रविवार, 22 नवंबर 2020

आईएएस समित शर्मा का अनूठा प्रयास,खुले जनता दरबार मे सुनते ही फ़रियादें बन्द चेम्बर को तब्दील कराया खुले जनता दरबार मे

   आईएएस समित शर्मा का अनूठा प्रयास,खुले जनता दरबार मे सुनते ही फ़रियादें

बन्द चेम्बर को तब्दील कराया खुले जनता दरबार मे



जैसलमेर बहुत कम आईएएस अधिकारी होते है जिन्हें जनहित के कार्यो का जुनून होता है।इस जुनून की कोई हद नहीं होती।।ऐसे ही जुनूनी आईएएस है डॉ समित शर्मा।।निशुल्क दवा योजना के जनक।।जोधपुर में संभागीय आयुक्त पद पर नियुक्त है।छह जिले इनके अधिकार क्षेत्र में आते है।।प्रतिदिन सैकड़ो लोग अपनी समस्याएं लेकर इनके पास मिलने आते है।इसके लिए इन्होंने एक नई और अनूठी पहल करते हुए दशकों से संभागीय आयुक्त के बन्द चेम्बर कार्यालय को जनहित में पारदर्शी और खुले जनता दरबार मे तब्दील कर दिया।।अब आमजन को इनसे मिलने के लिए किसी चिट की जरूरत नही न ही दरबान को पूछने की।अब फरियादी सीधे खुले जनता दरबार कार्यालय में बैठकर प्रशासन चलाने वाले वरिष्ठ आईएएस डॉ समित शर्मा से मिलकर अपनी समस्याओं का समाधान कराते है।।

दूर दराज से आने वाले फरियादियों को बड़े इत्मीनान से सुनते है तथा यथा उचित समाधान करते है।लोग खुश है।।अब तक संभागीय आयुक्त से आम आदमी का मिलना टेडी खीर था ययम आदमी के लिए।।मिल भी गए तो समस्याएं जस की तस।।मगर अब शर्मा जी ने नवाचार कर अपना कार्यालय ही पारदर्शी और खुले चेम्बर में बदल दिया ताकि लोगो को उनसे मिलने में दिक्कत न हो।।

संभागीय आयुक्त में जिलो के दौरे जिस अंदाज और तेवर में किये उससे जिला स्तरीय प्रशासनिक अम्लों में सुधार का असर दिखने लगा है।।आमजन के लिए सहज उपलब्ध होने के लिए उन्होंने चेम्बर सिस्टम बदल दिया।।उन्होंने अपने चेम्बर को जनता दरबार की तर्ज पर विकसित किया। एक दम खुला चेम्बर ।बाहर से आसानी से कोई भी संभागीय आयुक्त को काम करते देख सकते है।।यही बैठकर अपनी रोजमर्रा की सरकारी बैठके लेते है।।यही पर आम जनता से उनकी समस्याएं सुनते है और उनका समाधान हाथों हाथ करने का प्रयास करते है।।कोई भी व्यक्ति संभागीय आयुक्त के जनता दरबार से खाली हाथ नही लौटता ।।फरियादी का काम होता है या उसे पूर्ण संतुष्ट करके भेजा जाता है।।

फरियादी सीधे मिलते है संभागीय आयुक्त से ,*

फरियादी अब सीधे संभागीय आयुक्त तक अपनी समस्याएं लेकर पहुंच रहे है।उनकी समस्याओं का समाधान भी हो रहा। अब तक संभागीय आयुक्त पद मोहर जैसा ही था जिसका कोई औचित्य नही था।आमजनता को संभागीय आयुक्त से कोई सरोकार नही था मगर डॉ समित शर्मा ने इस धारणा को न केवल बदला अपितु संभागीय आयुक्त पद को आमजनता और सरकारी कारिंदों के बीच असरकारक बनाया।।उनके विभिन्न जिलों के दौरे खासकर उनकी कार्यशैली आमजनता के दिलो को भा गई।।सरकारी कारिंदे संभागीय आयुक्त से ख़ौफ़ खाने लगे।।सरकारी काम मे अब सुधार दिखने लगा है।।

जनता की सहूलियत के लिए खुला चैंबर 

संभागीय आयुक्त डॉ समित शर्मा से खास मुलाकात में बताया कि क्यों उन्हें जनता दरबार की जरूरत महसूस हुई।।डॉ शर्मा के अनुसार उनके  क्षेत्राधिकार में छह जिले आते है।।सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन सरकार की मंशा अनुरूप नही हो रहा था।।आम  जनता अपने दुख दर्द ,समस्याएं उचित माध्यम तक पहुंचाने के लिए इधर उधर प्रयास करते  थे।।सरकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे इसके लिए हमने नई शुरुआत कर बन्द चेम्बर में बैठने की बजाय खुले और पारदर्शी स्थान पर बैठकर लोगों की फरियाद सुनने का निर्णय लिया।।अब कोई भी अपनी समस्या लेकर सीधे संभागीय आयुक्त के पास आने लगे है।।जहां उनकी समस्याओं का समाधान कर उन्हें राहत प्रदान की जा रही है।बंद चैंबर में आमजन को अधिकारी तक पहुंचने में दिकत होती थी ,हमने यह दिकत स्थायी रूप से खत्म कर दी अब खुले चैंबर में बाहर आने वाला हर व्यक्ति नजर आता हैं ,।


फोटो drsamitsharma ,1 

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