर सभी लोग एकजुट होकर सरहदी गांवों की समस्याओं का समाधान ढूंढेंगे। इस संबंध में जयपुर में बैठक आयोजित कर मुख्य सचिव की मौजूदगी में विचार विमर्श कर आगे की रणनीति तय की जाएगी। शिव के पूर्व विधायक हरिसिंह सोढ़ा ने कहा कि डीएनपी के मुद्दे को लेकर आंदोलन का रुख अख्तियार किया जाएगा। कागजों में डीएनपी घोषित कर रखा है, जबकि मौके पर डीएनपी की एक भी शर्त की पालना नहीं हो रही है। एडवोकेट रूपसिंह राठौड़ ने कहा कि डीएनपी क्षेत्र के गांवों के लोग पिंजरे में कैद हो गए हैं। विकास ठप है। भाजपा जिलाध्यक्ष मेजर परबतसिंह ने कहा कि दशकों से विकास में रोड़ा बने उद्यान का अस्तित्व ही नहीं है। |
सोमवार, 6 जून 2011
डीएनपी मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष एक
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