गुरुवार, 16 मार्च 2017

अजमेर, साइबर क्राइम पर जागरूकता कार्यषाला प्रारम्भ साइबर क्राइम में राजस्थान का पांचवां एवं अजमेर का तीसरा स्थान आई टी एक्ट में समय समय पर बदलाव की जरूरत - एस पी



अजमेर, साइबर क्राइम पर जागरूकता कार्यषाला प्रारम्भ

साइबर क्राइम में राजस्थान का पांचवां एवं अजमेर का तीसरा स्थान

आई टी एक्ट में समय समय पर बदलाव की जरूरत - एस पी




अजमेर, 16 मार्च। साइबर क्राइम के क्षेत्र में भारत में राजस्थान का पांचवां स्थान है जबकि राजस्थान में अजमेर का तीसरा स्थान है। तेजी से बढ रहे साइबर क्राइम के ग्राफ को रोकने के लिए लोगों में इसके प्रति जारूकता लाना बेहद जरूरी है। समाज की इस जरूरत को देखते हुए राष्टीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार का यह प्रयास काफी सराहनीय है कि वो जिला स्तर पर साइबर क्राइम की जारूकता कार्यषालाओं का आयोजन करा रहे हैं। उक्त विचार अजमेर के पुलिस अधीक्षक डाॅ नितिनदीप बल्लगन ने साइबर क्राइम अवेयरनेस पर स्थानीय राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय में चल रही तीन दिवसीय कार्यषाला के उदघाटन सत्र में व्यक्त किए। लगभग 30 मिनिट के अपने सम्बोधन में डाॅ बल्लगन ने साइबर क्राइम एवं इसकी भयावहता पर प्रकाष डाला। उन्होने स्वंय उनके साथ भी एकबार हो चुके आॅनलाइन शाॅपिंग में फ्राॅड के वाकये को प्रतिभागियों के साथ साझा करते हुए कहा कि किस प्रकार कदम कदम पर हम सबको जागरूक रहने की आष्यकता है।

राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी विभाग, भारत सरकार की ओर से आयोजित इस कार्याशाला में पहले दिन उदघाटन के बाद दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। पहले सत्र में जयपुर से आए साइबर क्राइम विषेषज्ञ मुकेष चैधरी ने कई केस स्टडीज पर चर्चा करते हुए प्रतिभागियों को प्रायोगिक रूप से साइबर क्राइम की बारीकियां समझाई। 2 घण्टे के अपने सत्र में उन्होने बताया कि व्यक्तिीगत साइबर क्राइम एवं पब्लिक साइबर क्राइम में क्या अंतर है और इन्हें किस प्रकार इनवेस्टीगेट किया जाता है। पब्लिक के साथ होने वाले वाले साइबर क्राइम कई बार बहुत घातक सिद्ध हो सकते हैं इनमें बडी संख्या में जान माल का भी नुकसान हो सकता है इस प्रकार के केसों में सैक्षन 66 एफ के तहत कार्यवाही करते हुए दण्ड का प्रावधान होता है। एक अन्य तकनीकी सत्र में सरदार पटेल पुलिस विष्वविद्यालय, जोधपुर के सहायक प्रोफेसर विकास सिहाग ने इंटरनेट की दुनिया की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि आम आदमी इंटरनेट की दुनिया का सिर्फ 3 प्रतिषत हिस्सा ही देख सकता है जबकि 97 प्रतिषत हिस्सा उसकी पहुंच से दूर ही रहता है। उन्होने कहा कि हम सबको कोई भी एप डाउनलोड करते समय ध्यान रखना चाहिए की वो कोनसी परमीषन हमसे मांग रहे हैं। अनावष्यक परमीषन को हमें रिवोक कर लेना चाहिए अन्यथा कम्पनी अपने मोबाइल डाटा का दुरूपयोग कर सकती है।

महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. रोहित मिश्रा ने बताया कि जयपुर के एम.के.बी. स्कूल तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण सोसायटी एवं हमारे महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में इस कार्यषाला का आयोजन किया जा रहा है। यहां विभिन्न तकनीकी सत्रों में कई विषय विशेषज्ञ विस्तार से इस विषय पर जानकारी देंगे। वर्कशाॅप में इस महाविद्यालय के अतिरिक्त दूसरे महाविद्यालयों के विद्यार्थी एवं षिक्षक एवं अन्य लोग भी भाग ले रहे हैं। विज्ञान संचारक तरूण कुमार जैन ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यषाला की रूपरेखा एवं इसके उद्देष्यों पर प्रकाष डाला। कार्यक्रम के अन्त में सहायक प्रोफेसर ज्योति गजरानी ने आभार व्यक्त किया।

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