ऑस्ट्रेलिया की सारा मैंडी मांगणियार लोक गायन
भारत के थार मरुस्थल की सतरंगी सांस्कृतिक विरासत और गीत-संगीत ने ऑस्ट्रेलिया की सारा मैंडी को इतना प्रभावित किया कि वो राजस्थानी गीत सीखने बाड़मेर चली आईं.
मरुस्थल में आज जब मांगणियार लोक गायकों की स्वर लहरी गूँजती है तो उसमें सारा की आवाज़ का माधुर्य भी शामिल होता है.
सारा ने मांगणियार बिरादरी की प्रसिद्ध कलाकार रुक़मा को अपना उस्ताद बनाया और बड़ी लगन से राजस्थानी गीतों का रियाज़ किया.
लगभग एक साल की मेहनत के बाद सारा जब ठेठ मारवाड़ी ज़बान में हिचकी, निंबूड़ा और पधारो म्हारो देश जैसे गीतों को स्वर देती है तो लोग हैरत में पड़ जाते हैं.
वो रुक़मा के साथ जयपुर विरासत उत्सव जैसे कार्यक्रमों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं.
सारा का इरादा अब अपने वतन में अपनी गायकी का जादू बिखेरने का है.
वह ऑस्ट्रेलिया में मरुस्थल के इन मीठे गीतों का लोगों को प्रशिक्षण भी देंगी.
सारा कहती हैं, " मुझे इन गीतों के बोल, भावार्थ, लय और प्रस्तुति का अंदाज़ बहुत अच्छा लगता है. मैंने इन गीतों का अनुवाद समझा तो इनकी गहराई ने मुझे बहुत प्रभावित किया. "
रुक़मा भी अपने इस विदेशी शागिर्द की कला के प्रति ललक और समर्पण से बेहद खुश हैं.
रुक़मा के दोनों पैर बचपन से पोलियोग्रस्त है. रुक़मा की मुसीबत तब और बढ़ गई जब वो विधवा हो गईं.
रुक़मा मांगणियार बिरादरी की पहली महिला हैं जिसने सामाजिक वर्जना को तोड़कर गायन का काम शुरु किया.
संकल्प और समर्पण
रुक़मा कहती हैं," सारा ने बहुत मेहनत की है. हालाँकि भाषा एक समस्या थी लेकिन सारा के संकल्प ने भाषा की बाधा को हरा दिया. "
सारा जहाँ भी कार्यक्रम प्रस्तुत करती हैं उन्हें रुक़मा की जुगलबंदी की ज़रूरत पड़ती है.
रुक़मा का ज़ोर अब सारा को अपने बूते गायकी का कार्यक्रम पेश करने की शक्ति और सामर्थ्य देने पर है.
सारा कहती हैं, " मुझे इन गीतों के बोल, भावार्थ, लय और प्रस्तुति का अंदाज़ बहुत अच्छा लगता है. मैंने इन गीतों का अनुवाद समझा तो इनकी गहराई ने मुझे बहुत प्रभावित किया. "
रुक़मा भी अपने इस विदेशी शागिर्द की कला के प्रति ललक और समर्पण से बेहद खुश हैं.
रुक़मा के दोनों पैर बचपन से पोलियोग्रस्त है. रुक़मा की मुसीबत तब और बढ़ गई जब वो विधवा हो गईं.
रुक़मा मांगणियार बिरादरी की पहली महिला हैं जिसने सामाजिक वर्जना को तोड़कर गायन का काम शुरु किया.
संकल्प और समर्पण
रुक़मा कहती हैं," सारा ने बहुत मेहनत की है. हालाँकि भाषा एक समस्या थी लेकिन सारा के संकल्प ने भाषा की बाधा को हरा दिया. "
सारा जहाँ भी कार्यक्रम प्रस्तुत करती हैं उन्हें रुक़मा की जुगलबंदी की ज़रूरत पड़ती है.
रुक़मा का ज़ोर अब सारा को अपने बूते गायकी का कार्यक्रम पेश करने की शक्ति और सामर्थ्य देने पर है.
सारा कहती हैं, " राजस्थान का गीत-संगीत ऑस्ट्रेलिया या पश्चिम के गीत-संगीत से बिल्कुल भिन्न है. "
सारा इन दो संगीत विधाओं की परंपरा पर प्रयोग भी करना चाहती है.
रुक़मा कहती हैं, " कोई उस्ताद अपने शागिर्द को अच्छा प्रदर्शन करते हुए देखता है तो बेहद खुश होता है. सारा जब अपनी कला का प्रदर्शन करती है तो मुझे बेहद खुशी होती है. "
सारा इन दो संगीत विधाओं की परंपरा पर प्रयोग भी करना चाहती है.
रुक़मा कहती हैं, " कोई उस्ताद अपने शागिर्द को अच्छा प्रदर्शन करते हुए देखता है तो बेहद खुश होता है. सारा जब अपनी कला का प्रदर्शन करती है तो मुझे बेहद खुशी होती है. "
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें