गुरुवार, 4 दिसंबर 2014

भाभी ने दिया लीवर, विवि दे रहा "दर्द"

भाभी ने दिया लीवर, विवि दे रहा "दर्द"

जोधपुर। जयपुर में एक बेटी ने पिता को अपना लीवर ट्रांसप्लांट किया तो सरकार ने तत्परता दिखाते हुए उसके इलाज का सम्पूर्ण खर्च वहन करने की घोषणा कर की।

इधर ऎसा ही एक मामला जोधपुर में सामने आया है। यहां एक भाभी ने अपने देवर को लीवर दिया। लेकिन इस मामले में पीडित अब भी अपने 48 लाख रूपए के मेडिकल क्लेम के लिए तरस रहा है। यह मामला है जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर का।
the lever by law, the university is offering the "pain"

वे गत डेढ़ वर्ष से विवि के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन विवि प्रशासन मामले को लटका रहा है। यह स्थिति तब है जब विवि के पास टीचर्स वेलफेयर फंड में करोड़ों रूपए हैं। इधर इलाज में इतनी राशि खर्च होने से परिवार की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है। पीडित शिक्षक अपनी बेटी की शादी भी नहीं कर पा रहे।

विवि में भू-गर्भशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एस.के.त्रिवेदी ने दिसम्बर 2012 में गुड़गांव के मेंदाता अस्पताल में लीवर ट्रांसप्लांट कराया। डॉ. त्रिवेदी की भाभी वंदना त्रिवेदी ने अपने लीवर का 30 फीसदी हिस्सा डोनेट कर देवर की जान बचाकर मिसाल पेश की।

डॉ. त्रिवेदी ने इलाज के बाद मार्च 2013 में ऑपरेशन में खर्च हुए 48 लाख 97 हजार 652 रूपए का मेडिकल क्लेम का बिल विवि में जमा कराया। लेकिन अभी तक विवि की उदासीनता की वजह से डॉ. त्रिवेदी अपने मेडिकल क्लेम की वजह से परेशान हो रहे हैं।

शिक्षक कल्याणकारी कोष में करोड़ों रूपए
विश्वविद्यालय के जानकारों का कहना है कि विवि में शिक्षकों के लिए कल्याणकारी कोष्ा बना हुआ है। इसमें शिक्षकों को मिलने वाले मानदेय का ही आर्थिक योगदान है। इसमें वर्तमान में करोड़ों रूपए है। यदि विवि सिंडीकेट में इस प्रकरण में सहानुभूति और संवेदनपूर्वक निर्णय ले तो वह इस कोष (टीचर वेलफेयर फंड) से पूरी राशि का भुगतान कर सकती है।

बेटी का विवाह अटका
इलाज के लिए लाखों रूपए का कर्ज लिया था, जिसके ब्याज की किश्तें, हर महीने 10 हजार की दवाइयों की खर्चा और दो माह में एक बार चैकअप के गुड़गांव जाना पड़ता है। मेडिकल क्लेम की राशि नहीं मिलने की वजह से परेशान हूं। बेटी की शादी करनी है, लेकिन बेटी मेरी आर्थिक स्थिति को देखते हुए शादी करने को तैयार ही नहीं है।
- डॉ. एस.के.त्रिवेदी, एसोसिएट प्रोफेसर, जेएनवीयू

मामला सिंडीकेट में है
डॉ. त्रिवेदी का मामला सिंडीकेट में विचाराधीन है। सिंडीकेट के निर्णय के बाद मामला सरकार को भेजा जाएगा। सरकार से इसे स्पेशल केस मानते हुए अलग से अनुदान देने के लिए लिखा जाएगा। सरकार के आदेश के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
- जीएस चारण, कुलसचिव, जेएनवीयू

अब सिंडीकेट की बैठक का इंतजार
क्लेम की जांच के लिए एसएन मेडिकल कॉलेज की ओर से गठित बोर्ड ने भी अपनी रिपोर्ट में डॉ. त्रिवेदी के मामले को सही माना है। इस पर विवि ने इसे स्पेशल केस मानते हुए सिंडीकेट को रैफर कर दिया। लेकिन पिछले छह माह से तो सिंडीकेट की साधारण बैठक ही नहीं हुई।

गत 21 जून की सिंडीकेट की बैठक के एजेंडे में इसे शामिल किया गया था, लेकिन वह बैठक स्थगित हो गई। अब आगामी सिंडीकेट की बैठक में इस पर विचार करने के बाद सरकार को मामला भेजना प्रस्तावित है। इससे मामले में और विलम्ब हो सकता है। -

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