गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

बाड़मेर ये कैसा महिला राज ,महिला कलेक्टर का अनुभव आम जनता को रास नहीं आया दो पहलू जरूर पढ़े

बाड़मेर ये कैसा महिला राज ,महिला कलेक्टर का अनुभव आम जनता को रास नहीं आया दो  पहलू  जरूर पढ़े 
एक पहलू बाड़मेर। कन्या भ्रूण हत्या के लिए कुख्यात रहे बाड़मेर जिले में महिला शक्ति को कभी पनपने नहीं दिया, थर रेगिस्तान में महिलाओ को हमेशा दोयम दर्जा ही दिया गया। मगर आज शिक्षा और जागरूकता ने परम्परागत बाड़मेर के हालत बदल दिए। जहां महिला प्रशासनिक अधिकारियो तथा जन प्रतिनिधियों की शक्ति विकेंद्रीकृत हुई। आज़ादी के बाद से पहली बार जिला पुलिस अधीक्षक लावली कटियार डॉ. वीणा प्रधान जिला कलेक्टर, वीनिता सिंह उप खंड अधिकारी गुडा,उप खंड अधिकारी सिवाना चंचल वर्मा अभिलाषा विकास अधिकारी सिवाना श्रीमती मदन कौर जिला प्रमुख ,धाई देवी प्रधान ,उषा जैन नगर पालिका अध्यक्ष ...पहली बार बाड़मेर घूंघट की औत से बहार निकला ..महिला अधिकारियो और जनप्रतिनिधियों के बीच महिलाये अपने आप को सहज महसूस करती हैं।
पर्दा प्रथा से बंधी बाड़मेर जिले की महिलाओं के लिए अब यहां विभिन्न पदों पर काबिज महिला अफसरों ने सशक्तिकरण की लौ जगाई है। एक समय बेटियों को जन्म लेते ही मार देने के लिए कुख्यात रहे सीमावर्ती इलाके में तैनात इन अफसरों में जज्बा है कि वे महिला सशक्तीकरण को लेकर जिले में बेहतरीन कार्य करेंगी।
महिलाएं भी खुलकर अपनी बात प्रशासन व सरकार तक पहुंचाने के लिए आशान्वित हैं। राज्य सरकार ने पूर्व मे डॉ. वीणा प्रधान को यहां कलक्टर लगाया था अब पुलिस अधीक्षक के महत्वपूर्ण पद पर भी महिला अधिकारी को काबिज किया हे .


दूसरा पहलू यह भी इससे पूर्व नियुक्त महिला जिला कलेक्टर ने पद भार ग्रहण करने के साथ जनता के सामने विकास की जो आशाए जगाई वो अब धूमिल हो चुकी हे महिला कलेक्टर को नाच गानों ,धार्मिक परवर्तियो से फुर्सत नहीं मिलाती ,मीडिया मे फोटो के चक्कर मे सरकार विरोधी गतिविधियों मे भी आसानी से शामिल हो जाती हे चाहे वो शरामिको की सरकार के खिलाफ चौहटन मे रेली हो या जिला मुख्यालय पर सरकार विरोधी पोस्टरों का विमोचन हो बढ़ चढ़ के हिस्सा लिया अनेक समारोह मे खुले आम नाचना उनकी फितरत हो गयी नाचना बुरी बात नहीं मगर जिस पद पर आप बेठी हे वंहा यह सब शोभा नहीं देता ,बाड़मेर मे विकास कार्य ठप्प पड़े हे कलेक्ट्रेट मे अनुशासन और कर्तव्य निष्ठा नमक कोई चीज नहीं ,कारिंदे अपनी मनमर्जी करते हें भरष्टाचार ज़बरदस्त बढ़ गया ,कराम्चारियो पर तनिक पकड़ नहीं हमने एक दर्जन से अधिक जिलाधीशो को देखा हे ,महिला कलेक्टर की नियुक्ति पर सबसे अधिक ख़ुशी मुझे हुई थी मे सबसे पहले उनसे मिला था बाड़मेर की लाइफ लाइन और समस्याओ को बताया था शुरू मे उनकी दबंगता के आगे हम भी नतमस्तक थे ,समय गुजरने के साथ राजनेताओ के चक्कर मे बाड़मेर का विकास अवरूध हो गया ,बाड़मेर के हल किसी से छुपे नहीं ,अधीनस्थ अधिकारी पैसा जोड़ने मे लगे हें कोई अंकुश नहीं ,यह देख दिल रोता हे कुछ लिखो तो मामले दर्ज कराने की धमकिया मिलाने लग जाती हे हम सच्चे लोग हे सच्चाई लिखने मे कतराते नहीं चाहे कुछ हो जाए सचाई आपको बता दी फेसला आपको करना हें । वहीं कस्टम कमिश्नर, उपखंड अधिकारी व विकास अधिकारी पद पर भी महिलाएं हैं।--

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