सोमवार, 12 जनवरी 2015

तो प्लेन क्रैश नहीं बल्कि यह है बोस की मौत का सच

तो प्लेन क्रैश नहीं बल्कि यह है बोस की मौत का सच


नई दिल्ली। भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत पर एक चौंका देने वाला बयान देते हुए कहा है कि उनकी मौत विमान दुर्घटना में नही बल्कि उनकी हत्या सोवियत नेता जोसफ स्टालिन के इशारों पर की गई थी। इतना ही नहीं स्वामी ने नेताजी से संबंधित गुप्त दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की भी मांग की है। स्वामी ने स्टालिन पर नेताजी को साइबेरिया में कैद कर उनकी हत्या करने का आरोप लगाया है। मर्चेंट चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक समारोह में स्वामी ने स्वीकार किया कि गुप्त दस्तावेजों को सार्वजनिक करने से ब्रिटेन और रूस से भारत के संबंधों में खटास आएगी लेकिन उन्होंने आश्वस्त किया कि वह इस मुद्दे को पीएम नरेंद्र मोदी के सामने उठाएंगे। 

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स्वामी ने कहा कि हमारे पास मौजूद दस्तावेजों के अनुसार मौत को झूठ बताकर नेताजी चीन के मंचूरिया पहुंचे थे जो कि उस समय रूस के कब्जे में था। उन्हें आशा थी कि रूस उनकी मदद करेगा लेकिन स्टालिन ने साइबेरिया की एक जेल में उन्हें कैद कर दिया और 1953 में किसी समय या तो उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया या दम घोंट कर उनकी हत्या कर दी गई। स्वामी का कहना है कि तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू इस बात से अवगत थे कि नेताजी साइबेरिया के याकुत्स्क जेल में कैद हैं। स्वामी ने कहा कि जल्दबाजी में और परिणाम का अध्ययन किए बिना दस्तावेजों को सार्वजनिक करना कठिन है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन और रूस के साथ भारत के रिश्ते प्रभावित होंगे लेकिन मैं दस्तावेजों को सार्वजनिक करने के लिए पीएम मोदी को राजी करने का प्रयास करूंगा। उन्होंने कहा कि नेताजी की मौत के पीछे के रहस्य का समाधान होना चाहिए और दस्तवाजों को सार्वजनिक करना चाहिए क्योंकि यह नेताजी का वीरतापूर्ण कारनामा ही था जिसने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था. गौरतलब है कि नेताजी के वंशज, इतिहासकार और कई संगठन नेताजी से संबंधित दस्तावेजों को सार्वजनिक करने को लेकर अभियान चला रहे हैं और इस बारे में आरएसएस से भी हाल ही में नेताजी के परिजनों ने मुलाकात की थी।

1 टिप्पणी:

  1. सार्थक प्रस्तुति।
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (13-01-2015) को अधजल गगरी छलकत जाये प्राणप्रिये..; चर्चा मंच 1857 पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    उल्लास और उमंग के पर्व
    लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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