शनिवार, 14 अप्रैल 2012

एक हसीना, जिसका काम करोड़पति लड़कों को फंसाना

simran-sood.jpg 

बहुचर्चित अरुण टिक्कू हत्याकांड में पुलिस के फंदे में मॉडल सिमरन सूद फंस गई है। पुलिस का कहना है कि सिमरन उसी विजय पलांडे गैंग की सदस्य है, जिसने पिछले हफ्ते ऐक्टर अनुज टिक्कू के पिता अरुण टिक्कू की हत्या की थी। पुलिस के मुताबिक सिमरन का असली पेशा मॉडलिंग नहीं, बल्कि फिल्मी दुनिया में नाम और शोहरत कमाने आए करोड़पति लड़कों को फंसाकर लूटना है।

पुलिस ने टिक्कू मर्डर केस में गिरफ्तार विजय पलांडे ,धनंजय शिंदे और मनोज शेट्टी से पूछताछ की तो बार-बार सिमरन सूद का नाम आया। जब सिमरन से पूछताछ की गई तो सनसनीखेज जानकारियां मिलीं। पता चला कि सिमरन के तार करन कक्कड़ के अपहरण से भी जुड़े हैं। आरोप है कि सिमरन ने मुंबई में प्रड्यूसर बनने की कोशिश में जुटे दिल्ली के करन कुमार कक्कड़ (28 साल) का अपने तीन गैंगस्टर साथियों की मदद से पहरण किया। ये तीनों गैंगस्टर पहले से ही अरुण कुमार टिक्कू की हत्या के मामले में गिरफ्तार किए जा चुके हैं। पुलिस के मुताबिक , सिमरन सूद ने विजय पलांडे , धनंजय शिंदे और मनोज शेट्टी की मदद से 5 मार्च को करन को अगवा कर लिया। करन कक्कड़ अपनी बीएमडब्ल्यू कार के साथ गायब हो गए। इसके अलावा करन के पास सोने की जूलरी , आईपॉड , मोबाइल और लैपटॉप भी था , जिनकी कीमत करीब 45 लाख रुपये आंकी गई है। बॉलिवुड में जमने की कोशिश कर रहे करन कक्कड़ ने अपने भाई अनीस से पांच मार्च को कहा था कि वह जल्द ही एक बहुत बढ़िया फिल्म प्रड्यूस करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि वह मॉडल सिमरन सूद से मिलने जा रहे हैं। करन के भाई ने 10 मार्च को पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। ऐक्ट्रेस की हिस्ट्री सिमरन के बारे में कहा जाता है कि उसी ने पलांडे का परिचय अरुण टिक्कू के बेटे अनुज से कराया था। पुलिस का दावा है कि यह सिमरन कोई और नहीं , सन 1999 की सिमी है। 1998 में अनूप दास और उनके पिता स्वराज का मर्डर हुआ था। यह केस अब के डीसीपी अंबादास पोटे और एसीपी सुनील देशमुख ने करीब एक साल बाद एक चेकबुक के आधार पर डिटेक्ट किया था। सिमी और पलांडे ने अनूप दास के पिता स्वराज के वर्सोवा स्थित बैंक अकाउंट से 5 लाख 10 हजार रुपए निकाले थे और फिर सिमी ने संगीता नामक दूसरी महिला के साथ मिलकर बोरिवली की ऑरियंटल बैंक ऑफ कामर्स में जॉइंट अकाउंट खोलकर उसमें 5 लाख 10 हजार रुपये जमा कराए थे। वर्सोवा के बैंक से 5 लाख रुपये निकालने से पहले स्वराज के फर्जी दस्तखत कर एक नई चेकबुक इशू कराई गई थी। एसीपी सुनील देशमुख ने एनबीटी से कहा कि अनूपदास के मर्डर के वक्त सिमी बहुत कम उम्र की थी। देशमुख के अनुसार , उन्हें लगता है कि आज की सिमरन सूद कोई और नहीं , तब की सिमी है।

विजय पलांडे की क्राइम हिस्ट्री
अनूप और स्वराज दास के मर्डर में सन् 1999 में गिरफ्तारी के चार साल बाद यानी सन 2003 में जब विजय पलांडे एक महीने के परोल पर बाहर आया था , उस वक्त उसने अपना नाम बदलकर किरण राणा कर लिया था। विजय पलांडे परोल पर आने के अंधेरी के चार बंगला इलाके में नाम बदलकर किरण राणा के रूप में रहा। इंस्पेक्टर प्रदीप सूर्यवंशी ने उस घर पर छापा डाला , जहां विजय पलांडे रह रहा था , पर पलांडे सूर्यवंशी से इस बात के लिए लगातार झूठ बोलता रहा कि वह विजय पलांडे नहीं , बल्कि किरण राणा है , लेकिन सूर्यवंशी के आगे उसकी नहीं चली और उसे वापस जेल भेज दिया गया। अनूप और स्वराज मर्डर में सजा काटने के बाद सन 2009 में विजय पलांडे जब जेल से बाहर आया , तो उसने अपना नाम फिर बदल लिया। इस बार उसने किरण से नाम बदलकर करन कर दिया और सरनेम राणा से सूद। पुलिस सूत्रों का कहना है कि सन 2003 में परोल पर छूटने के बाद विजय पलांडे चार बंगले में किसी और के नहीं , बल्कि आज की सिमरन के घर में ही रुका था। सन् 2009 में भी जब वह जेल से बाहर आया , तो कहा जाता है कि वह सिमरन के साथ ही रहा।

बाद में सिमरन ने उसकी मुलाकात पिछले शनिवार को मारे गए अरुण टिक्कू के अभिनेता बेटे अनुज से कराई थी। अनुज और सिमरन का परिचय बॉलिवुड के एक सिंगर द्वारा दी गई पार्टी में हुआ था। अरुण टिक्कू मर्डर में सिमरन की क्या कोई भूमिका थी , या वह साजिश में शामिल थी भी कि नहीं , पुलिस ने इस बात का कोई खुलासा नहीं किया है , पर पुलिस सूत्रों का यह दावा जरूर है कि विजय पलांडे उसी तर्ज पर पहले अनुज का कत्ल करनेवाला था , जिस तरह से उसने सन् 1998 में अनूप दास का कत्ल किया था। उसकी प्लानिंग थी कि अनुज को इस तरह मारा जाए कि ऐसा लगे कि उसने खुदकुशी की है या ऐसा आभास हो कि उसकी मौत ऐक्सिडेंट में हुई है।

मर्डर का तरीका
पिछले सप्ताह अनुज टिक्कू को विजय पलांडे एक गाड़ी में बैठाकर उसी चिपलून इलाके में ले गया था , जहां सन 1998 में वह गाड़ी में बैठाकर अनूप दास को ले गया था। अनूप दास को गाड़ी में बिठाने के बाद उसने उसकी दोनों हाथों की नसें काट दी थीं और फिर उसके कत्ल के बाद गाड़ी को एक झाड़ी के नीचे इस तरह गिरा दिया था कि लगे गाड़ी ऐक्सिडेंट की वजह से नीचे गिरी है। बाद में उसने गाड़ी को डीजल से जला भी दिया , ताकि ऐसा आभास हो कि ऐक्सिडेंट के बाद गाड़ी के फ्यूल टैंक में लगी आग से गाड़ी जली हो। शुरू में जांच अधिकारियों को ऐसा लगा भी , लेकिन एक चेक-बुक से पकड़ी गई सिमी के जरिए जब एमबीए पास और कभी आईएएस की परीक्षा में बैठ चुका विजय पलांडे पकड़ा गया , तो अनूप दास के ऐक्सिडेंट के जरिए किए गए मर्डर का असली सच सामने आ गया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें