रविवार, 5 जून 2011

बाबा कि गिरफ्तारी पर विश्व मीडिया ने यह कहा


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शनिवार रात दिल्ली पुलिस ने रामलीला मैदान में अनशन कर रहे बाबा रामदेव के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें जबरन अनशन स्थल से हटा दिया। देर रात हुई इस कार्रवाई में बाबा रामदेव के समर्थकों पर भी पुलिस ने बल प्रयोग किया। बाबा रामदेव को जबरन अनशन से हटाए जाने से जहां भारतीय मीडिया और राजनीतिक जगत में सनसनी मच गई वहीं विदेशी मीडिया ने भी बाबा रामदेव की गिरफ्तारी की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया।

फोर्ब्स पर प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि योग के जरिए भारत में क्रांति लाने वाले चमत्कारी लेकिन विवादस्पद योग गुरु बाबा रामदेव की भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार को मिटाने की मुहिम को पुलिस ने झटका दिया है। योग गुरु को देर रात अनशन स्थल से हटा दिया गया। अल जजीरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पुलिस ने तोड़ा बाबा रामदेव का अनशन।  रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के सबसे प्रसिद्ध योग गुरु के भ्रष्टाचार के खिलाफ सत्याग्रह को पुलिस ने तोड़ दिया। पुलिस ने न सिर्फ बाबा रामदेव को गिरफ्तार किया बल्कि उनके समर्थकों पर आंसू गैस के गोलो भी छोड़े।  

न्यूजीलैंड की वेबसाइट थ्री न्यूज ने कहा है कि भारतीय योग गुरु रामदेव को सुरक्षा कारणों से गिरफ्तार किया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार और रामदेव के बीच समझौते की खबर के घंटों बाद ही उनके खिलाफ बलपूर्व कार्रवाई की गई। अमेरिकी समाचार वेबसाइटों हफिंग्टन पोस्ट, एबीसी ऑनलाइन, वाशिंग्टन पोस्ट और कई अन्य वेबसाइटों ने भी बाबा के खिलाफ कार्रवाई पर विस्तृत कवरेज दी है।पतंजलि में प्रेस कांफ्रेंस में 

बाबा रामदेव ने कहा कि सरकार की उन्हें मार डालने की साजिश थी। 

उन्होंने बताया कि 3 जून को ही पत्र नहीं लिखने पर उन्हें परिणाम भुगतने की धमकी दी गई थी। योगगुरु रामदेव ने बताया कि उन्हें गायब या एनकाउंटर करने की साजिश रची गई थी। बाबा रामदेव ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि अगर मुझे कुछ भी होता है तो उसके लिए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार होगी।
बाबा ने मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल पर सीधे निशाना साधते हुए उन्हें एक कुटिल व्यक्ति करार दिया। उन्होंने कहा कि 3 जून को दिल्ली के क्लैरिज होटल में हुई मीटिंग में आचार्य बालकृष्ण पर दबाव डालकर पत्र लिखवाया गया।
बाबा ने कहा कि 4 जून की रात सबसे काली रात थी। उन्होंने बताया कि वहां जलियांवाला बाग से भी ज्यादा बर्बर कार्रवाई हुई, वहां हजारों लोगों की लाशें बिछ सकती थी। अभी भी कई लोग अस्पतालों में बेहद बुरी हालत में हैं।
बाबा रामदेव ने बताया कि वे दो घंटे तक एक दीवार के सहारे बैठे रहे और मैं इस बर्बर हालत में मरना नहीं चाहता था, हालांकि मैं मरने से डरता नहीं हूं। उन्होंने सोनिया पर निशाना साधते हुए कहा कि मुझे लगता था कि वे देश की बेटी नहीं तो क्या बहू तो हैं, इसलिए देश को समझती होंगी। उन्होंने कहा कि रिमोट उन्हीं के हाथ में है।
 


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 अन्ना हजारे 

गांधीवादी समाजसेवक अन्ना हजारे ने योग गुरु बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर की गई पुलिस कार्रवाई को 'लोकतंत्र का गला घोंटने' की घटना करार दिया है।

भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान में शनिवार सुबह शुरू हुए बाबा रामदेव के अनशन के संदर्भ में अन्ना हजारे ने कहा कि विरोध प्रदर्शन करना अपराध नहीं है। इससे केवल लोकतंत्र मजबूत होता है।
पुलिस द्वारा बाबा रामदेव और उनके हजारों समर्थकों को अनशन स्थल से जबरन हटाए जाने के कुछ ही घंटे बाद अन्ना हजारे ने कहा, लेकिन आधी रात को पुलिस भेजने और लोगों को पीटने की क्या जरूरत थी? उन्होंने कहा कि यह घटना लोकतंत्र पर कलंक है।
उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव के आंदोलन की कुछ कमजोरियां हो सकती हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि लोगों को पीटा जाए और रात में पुलिस कार्रवाई क्यों की गई? वहां महिलाएं और बच्चे भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि सभी लोगों को इसका विरोध करना चाहिए। मदद के लिए किसी भी राजनीतिक दल की ओर मत देखें। भविष्य में होने वाला आंदोलन और बड़ा तथा सबक सिखाने वाला होना चाहिए।
 









1 टिप्पणी:

  1. बाबा रामदेव-ढोल की पोल
    यह बात उसी समय स्पष्ट हो गई थी जब राजनीति के धुरंधर माने जाने वाले श्री कपिल सिब्बल एवमं श्री सुबोधकांत सहाय के साथ गुप्त रूप से समझौता कर लेने के बाद योगी-ढोंगी बाबा रामदेव का पांच सितारा सत्याग्रह विवाद के घेरे में आ गया। देश की करोड़ों जनता को धोखा देने वाले अविश्वासी बाबा के विश्वास पात्र आचार्य बालकृष्ण जी का लिखा पत्र देखकर सारी दुनिया चकित रह गई। पहले ही सत्याग्रह के नाम पांच सितारा पंडाल को लेकर एक लम्बी बहस को बाबा ने जन्म दे दिया। अब किस मुँह से ‘विश्वासघात और धोखेबाजी’ का आरोप सरकार पर मंढ़ रहे हैं? बाबा! । बाबा जी द्वारा अनशन के ठीक पहले दिन की गई गुप्त बैठक का गुप्त एजेन्डा सरकार की दो तरफा चाल का एक हिस्सा था। एक अन्ना हजारे समूह को कमजोर कर उनमें फूट डालना, दूसरा बाबा को सामने लाकर बाबा से गुप्त समझौते के तहत अन्ना हजारे द्वारा तैयार किये जा रहे मौसदे में विवाद पैदा करने के लिए तीसरे पक्ष को सामने खड़ा करना। जब बाबा ने इस गुप्त समझौते में इस बात की मांग रखी कि उनके द्वारा संचालित न्यास एवं ट्रस्ट को बैगर क्षति पंहुचाये सरकार उनको अन्ना हजारे के समकक्ष प्रधानता प्रदान करें। बस क्या था बाबा की कमजोर नस को राजनीति के खिलाड़ी तत्काल भांप गये कि यह योग बाबा योगी नहीं,
    1.बाबा को यह बताना चाहिये कि उनको गुप्त बैठक करने की क्या जरूरत पड़ गई जिसमें उनके साथ एक भी दूसरा जन प्रतिनिधि नहीं था? सिर्फ उनके संस्थान का ही एक सदस्य क्यों था?
    2.लाखों के इस भव्य पंडाल की योजना किसके अनुमति से और क्यों बनाई गई?
    3.बाबा जी के साथ एक भी सामाजिक कार्यकर्ता क्यों नहीं है, सिर्फ धार्मिक लोगों में भी तीसरी या चौथी श्रेणी के लोगों की ही भरमार है।
    4.बाबा के इस आंदोलन को किस समूह द्वारा चलाया जा रहा है। उनके नामों को अभी तक सामने क्यों नहीं लाया गया

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