शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

कोर्ट ने करवाई पहली लेस्बियन शादी

कोर्ट ने करवाई पहली लेस्बियन शादी 
 

गुड़गांव। भारत में भले ही अभी तक समान लिंग वालों की शादी को कानूनी तौर पर मान्यता नहीं मिली है लेकिन गुड़गांव की एक अदालत ने दो लड़कियों की शादी करवा कर उसे कानून मान्यता दे दी। गुड़गांव की सत्र अदालत ने बागपत के खेड़ागांव की रहने वाली बीना और सविता की शादी को मान्यता देते हुए पुलिस को उनको सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया है।

अदालत ने 2009 के पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश का पालन करते हुए दोनों की शादी को मान्यता दी है जिसमें सभी जिला एवं सेशन न्यायाधीशों को घर से भागने वाले जोड़ों को हर तरह की मदद देने को कहा गया था। बीना और सविता शादी के लिए घर से भाग गई थी। सविता की पहले एक पुरूष से शादी हो चुकी है लेकिन बागपत की खाप पंचायत ने उस शादी को रद्द करवा दिया था।

यह जानते हुए कि भारत में अभी भी इस तरह की शादियां कानूनी रूप से मान्य नहीं है, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विमल कुमार ने दोनों के बयान दर्ज करवा लिए। बयान के मुताबिक सविता और बीना ने 22 जुलाई 2011 को अपनी मर्जी से शादी की है। शादी के लिए उनके ऊपर किसी का दबाव नहीं है और न ही किसी लालच के कारण वे ऎसा कर रही हैं। सविता और बीना ने गुड़गांव के एक पब्लिक नोटेरी के यहां शादी के लिए शपथपत्र बनवाया था। गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि समलैंगिक सम्बन्ध रखना कोई अपराध नहीं है। 

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