बिलासपुर.कोई आपसे किसी संख्या को शून्य से भाग देने के लिए कहे, तो लगेगा मानो आसमान से तारे तोड़ने के लिए कह दिया हो। बड़े से बड़े गणितज्ञ हार गए, लेकिन वे यह तरीका नहीं ढूंढ़ सके। कैलकुलेटर और कंप्यूटर तक मात खा गए।
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के 11वीं के छात्र अंकुर तिवारी न सिर्फ शून्य से भाग के रहस्य को सुलझा लिया है, बल्कि इस पर किताब भी लिखी है। शून्य का रहस्य’ नामक इस किताब में इस रहस्य को विस्तार से समझाया गया है। अंकुर की इस सफलता की सीबीएसई ने सराहना की है। वहीं अमेरिकी एम्बेसी ने स्कॉलरशिप की पेशकश की है। मां मधु तिवारी व पिता सहायक कृषि विस्तार अधिकारी मोहन मुरारी तिवारी अंकुर की सफलता से बेहद खुश हैं। अंकुर को गणित हल करना, पुरानी कृतियों को पढ़ना और उसे आधुनिक तकनीक के जरिए हल करना खास पसंद है। वह आगे चलकर देश का राष्ट्रपति बनना चाहता है।
वेबसाइट पर भी सूत्र उपलब्ध :
अंकुर ने अपनी वेबसाइट http://www.bnrf.co.cc पर भी भारतीय न्यू रूल फॉर फ्रेक्शन से संबंधित सभी जानकारियां उपलब्ध कराई हैं।
किताब में स्पष्ट किया रहस्य
अंकुर ने किसी भी संख्या को शून्य से भाग देने का सूत्र बनाया है। इस सूत्र का नाम ‘भारतीय न्यू रूल फॉर फ्रेक्शन’ रखा है। ब्रrागुप्त (598-665 ई.) ने ‘ब्रrास्फुट सिद्धांत’ में शून्य से भाजित शून्य का मान ‘शून्य’ बताया था। आधुनिक गणित में इस सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया जाता। अंकुर ने किसी भी संख्या को शून्य से भाग देने की तकनीक अपनी किताब ‘मिस्ट्री ऑफ जीरो’ और इसके हिंदी संस्करण ‘शून्य का रहस्य’ में स्पष्ट की है।
क्लास से सवार हुई धुनमहर्षि विद्या मंदिर में 9वीं की क्लास चल रही थी। मैथ्स के टीचर अपना पीरियड ले रहे थे। तभी एक स्टूडेंट ने उनसे पूछ लिया, ‘सर, किसी संख्या को शून्य से भाग दें तो?’ टीचर ने समझाया, ‘शून्य से भाग देने के लिए आज तक सूत्र ही नहीं बना है। ब्रह्मगुप्त ने इसका जिक्र किया है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है।’ यही से अंकुर के दिमाग में यह सूत्र चढ़ गया।
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के 11वीं के छात्र अंकुर तिवारी न सिर्फ शून्य से भाग के रहस्य को सुलझा लिया है, बल्कि इस पर किताब भी लिखी है। शून्य का रहस्य’ नामक इस किताब में इस रहस्य को विस्तार से समझाया गया है। अंकुर की इस सफलता की सीबीएसई ने सराहना की है। वहीं अमेरिकी एम्बेसी ने स्कॉलरशिप की पेशकश की है। मां मधु तिवारी व पिता सहायक कृषि विस्तार अधिकारी मोहन मुरारी तिवारी अंकुर की सफलता से बेहद खुश हैं। अंकुर को गणित हल करना, पुरानी कृतियों को पढ़ना और उसे आधुनिक तकनीक के जरिए हल करना खास पसंद है। वह आगे चलकर देश का राष्ट्रपति बनना चाहता है।
वेबसाइट पर भी सूत्र उपलब्ध :
अंकुर ने अपनी वेबसाइट http://www.bnrf.co.cc पर भी भारतीय न्यू रूल फॉर फ्रेक्शन से संबंधित सभी जानकारियां उपलब्ध कराई हैं।
किताब में स्पष्ट किया रहस्य
अंकुर ने किसी भी संख्या को शून्य से भाग देने का सूत्र बनाया है। इस सूत्र का नाम ‘भारतीय न्यू रूल फॉर फ्रेक्शन’ रखा है। ब्रrागुप्त (598-665 ई.) ने ‘ब्रrास्फुट सिद्धांत’ में शून्य से भाजित शून्य का मान ‘शून्य’ बताया था। आधुनिक गणित में इस सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया जाता। अंकुर ने किसी भी संख्या को शून्य से भाग देने की तकनीक अपनी किताब ‘मिस्ट्री ऑफ जीरो’ और इसके हिंदी संस्करण ‘शून्य का रहस्य’ में स्पष्ट की है।
क्लास से सवार हुई धुनमहर्षि विद्या मंदिर में 9वीं की क्लास चल रही थी। मैथ्स के टीचर अपना पीरियड ले रहे थे। तभी एक स्टूडेंट ने उनसे पूछ लिया, ‘सर, किसी संख्या को शून्य से भाग दें तो?’ टीचर ने समझाया, ‘शून्य से भाग देने के लिए आज तक सूत्र ही नहीं बना है। ब्रह्मगुप्त ने इसका जिक्र किया है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है।’ यही से अंकुर के दिमाग में यह सूत्र चढ़ गया।
weldone ankur...we proud on you.
जवाब देंहटाएंअंकुर को शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंचन्दन सा
जवाब देंहटाएंये वर्ड वेरिफिकेशन हटा दीजिये ताकि कमेन्ट करने वालों को तकलीफ ना हो |
welldone ankur we proud of u.
जवाब देंहटाएंwill u tel me what is formula .......?