शनिवार, 25 जनवरी 2020

बाड़मेर डिप्टी कमांडेंट नरपतसिंह आज राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित होंगे

बाड़मेर    डिप्टी कमांडेंट नरपतसिंह आज
राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित होंगे
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बाड़मेर के ढ़ोक निवासी एसएसबी के अस्टिटेंट कमांडेंट नरपतसिंह माओवादियांे के लिए काल के नाम से मशहूर है।

बाड़मेर, 25 जनवरी। माओवादियों के लिए काल के नाम से मशहूर सशस्त्र सीमा बल के डिप्टी कमांडेंट नरपतसिंह को उनके अदम्य साहस एवं पराक्रम के लिए नई दिल्ली मंे गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह के दौरान राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया जाएगा। इससे पूर्व भी नरपतसिंह अपने अदम्य राहत एवं पराक्रम के लिए कई मर्तबा सम्मानित हो चुके है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द रविवार को नई दिल्ली मंे गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह के दौरान एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट नरपतसिंह को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित करेंगे। उनको राष्ट्रपति पुलिस पदक के साथ छह लाख रूपए नकद, इंदिरा गांधी नहर के द्वितीय चरण मंे 25 बीघा भूमि अथवा जमीन के एवज मंे चार लाख रूपए नकद देकर सम्मानित किया जाएगा।  बाड़मेर के ढोक निवासी नरपतसिंह अपनी बटालियन के हीरो कहे जाते हैं। मौजूदा समय मंे उनकी पोसिं्टग झारखंड के माओवादी प्रभावित इलाकों में है। वह अपने अदम्य साहस से दुश्मनों को धूल चटाने में सबसे आगे रहते हैं। कुछ समय पहले उन्होंने अपनी जान को जोखिम में डालकर आठ माओवादियों को आत्मसमर्पण करने के लिए विवश कर दिया था। झारखंड एवं ओडिशा के माओवाद प्रभावित इलाकों में उनके ख़ौफ़ से या तो माओवादी समर्पण कर रहे हैं या फिर वे इलाका ही छोड़ रहे हैं। एसएसबी की 18वीं वाहिनी में तैनात नरपतसिंह के उच्च अधिकारी भी उनकी कार्यशैली के कायल बने हुए हैं। इस बहादुर की देश सेवा के जज्बे को लेकर तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी उन्हें सम्मानित किया था। मौजूदा समय मंे नरपतसिंह सिर्फ अपनी बटालियन ही नहीं बल्कि देश की 1751 किमी सीमा की निगरानी करने वाली एसएसबी के हीरो हैं। वे अक्सर झारखंड के जंगलों में देश के दुश्मनों को ढूँढ़ते फिरते हैं। डिप्टी कमांडेंट नरपतसिंह के मुताबिक जब उनकी तैनाती हुई थी, तब माओवादियों की सरकार थी। लेकिन अब सब कुछ सामान्य है। वे बताते है कि माओवादियों का सबसे बड़ा हथियार है गुरिल्ला युद्ध, लेकिन एसएसबी उसका जवाब तूफानी अंदाज में देती है। नरपतसिंह की टीम सिर्फ एन्काउंटर ही नहीं करती, वह अब तक 8 हार्डकोर माओवादियों को पकड़ भी चुकी है। वे अक्सर जवानों को यह कर मोटिवेट करते हैं कि कमांडर मैं नहीं आप सब भी कमांडर हो, यह बात जवानों में दूगुना जोश भर देती है।

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