गुरुवार, 14 मई 2015

जयपुर। 12 साल से तेज़ाब के जख्म झेल रहा आकाश अब फुटपाथ पर रहने को मजबूर

जयपुर। 12 साल से तेज़ाब के जख्म झेल रहा आकाश अब फुटपाथ पर रहने को मजबूर


जयपुर। राजधानी में एक परिवार पिछले 12 साल से तेजाब के जख्मों के दर्द को झेल रहा है। साल 2003 में इस परिवार को गांव के दबंगों से पंगा लेना भारी पड़ गया। जमीन विवाद में दबंगों ने सोते हुए परिवार पर तेजाब उड़ेल दिया। जिसमें तीन साल के मासूम आकाश का सारा चेहरा जल गया। इस हादसे में आकाश की दोनों आंखों की रोशनी भी चली गई, साथ ही खौफ के चलते गांव को भी अलविदा कह दिया। लिहाजा पिछले 12 साल से आकाश और उसका परिवार फुटपाथ पर बद से बदतर जिंदगी जीने को मजबूर है। 

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दर्द में सिमटी आकाश की कहानी
ये है 15 साल का आकाश जिसका तेजाब हमले में चेहरा पूरी तरह से जल चुका है। हादसे में दोनों आंखे भी चली गई, आकाश जब तीन साल का था तब हिंडौन में उसके परिवार वालों का प्रीतम सिंह नाम के शख्स से जमीन विवाद हो गया था दबंग प्रीतम आकाश के परिवार की जबरन जमीन खरीदना चाहता था। लेकिन आकाश का परिवार जमीन बेचने के लिए राजी नहीं था। नाराज प्रीतम सिहं ने अपने गुर्गों से 2003 की एक काली रात में सोते हुए परिवार पर एसिड एटैक करा दिया।

इस तेजाब हमले में आकाश, उसकी बहन रेखा और बुआ का लड़का बुरी तरह से झुलस गया। हमले के बाद आकाश की बचपन की खुशियां भी नहीं उजड़ी बल्कि खौफ के चलते पूरे परिवार को गांव भी छोड़ना पड़ा।



प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल के बाहर जिंदगी का हो रहा गुज़ारा
पिछले 12 साल से आकाश इस नासूरभरी जिंदगी को जी रहा है। पूरा परिवार एसएमएस अस्पताल के बाहर फुटफाथ पर जिंदगी गुजार रहा है लेकिन अभी ना कोर्ट से इंसाफ मिला औऱ ना ही किसी ने परिवार का दुख दूर करने की जहमत उठाई।



जिस फुटपाथ पर यह परिवार रहता है वहां से दिनभर में कईं डॉक्टर, समाजसेवी और नेता गुजरते हैं। लेकिन इनके दर्द को देखकर अभी तक किसी का कलेजा नहीं पसीजा। परिवार का कहना है कि नेताओं और सरकारी अफसरों के खूब चक्कर काटे लेकिन किसी ने मदद के लिए हाथ नहीं बढ़ाए।



क्या गरीबों का नहीं मिलेगा इंसाफ
यह वही राजधानी है जिसमें शिवानी जडेजा का सरकारी खर्चे पर इलाज हुआ। चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी हुई क्योंकि मामला हाईप्रोफाइल हो गया था। सरकार की फजीहत हो रही थी लेकिन उसी राजधानी में एसिड अटैक का अब तक दर्द झेल रहे आकाश और उसके परिवार की कोई सुध बुध नहीं ले रहा।

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