शुक्रवार, 23 दिसंबर 2016

PAK में कर्ज वसूली के लिए उठा ली जाती हैं नाबालिग बेटियां, हिंदू-क्रिश्चियन बनते हैं शिकार

PAK में कर्ज वसूली के लिए उठा ली जाती हैं नाबालिग बेटियां, हिंदू-क्रिश्चियन बनते हैं शिकार
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मीरपुर खास. 21वीं सदी में भी पाकिस्तान में जमींदारों और उनके द्वारा कर्ज वसूली के लिए अपनाए जाने वाले क्रूर तरीके कम नहीं हुए हैं। यहां परिवार अगर जमींदारों का कर्ज नहीं लौटा पाते तो घर की नाबालिग और खूबसूरत बेटियां उठा ली जाती हैं। इसके बाद भी कर्ज कभी खत्म नहीं होता। एक न्यूज एजेंसी ने पाकिस्तान में चल रहे इस रैकेट की पड़ताल की। इस तरह की घटनाएं हिंदुओं और क्रिश्चियंस साथ ज्यादा होती हैं। पिता से कर्ज वसूली के लिए उठा ले गए बेटी....


- जीवती नाम की बच्ची के पिता ने एक शख्स से करीब 67 हजार रुपए कर्ज लिया। वक्त पर ये चुकाया नहीं जा सका। वो शख्स जीवती को ले गया और शादी कर ली। उस वक्त जीवती की उम्र महज 14 साल थी।
- जीवती की मां अमेरि काशी कोहली ने कहा- मेरी बेटी उस कर्ज को चुका रही है जो कभी खत्म नहीं होगा।
ऐसा कर्ज जो कभी खत्म ही नहीं होता
- सदर्न पाकिस्तान के ज्यादातर हिस्सों में कर्ज इस तरह दिए जाते हैं कि वो सिर्फ बढ़ते हैं। ना कभी कम होते और खत्म तो होते ही नहीं हैं।
- जब पैसा वापस नहीं हो पाता तो घर की महिलाएं और बेटियां उठा ली जाती हैं। इनका इस्तेमाल प्रॉपर्टी के तौर पर होता है। कई बार जमींदार या पैसे वाले लोग अपने मजदूरों को सजा भी इसी तरह से देते हैं।
- पाकिस्तान के इस हिस्से में ताकतवर और पैसे वाले लोगों के लिए महिलाएं किसी ट्रॉफी की तरह हैं। कई बार कर्ज वसूली के तौर पर हासिल की गई महिलाओं को घर में दूसरी पत्नी बनाकर भी रखा जाता है। लोन लेने वाले के घर से वही लड़कियां या महिलाएं उठाई जाती हैं जो शक्ल-ओ-सूरत से बेहतर हों।
ना अदालत ना पुलिस
- जीवती की मां अमेरि का कहना है कि वो बेटी को बचाने के लिए पुलिस और अदालत, सबके पास गई, लेकिन उसकी फरियाद नहीं सुनी गई। वो कहती हैं- हमारे मैनेजर ने मेरी बेटी का धर्म बदलवा कर उसे मुस्लिम बनाया और फिर उससे शादी कर ली।
- मैनेजर ने हमसे कहा- तुम्हारी बेटी अब मुसलमान हो गई है, और तुम्हें वो वापस नहीं मिल सकती। ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स 2016 के मुताबिक, पाकिस्तान में अब भी 20 लाख से ज्यादा दासियां हैं। जिन्हें ताकत और पैसे के बल पर हासिल किया गया है। इनमें से ज्यादातर मजदूर होते हैं।
- रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल करीब एक हजार हिंदू और क्रिश्चियन कम्युनिटी की नाबालिग लड़कियां इसी तरह उठा ली जाती हैं।

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