शुक्रवार, 16 जून 2017

बाड़मेर। बाबूलाल प्रकरण, दूसरे दिन जारी रहा दलितों का धरना , पुलिस से वार्ता रही बेनतीजा

बाड़मेर। बाबूलाल प्रकरण, दूसरे दिन जारी रहा दलितों का धरना , पुलिस से वार्ता रही बेनतीजा

बाड़मेर। नगरपरिषद के ठेकेदार बाबूलाल मेघवाल द्वारा सभापित एवं अन्य अधिकारियों की प्रताड़नाओं और अपमान से त्रस्त होकर आत्महत्या किए जाने के मामले मे कलक्टर मुख्यालय के बाहर शुक्रवार को दूसरे दिन भी दलित समुदाय का बेमियादी धरना जारी रहा। समाज के लोगों ने पूरे मामले मे पुलिस द्वारा 23 दिन तक चुप्पी रखे जाने एवं दोषीजनों की गिरफ्तारियां नही करने पर जोरदार आक्रोष जताया। शुक्रवार को मुख्य कार्यकारी अधिकारी एम.एल. नेहरा से मुलाकात कर आंदोलनकारियों ने पूरी घटना की गहन जानकारी दी और मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपा और कहा कि पुलिस आरोपियों को सरंक्षण दे रही हैं। यदि इस मामले मे तत्काल पुलिस कोई गिरफ्तारी नही करेगी तो दलित समाज बड़े स्तर पर आंदेालन को मजबूर होगा। मुख्य कार्यकारी अधिकारी को ज्ञापन देने पहुंचे षिष्टमंडल मे सर्व श्री मूलाराम मेघवाल अध्यक्ष मेघवाल परिषद, सोनाराम टांक, आटी सरपंच रणजीत कुमार, पूर्व प्रधान उदाराम मेघवाल, हरखाराम मेघवाल, वगताराम मंसूरिया, केवलचंद बृजवाल, पूर्व सरपंच बालाराम बाछड़ाउ, आम्बाराम पंवार, पूर्व सरपंच किषनाराम, अचलाराम पंवार बायतु, महेन्द्राराम सोलंकी, कुम्पाराम रामसर, मांगीलाल सोलंकी, देवन्द्र कुमार बृजवाल, हीराराम सोलंकी, राजेन्द्र लहुआ, नवलाराम, लाभूराम पंवार, छगन एडवोकेट, ठाकराराम लीलड़, हजारीराम मंसूरिया, चौपाराम मंसूरिया, पार्षद सोहन मंसूरिया, सोनाराम, सांगाराम, विरधाराम कोडेचा, हरूराम बोचिया, कमलाराम, भमराराम मुछड़ीया, टाउराम पूनड़, जयराम सोलंकी शामिल थे।

मेघवाल परिषद के अध्यक्ष मूलाराम मेघवाल ने बताया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के बादं जिला कलक्टर से आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मिले समाज के मौजीज लोगों को दिये गये आष्वासन दिये जाने के बावजूद भी पुलिस के अनुसंधान अधिकारी 23 दिन तक चुप्प रहे। ज्यों ही बेमियादी धरना शुरू किया, पुलिस रेकर्ड लेने एवं बयान आदि दर्ज करने के लिए सक्रिय हुई हैं। इससे साफ हो गया हैं कि पुलिस आरोपियों से मिल कर लीपापोती करने एंव निर्दोष मृतक के सुसाइड नोट को झुठलाने के लिए मनघड़ंत साक्ष्य संग्रहित करने का प्रयास कर रही हैं। उन्होने बताया कि मृतक के सुसाइड नोट के पेज नंबर 11 पर साफ लिखा हुआ हैं कि उसे नगरपरिषद के सभापति लूणकरण बोथरा से मिली प्रताड़नाओं के कारण आत्महत्या करने का कदम उठा रहा हॅू। सुसाइड नोट मे जेईएन पुरखाराम एवं रितीष रंजन इल्जाम के बारे मे लिखा गया हैं कि वे सभापति के के दबाव मे एवं पैसों के लिए उसके बिल 2-3 महिनों तक लटकाये रखते थे। इस सुसाइड नोट मे यह भी मृतक ने लिखा कि वह बकाया भुगतान के लिए सभापति से मिला तो उसने उसके साथ जातिसूचक अपमानित भाषा का इस्तेमाल कर बेइज्जत कर बाहर निकाला। परिषद अध्यक्ष मूलाराम मेघवाल ने बताया कि मृतक बाबूलाल द्वारा मृत्यू पूर्व लिखे गये सुसाइड नोट मे नगरपरिषद के सभापति लूणकरण बोथरा के कार्यकाल मे हो रहे बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार, चहेते ठेकेदार एवं सप्लायर पनपा कर उन्हें नियम विरूद्व कार्यादेष देकर भुगतान कर पुराने ठेकेदारों को जलील एवं नगरपरिषद से बाहर करने जैसी अनेक असहनीय कार्यवाहियां किए जाने के कईं मुद्दों का खुलासा किया गया हैं।

प्रवक्ता ने बताया कि शुक्रवार को धरना स्थल पर विधायक मेवाराम जैन एवं ठेकेदार तनसिंह चौहान पहुंचे तथा मृतक के परिजनों से सुलह समझौते की बात की। उन्होने बताया कि पुलिस के अनुसंधान की धीमी गति एवं जांच के तौर तरीकों से मृतक के प्रकरण मे निष्पक्ष न्याय मिलने की उम्मीद नही हैं। शुक्रवार को समाज के मौजीज लोगों ने प्रषासन को फिर चेतावनी दी हैं कि अविलंब आरोपितों को गिरफ्तार कर नगरपरिषद मे व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच नही की गई तो आंदोलन को बड़े स्तर पर फैलाया जायेगा।
बाबूलाल ठेकेदार की मौत का मामला हत्या व आत्महत्या में उलझा


पुलिस से हुई वार्ता लेकिन नतीजा नही निकलाप्रवक्ता ने बताया कि शुक्रवार को दोपहर बाद पुलिस के अतिरिक्त अधीक्षक रामेष्वर लाल मेघवाल एवं डीएसपी जांच अधिकारी ओमप्रकाष उज्जवल ने समाज के मौजीज मूलाराम मेघवाल, केवलचंद बृजवाल, हरखाराम मेघवाल, उदाराम मेघवाल, बगताराम मंसूरिया, एडवोकेट छगन मसूरिया, लाभूराम पंवार,चाम्पाराम व पार्षद सोहन मंसूरिया लोगों को वार्ता के लिए बुलाया लेकिन वार्ता दौरान जांच अधिकारी ने कहा कि वे अभी तक किसी नतीजे पर नही पहुं्रचे हैं इस पर अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक रामेष्वरलाल मेघवाल ने निष्पक्ष जांच का आष्वासन देते हुए धरना उठाने की अपील की, जिस पर प्रतिनिधि मण्डल नहीं माना और उन्होने कहा कि घटना के करीबन 25 दिन से अधिक के समय गुजरने के बावजूद पुलिस के जांच अधिकारी ने न तो जांच शुरू की हैं न अभी तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। यह शर्मनाक बात हैं।

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