जैसलमेर मुख्यमंत्री जन रसोई योजना ,नगरपरिषद शहर की कच्ची बस्तियों में गरीब लोगों को बांट रही है भोजन के पैकेट
जब भी जिले पर विपदा आई है यहां के लोगों ने एकजुट होकर उसका सामना किया
है। इतना ही नहीं हर जरूरतमंद को राहत पहुंचाने के लिए हर बार भामाशाह
आगे आए हैं। कोरोना के इस संकट में भी भामाशाहों ने अपनी जिम्मेदारी
समझते हुए गरीबों के लिए आगे आए हैं।
जनता कर्फ्यू वाले दिन से ही लॉकडाउन शुरू हो गया। पहले दिन से ही लोग
आगे आने शुरू हो गए। प्रशासन व सरकार की अपील से पहले ही लोगों ने अपना
योगदान शुरू कर दिया। वर्तमान में यह स्थिति है कि जिले में एक भी गरीब
इस संकट की घड़ी में भूखा नहीं सो रहा है। प्रशासन, नगरपरिषद, भामाशाह,
पार्षद सहित कई लोग इस दौर में आगे आए हैं।
कोरोना से जंग में जहां स्वास्थ्यकर्मी व पुलिसकर्मी योद्धा के तौर पर
नजर आ रहे हैं वहीं ये भामाशाह भी किसी योद्धा से कम नहीं है। ये उन
लोगों की मदद कर रहे हैं जो दिहाड़ी मजदूर है और रोज कमाकर खाने वाले हैं।
बंद के चलते इनकी रोजी रोटी पर संकट खड़ा हो गया है।
सभापति की पहल पर भामाशाहों ने जन रसोई योजना के लिए दिए सात लाख रुपए
मुख्यमंत्री जन रसोई योजना के लिए युवा सभापति हरिवल्लभ कल्ला लगातार
भामाशाहों को प्रेरित कर रहे हैं। दो दिन पूर्व युवा सभापति के प्रयासों
से सात लाख रुपए मुख्यमंत्री जन रसोई योजना के तहत रात्रि एकत्रित हुई
थी।
नगरपरिषद पिछले कई दिनों से शहर की कच्ची बस्तियों सहित जहां भी मजदूर
वर्ग के लोग रहते हैं उनके लिए भोजन के पैकेट की व्यवस्था की जा रही है।
नगरपरिषद की ओर से राशन कार्ड पर सुबह व शाम भोजन के पैकेट बांटे जा रहे
हैं। इसके अलावा अन्य कई भामाशाह राशन के पैकेट जरूरतमंदों को बांट रहे
हैं। अब तक नगरपरिषद व प्रशासन के पास भामाशाहों ने 15 लाख से अधिक रुपए
की सहायता दे दी है। यह सिलसिला अभी तक भी नहीं थमा है।
जब भी जिले पर विपदा आई है यहां के लोगों ने एकजुट होकर उसका सामना किया
है। इतना ही नहीं हर जरूरतमंद को राहत पहुंचाने के लिए हर बार भामाशाह
आगे आए हैं। कोरोना के इस संकट में भी भामाशाहों ने अपनी जिम्मेदारी
समझते हुए गरीबों के लिए आगे आए हैं।
जनता कर्फ्यू वाले दिन से ही लॉकडाउन शुरू हो गया। पहले दिन से ही लोग
आगे आने शुरू हो गए। प्रशासन व सरकार की अपील से पहले ही लोगों ने अपना
योगदान शुरू कर दिया। वर्तमान में यह स्थिति है कि जिले में एक भी गरीब
इस संकट की घड़ी में भूखा नहीं सो रहा है। प्रशासन, नगरपरिषद, भामाशाह,
पार्षद सहित कई लोग इस दौर में आगे आए हैं।
कोरोना से जंग में जहां स्वास्थ्यकर्मी व पुलिसकर्मी योद्धा के तौर पर
नजर आ रहे हैं वहीं ये भामाशाह भी किसी योद्धा से कम नहीं है। ये उन
लोगों की मदद कर रहे हैं जो दिहाड़ी मजदूर है और रोज कमाकर खाने वाले हैं।
बंद के चलते इनकी रोजी रोटी पर संकट खड़ा हो गया है।
सभापति की पहल पर भामाशाहों ने जन रसोई योजना के लिए दिए सात लाख रुपए
मुख्यमंत्री जन रसोई योजना के लिए युवा सभापति हरिवल्लभ कल्ला लगातार
भामाशाहों को प्रेरित कर रहे हैं। दो दिन पूर्व युवा सभापति के प्रयासों
से सात लाख रुपए मुख्यमंत्री जन रसोई योजना के तहत रात्रि एकत्रित हुई
थी।
नगरपरिषद पिछले कई दिनों से शहर की कच्ची बस्तियों सहित जहां भी मजदूर
वर्ग के लोग रहते हैं उनके लिए भोजन के पैकेट की व्यवस्था की जा रही है।
नगरपरिषद की ओर से राशन कार्ड पर सुबह व शाम भोजन के पैकेट बांटे जा रहे
हैं। इसके अलावा अन्य कई भामाशाह राशन के पैकेट जरूरतमंदों को बांट रहे
हैं। अब तक नगरपरिषद व प्रशासन के पास भामाशाहों ने 15 लाख से अधिक रुपए
की सहायता दे दी है। यह सिलसिला अभी तक भी नहीं थमा है।
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