शनिवार, 30 जुलाई 2011

आचार्य लोकेश को सांप्रदायिक सद्भावना पुरस्कार


आचार्य लोकेश को सांप्रदायिक सद्भावना पुरस्कार

विज्ञान भवन में समारोह में उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की मौजूदगी में प्रशस्ति पत्र व दो लाख रुपए प्रदान किए 


बाड़मेर जिले के पचपदरा के जन्मे जाए एवं अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य डॉ. लोकेश मुनि को शुक्रवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भावना पुरस्कार प्रदान किया गया। उप राष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की मौजूदगी में उन्हें वर्ष 2010 के लिए घोषित इस पुरस्कार के तहत उन्हें प्रशस्ति पत्र व दो लाख रुपए का चैक प्रदान किया।
 

इस मौके पर आचार्य लोकेश की ओर से अहिंसा, शांति एवं सद्भाव की अलख जगाने के लिए देश ही नहीं, दुनिया के कई देशों में चलाए गए कार्यक्रमों की सराहना की गई। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का संदेश भावी पीढ़ी को दिया जाना चाहिए। भारत विविधता में एकता का संदेश पूरी दुनिया को देता रहा है। उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि आचार्य लोकेश ने कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान चलाने सहित अहिंसा का संदेश फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आचार्य लोकेश ने कहा कि यह पुरस्कार वे देश की भावी पीढ़ी को समर्पित करते हैं। इससे पहले गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने स्वागत भाषण दिया तथा गृह राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने धन्यवाद दिया। इस पुरस्कार के लिए आचार्य लोकेश का चयन उप राष्ट्रपति की अध्यक्षता वाले निर्णायक मंडल ने किया था।
 

पचास वर्षीय आचार्य लोकेश वक्ता लेखक और समाज सुधारक है। आचार्य लोकेश हिंदू मुस्लिमों के बीच सदभावना को बढ़ावा देने, 2007 में डेरा सच्चा सौदा विवाद को सुलझाने व 2008 में हिंसक हो उठे। गुर्जर आंदोलन खत्म कराने में अहम भूमिका निभा चुके हैं।
 

उन्होंने राष्ट्रीय चरित्र निर्माण, मानवीय मूल्यों के उत्थान व नैतिक मूल्यों के प्रचार प्रसार के लिए 20 हजार से अधिक किलोमीटर की पदयात्राएं की हैं। गुलजारीलाल नंदा फाउंडेशन उन्हें नैतिक सम्मान व भारत निर्माण संगठन भास्कर पुरस्कार के साथ कैलिफोर्निया की असेंबली उन्हें की टू सिटी अवार्ड से सम्मानित कर चुकी है।

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