बाड़मेर सेजल व बीकानेर की चित्रा ने त्यागा सांसरिक जीवन:साध्वी बनने के साथ खुशी से झूमीं; हजारों आंखों ने निहारा संयम महोत्सव

 बाड़मेर सेजल व बीकानेर की चित्रा ने त्यागा सांसरिक जीवन:साध्वी बनने के साथ खुशी से झूमीं; हजारों आंखों ने निहारा संयम महोत्सव




बाड़मेर में मुमुक्षु सेजल बोथरा और बीकानेर की चित्रा पारख ने दीक्षा ली। कार्यक्रम शहर के महावीर वाटिका प्रांगण में हुआ। पंचम पद दीक्षा महोत्सव समिति के तत्वावधान में यह आयोजन हुआ। सेजल बोथरा और चित्रा पारख ने आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वर, आचार्य जिनकलाप्रभसूरीश्वर, साध्वी डॉ. विधुत्प्रभा, गुरू मां साध्वी कल्पलता और कई संत-साध्वियों की मौजूदगी में दीक्षा ली।


दीक्षा के तीन दिन के कार्यक्रम का आज रविवार को तीसरा दिन था। बीकानेर की चित्रा पारख और बाड़मेर की सेजल बोथरा की भागवती दीक्षा हुई है। सेजल पवनकुमार भंवरलाल आदमल बोथरा परिवार से हैं। बाड़मेर, सांचोर जैन श्रीसंघ के तत्वाधान में कार्यक्रम हुआ।

दीक्षा के बाद सेजल बोथरा का नाम साध्वी साहित्यनिधिश्री और चित्रा पारख का नाम साध्वी अर्पणनिधिश्री के नाम की घोषणा आचार्यश्री ने की।


पंचम पद दीक्षा महोत्सव समिति के संयोजक मांगीलाल बोथरा ने बताया- महावीर वाटिका में शुभ मुहूर्त में चित्रा व सेजल को विधि-विधान और मंत्रोच्चार के साथ दीक्षा दी गई। जैसे ही खरतरगच्छाधिपति ने मंत्रोच्चार के साथ रजोहरण प्रदान किया, वैसे चित्रा और सेजल खुशी से झूम उठीं।

कुछ पल पहले तक दोनों सोने की ज्वेलरी और मंहगे वस्त्रों में नजर आ रही थीं, अब साध्वी अर्पणनिधिश्री और साध्वी साहित्यनिधिश्री के रूप में दिखी तो हजारों आखें नम हो गई। दोनों ने साध्वी कल्पलता का शिष्यत्व स्वीकार किया।

चित्रा पारख बनी साध्वी अर्पणनिधि और सेजल बनी साध्वी साहित्यनिधि श्री

चित्रा पारख बीकानेर के सुनील पारख की बेटी हैं। वहीं सेजल पवनकुमार भंवरलाल बोथरा परिवार से हैं।

रविवार को अष्टप्रकारी पूजा, स्नात्र पूजा के बाद दीक्षा मण्डप में दोनों आईं, जहां आचार्यश्री ने दीक्षा का विधि विधान प्रारंभ किया। रजोहरण के बाद रंग बिरंगे वस्त्रों का त्याग किया गया। इस दौरान लोगों ने हाथ उठाकर संयम जीवन के जयकारे लगाए।

पल भर में लाखों के जेवर त्यागकर जैसे ही दोनों सफेद कपड़ों में मंच पर आईं तो एक बार माहौल में सन्नाटा छा गया। इसके बाद आचार्यश्री ने प्रथम वन्दना करवाई।

ये भी हुए आयोजन

पंचम पद दीक्षा महोत्सव समिति व लाभार्थी परिवार पवनकुमार भंवरलाल आदमल बोथरा परिवार बाड़मेर-सांचोर ने दीक्षा महोत्सव में सहयोग करने वाले सहयोगियों का बहुमान अतिथियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर कई हस्तियों व अतिथियों ने शिरकत की।

आचार्य बोले- पुण्य उपार्जन से मिलता है संयम का पथ

बोथरा ने बताया कि रात में भक्तिभावना में विश्व विख्यात संगीत सम्राट गौरव मालू, भाविक शाह, शासन शाह ने भजनों की प्रस्तुतियां दी। पंडाल में उपस्थित जनसमुह को बांधे रखा। कार्यक्रम के दौरान खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि कई जन्मों के पुण्य उपार्जन से मिलता है संयम का पथ।

बाड़मेर धर्मा आराधना की तपस्या में हमेशा अग्रणी रहा है। बाड़मेर में जो धर्म का माहौल है वो अपने आप में बेमिसाल है। उन्होंने कहा कि जैन समाज में दीक्षाओं में वृद्धि हो रही है। ये लाभ पुण्यकाल से ही मिलते है। दीक्षा महोत्सव को ऐतिहासिक बनाने व चार चांद लगाने के लिए सकल जैन श्री संघ बाड़मेर, आदिनाथ ट्रस्ट, श्री जैन श्वेतांबर खरतरगच्छ संघ चातुर्मास कमेटी, अचलगच्छ जैन श्री संघ, तेरापंथ समाज, स्थानकवासी समाज, दिगंबर समाज, केयुप केन्द्रीय समिति बाड़मेर सहित कई कार्यकर्ताओं ने अपनी विशेष सेवाएं देते हुए ऐतिहासिक बनाया।

दीक्षा के प्रोग्राम पूर्ण होने के बाद सकल जैन समाज के स्वामीवात्सल्य का लाभ जैन श्री संघ के तत्वावधान में पंचम पद दीक्षा महोत्सव समिति, पवनकुमार भंवरलाल आदमल बोथरा परिवार बाड़मेर-सांचोर द्वारा लिया गया। बोथरा परिवार द्वारा दीक्षा महोत्सव को सफल बनाने वाली संस्थाओं, समितियों व मण्डलों का आभार प्रकट करते हुए अभिनन्दन किया गया।

हजारों आंखों ने निहारा दीक्षा महोत्सव

दीक्षा महोत्सव के लाभार्थी पवन बोथरा ने बताया- बाड़मेर महावीर वाटिका प्रांगण में दीक्षा महोत्सव के अन्तिम दिन रविवार को जिस घड़ी जिस क्षण जिस ऐतिहासिक भव्य पल का इंतजार चतुर्विध संघ कर रहा है। वह योग विध्योत्सव विरति व्रतोत्सव की शुभ खरबिन्द से करेमि भंते सामाइयं सव्वं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि और नंदीसूत्र वर्धमान विद्या मंत्रोच्चार के साथ आयोजन सम्पन्न हुआ।

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