शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

सीकर में उलझे "सियासत" के समीकरण

सीकर। सीकर संसदीय क्षेत्र में भाजपा के बागी के कारण मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। जाट बहुल सीट होने के बावजूद समीकरण पूरी तरह उलझे हुए हैं। वहीं, माकपा के अमराराम मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने की कोशिश में हैं। "आम आदमी पार्टी" भी अपने उम्मीदवार मेजर सुरेंद्र के जरिए उपस्थिति दर्ज कराने को बेताब दिख रही है। sikar lok sabha seat become triangular
भाजपा ने सुमेधानंद को टिकट दिया है। लोग इन्हें बाबा पुकारते हैं। मूलत: हरियाणा का होने के कारण विपक्षी इन्हें बाहरी बताकर प्रचार कर रहे हैं। इनकी उम्मीदवारी का भाजपा के बड़े गुट ने विरोध किया था।

जिलाध्यक्ष हरिराम रणवां भी विरोध में थे। सुमेधानंद को टिकट के विरोध में यहां से पूर्व सांसद सुभाष महरिया तो बगावत कर खुद ही मैदान में कूद पड़े। महरिया को वसुंधरा राजे का नजदीकी माना जाता है। सुमेधानंद के नामांकन के समय हुई सभा में राजे ने एक बार भी महरिया का न तो नाम लिया और ना उनकी बगावत पर कोई बात की। इसे लेकर भी सीकर कई चर्चाएं हैं।

इस बार मोदी साब
क्षेत्र मं मतदाताओं की नब्ज टटोलने मंगलवार सुबह ही निकला। सामोद की पहाड़ी के नजदीक एक होटल पर चाय पी। दुकानदार मनोज से बात हुई, तो उसने सीधे शब्दों में कहा, इस बार मोदी साब। सबको परख लिया, अब बस मोदी साब से कुछ उम्मीद है। आगे अजीतगढ़ रोड पर बढ़ा। यहां राजेद्र नामक युवक ने कहा, भाजपा के बाबा को अपने दम पर नहीं, बल्कि मोदी के नाम पर वोट मिलेंगे।

अब मैं कल्याणपुरा पहुंच चुका था। यह इलाका श्रीमाधोपुर विधानसभा क्षेत्र में आता है। यहां एक दुकान पर दो युवक बैठे थे। एक प्रदीप राजपूत और प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत जितेन्द्र। प्रदीप ने कहा, राहुल गांधी का सिक्का चलेगा, जितेन्द्र ने काटा और कहा, गांधी धरा रह जाएगा मोदी के आगे। देश को कांग्रेस ने महंगाई व भ्रष्टाचार के अलावा दिया क्या है।

अटल जी के समय पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े थे क्या? अब हर महीने बढ़ रहे हैं। प्रदीप से रहा नहीं गया और कहा, कर्मचारियों की तनख्वाह भी तो बढ़ रही है। महंगाई कोई मुद्दा नहीं है। भ्रष्टाचार तो सभी कर रहे हैं। जाटों के वोट तीनों जाट उम्मीदवारों में बंट जाएंगे। फिर अल्पसंख्यक व दलितों के वोट के दम पर कांग्रेस जीतेगी।

अच्छे हाथों में हो नेतृत्व
इसके बाद कांवट होते हुए नीम का थाना पहुंचा। किराना की दुकान पर बैठे बुजुर्ग रतनलाल पंसारी ने कहा, कोई जीते-हारे हमें क्या? चुनावी मुद्दे की बात पर उनका दर्द उभर आया और बोले, महंगाई व भ्रष्टाचार। नेतृत्व अच्छे हाथों में हो तो ही देश का भला हो सकेगा। यहां तो वसुंधरा व नरेंद्र मोदी का ही असर है। हम यह नहीं कह रहे कि राहुल गांधी में नेतृत्व की कमी है, लेकिन उन्हें अगली बार परखेंगे।

नए को मौके की चाहत
अगला पड़ाव था खण्डेला। यह पूर्व मंत्री महादेव सिंह खण्डेला का गांव है। यहां मेरी मुलाकात अजीत कुमार शर्मा से हुई। दुकान पर उनका बेटा भी साथ था। अजीत बताते हैं कि रोज करीब 100 ग्राहक आते हैं। लोगों में महिलाओं की सुरक्षा नहीं होने को लेकर जबरदस्त आक्रोष है।

दिल्ली गैगरेप की घटन के बाद भी हालात वैसे ही हैं। लोगों का सरकारों पर से विश्वास उठ गया। अब नए नेता को परखना चाहते हैं। यहां से रींगस पलसाना होते हुए सीकर पहुंच गया। सीकर, धोंद, दातारामगढ़ में हर तबके के लोगों से बात हुई। सबने खुलकर तो कुछ नहीं बोला, लेकिन वे चाहते थे कि देश का नेतृत्व मजबूत हाथों में हो। - 

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