3 डकैतों को फांसी की सजा, अदालत में फूट-फूटकर रोए:मैनपुरी के दिहुली गांव में 24 दलितों का नरसंहार किया था; 44 साल बाद फैसला

 3 डकैतों को फांसी की सजा, अदालत में फूट-फूटकर रोए:मैनपुरी के दिहुली गांव में 24 दलितों का नरसंहार किया था; 44 साल बाद फैसला





मैनपुरी के दिहुली नरसंहार में मंगलवार को स्पेशल डकैती कोर्ट की ADJ इंद्रा सिंह ने फैसला सुनाया। 24 दलितों की सामूहिक हत्या में तीन डकैतों कप्तान सिंह, रामसेवक और रामपाल को फांसी की सजा दी है। 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया है।

11 मार्च को स्पेशल जज ने तीनों को दोषी ठहराया था। इस मामले में 17 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जिनमें 13 की मौत हो चुकी है। एक आरोपी भगोड़ा घोषित है।

साल 1982 में डकैतों के गिरोह ने दलितों के गांव पर हमला बोल दिया था। अंधाधुंध गोलियां बरसाकर 24 लोगों की हत्या कर दी थी। जिसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं। डकैतों ने मुखबिरी के शक में दलितों की हत्या की थी।

सामूहिक नरसंहार से तब की केंद्र और प्रदेश सरकार हिल गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, ‌गृहमंत्री बीपी सिंह, मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी और विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेई भी पीडितों का दर्द बांटने‌ दिहुली गांव पहुंचे थे।

जिस वक्त ये नरसंहार हुआ, उस समय दिहुली गांव फिरोजाबाद के थाना जसराना क्षेत्र में आता था। मैनपुरी जिला बनने के बाद फिरोजाबाद से केस मैनपुरी ट्रांसफर कर दिया गया।

फैसला सुनते ही रोने लगे दोषी
वकील रोहित शुक्ला ने बताया- सामूहिक हत्याकांड के पीछे मुखबिरी और गवाही का मामला मुख्य रूप से सामने आया था। नाराज डकैतों ने बदले की भावना से गांव में पहुंचकर हमला किया था। 1983 में चार्जशीट दाखिल की हुई थी। दोषियों को अपने किए पर पछतावा है। फैसला आया तो वह रो पड़े। वहीं, आरोपी कप्तान सिंह ने बताया- हमको झूठा फंसाया गया है। मैंने कुछ नहीं किया है।

डकैतों ने कहा था- मारो और भून डालो
साल 1981... तारीख 18 नवंबर। शाम 6 बजे का वक्त था। डकैत राधेश्याम उर्फ राधे और संतोष उर्फ संतोषा के गिरोह ने एक मुकदमे में गवाही के विरोध में दिहुली गांव में धावा बोला। डकैतों ने मारो और भून डालो का ऐलान किया था।

राधे और संतोष ने अपने 22 अन्य सा​थियों के साथ गांव में ऐसा तांडव मचाया कि गांव की जमीन लाल हो गई। 24 दलितों की गोली मारकर हत्या कर दी, जिसमें महिलाएं, पुरुष और बच्चे भी शामिल थे। डकैतों ने हत्या करने के बाद लूटपाट भी की थी।



दिहुली के लायक सिंह ने 19 नवंबर, 1981 को थाना जसराना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। राधेश्याम उर्फ राधे, संतोष सिंह उर्फ संतोषा के अलावा 17 लोग नामजद किए गए।

ये हत्याकांड पूरे देश में गूंजा था। मैनपुरी से लेकर इलाहाबाद तक यह मामला कोर्ट में चला। इसके बाद 19 अक्तूबर, 2024 को बहस के लिए मुकदमा फिर से मैनपुरी सेशन कोर्ट में ट्रांसफर किया गया। जिला जज के आदेश पर विशेष डकैती कोर्ट में इसकी सुनवाई हुई।

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