शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

राजस्थान में एक और "भंवरी" कांड?

जयपुर। 12 साल पहले जयपुर की भजन गायिका से रेप हुआ। विधायक, तात्कालीन एसपी समेत तीन लोगों ने उससे रेप किया। कोर्ट में मामला चल रहा है लेकिन आज तक उस पीडिता का कुछ पता नहीं चला।jaipur court issues arrest warrant against mla jaswant yadav and br gwala in rape case
राजधानी की अधीनस्थ अदालत ने इस सामूहिक दुष्कर्म के मामले में बहरोड़ विधायक डॉ. जसवंत यादव, अलवर के तत्कालीन एसपी बी.आर. ग्वाला और जयपुर निवासी सुमित राय को 12 मई को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। इन तीनों आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।

जयपुर महानगर की अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट-12 कोर्ट ने दुष्कर्म पीडिता के परिवाद पर यह आदेश दिया। पीडिता तीन साल से कोर्ट नहीं आ रही। इस पर कोर्ट ने उसकी हत्या की आशंका जाहिर करते हुए कहा कि उसे दूसरी भंवरी देवी तो नहीं बना दिया। उसे आसमान खा गया या जमीन निगल गई।

एसीपी स्तर की महिला अनुसंधान अधिकारी पर टिप्पणी की कि उसका कार्य तो हैड कांस्टेबल से बेकार है, पुलिस महानिदेशक उस पर क ार्रवाई करें।

इन आरोपों में प्रसंज्ञान
जसवंत यादव : सितम्बर 2002 में काशीनाथ व डॉ. गोपाल बाबू सक्सेना के साथ मिलकर सामूहिक दुष्कर्म किया। पीडिता व उसके बच्चों को मारने की धमकी दी। आईपीसी की धारा 376 (1)(2)(छ), 506।

बी.आर. ग्वाला : एसपी रहते दुष्कर्म किया और जान से मारने की धमकी दी। आईपीसी की धारा 376 (1)(2)(छ), 506।

सुमित राय : चाकू दिखाकर अपहरण, जयपुर स्थित क्लिनिक में दुष्कर्म, सिगरेट से दागा। आईपीसी की धारा 366, 376 (1)(2)(छ), 323,324।

पीडिता को दो माह में ढूंढ़ो: कोर्ट
इस मामले की एफआईआर 2002 में वैशाली नगर थाने में दर्ज हुई। शुरूआत में पुलिस ने एफआर लगा दी, लेकिन कोर्ट ने इसे नामंजूर कर मानसरोवर एसीपी सरिता बडगूजर को जांच दी।

सुनवाई के दौरान सामने आया कि नेता और अफसरों ने विधायक व तत्कालीन एसपी ग्वाला को बचाने का प्रयास किया। आशंका है कि दोनों पीडिता को कोर्ट नहीं पहुंचने देंगे। तीनों अभियुक्त हाजिर नहीं हुए तो गलत संदेश जाएगा।

कोर्ट ने कहा कि दो माह में पीडिता को नहीं खोजा, तो आरोपियों के खिलाफ हत्या व सबूत नष्ट करने के आरोप जोड़े जाएं और पीडिता की तलाश एडीजी एन्टी ह्यूमन ट्रेफिकिंग सेल से कराई जाए।

कोर्ट के सवाल
एसीपी बडगूजर का काम अनुसंधान अधिकारी जैसा नहीं।

एसीपी ने पीडिता को ब्ल्ौकमेलर ठहराने का काम किया।

एसीपी ने आरोपी यादव के पास जाए बिना ही फोन पर निर्दोष्ा बताने को अटल सत्य मान लिया।

एसीपी ने पुलिस अधिकारी ग्वाला से तो बात ही नहीं की

पुलिस पीडिता को तो अपमान की नजरों से देखती है, इस मामले में एसीपी मौके पर ही नहीं गई।

पीडिता ष्ाड्यंत्र का शिकार तो नहीं हो गई, इसका जयपुर व अलवर पुलिस के पास जवाब नहीं है। 

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