शनिवार, 2 मई 2020

जैसलमेर  जिनके घर नहीं है उनका होम स्टेय खुली सड़को पर है*

*शहर में दर्जनों लोग सड़कों पर ही गुजर बसर करते है,दो लॉक डाउन गुजर गए,किसी ने संभाला नहीं*

फोटो सडको पे आसियाने

जैसलमेर कोरोना संक्रमण को लेकर हर एक भारतीय को संख्त से संख्त हिदायत दी गई है कि कोरोना से बचाव के लिए घरों में रहे।।मास्क पहने सोसल डिस्टसिंग की पालना करे।।पूरा प्रशासनिक अमला,पुलिस,स्वास्थ्य विभाग आम से खास सभी को कोरोना के कहर से बचाने में जुटे है।लॉक डाउन की कड़ाई से पालना करवा रहे है।मगर शहर में कुछ लोग ऐसे भी है जिनके सिर पर छत का साया नही है। पहले लॉक डाउन 23 मार्च से लेकर अभी तक ऐसे लोगो के पास घर नहीं है तो होम स्टेय सड़को पर ही कर रहे है।।जबकि शहरी क्षेत्र में तीन स्थानों पर नगर परिषद जेसलमेर आश्रय स्थल संचालित कर रही है।।शायद इन स्थलों में इन लोगो के लिए कोई जगह नही है।।ये लोग चौबीसों घण्टे सड़को पर खुलेआम रहते है।।न चेहरे पे मास्क ,न तन को ढकने के लिए पूरा कपड़ा,सोसल डिस्टेसिंग के इनके लिए कोई मायने नही हैं।।सूरज की पहली किरण से इनकी दिनचर्या सड़क पर ही शुरू होती है जो रात पड़ने  पर यही सो जाते।।जबकि ये मार्ग शहर से सबसे व्यस्ततम मार्ग है ।इस मार्ग पर सरकारी अफसरों के वाहनों की दिन भर रेलपेल रहती है।पुलिस कर्मी यहां पर नियुक्त है।।सिटी कोतवाली थाना भी बीस कदम दूर है।इसके बावजूद ऐसे लोगो पर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को नज़रे इनायत नही हुई इन पर।।ये लोग जिस तरह रहते है उससे लगता है ये कब संक्रमण की चपेट में आ जाये कोई नही कह सकता।।इन लोगो को भी जिला प्रशासन को होम स्टेय का अवसर देकर इन्हें भी कोरोना से कहर से सरंक्षित रख सकते है।आखिर ये भी भारत के ही नागरिक है।।हनुमान सर्किल से लेकर रेल वे स्टेशन तक दर्ज भर से अधिक ऐसे महिला पुरुष है जिन्हें स्टेय होम की आवश्यकता है।जब सरकारें लोगों की जानें बचने के लिए इतना जतन कर रही हे तो इनके जान की कीमत भी तय होनी चाहिए ,

शहर में सर्वे करवा कर ऐसे व्यक्तियों को जो सड़को ,फुटपाथों पर रह रहे हे उन्हें आश्रय स्थलों में भेजा जायेगा ताकि ये स्थलों पर सुरक्षित और सरंक्षित रह सके , पहले भी आश्रय स्थलों पर भेजा मगर ये वहां सेनिकल आते हैं. नमित मेहता जिला कलेक्टर जैसलमेर



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