बाड़मेर श्री 1008 मोहनपुरी महाराज की स्मृति मे चल रही श्रीमद भागवत कथा का सप्ताह पारायण ज्ञान यज्ञ किया गया
19 दिसम्बर से 25 दिसम्बर तक चल रही श्रीमद भागवत सप्ताह पारायण ज्ञान यज्ञ
शहर के प्रजाप जी कि प्रोल तेरापंथी भवन मे चल रही भागवत कथा का महाराज श्री 1008 मोहनपुरी जी महाराज की स्मृति में चल रही श्री मद भागवत सप्ताह पारायण ज्ञान यज्ञ किया गया कथा के समिति के तत्वाधान में आयोजित श्री भागवत कथा के दोरान शनिवार को कथा वाचक कृष्णा प्रिय,वृन्दावन व्यास पीठ ने संत्सग के माध्यम से भक्ति रस की धारा से उपस्थित जन मानस को लाभांवित किया अजामिल कि कथा का,धु्रव,चरित्र कि कथा 28 प्रकार के नरको का वर्णन,समुन्दª,मंथन,धुम-धाम से मनाया उन्होने बताया कि भाव- कुभाव अनख आनसहुॅ,नाम जयत मंगल दिसि दसहुॅ। परमात्मा के नाम को भाव से कुभाव से कैसे भी लिया जाए। भगवान का नाम तो कल्याण ही करता हैं। अजामिल नें जिवन में कितने पाप किये अजामिल उपारव्यान में कृष्णाप्रिया ने बताया कि आय होए संत अजामिल के बेटे का नाम नारायण रखवाने के लिए प्ररित करके सले गऐ और अन्त में समय बैटा नारायण का नाम लेने से यम के दूत वापिस लोट गए और भगवान के पार्षद अजामिल के सामने आकर उपस्थित हो गए जब बेटे नारायण का नाम से भगवान के पार्षद आ सकते है तो क्या प्रभु का सच्चा नाम लेन से परमात्मा कि प्राप्ती नही हो सकती जरूर होगि परमात्मा का नाम तो सदा कल्याण ही करता हैं इस लिए कर से कर्म करहुॅ विधी,नाना,मन,राखो जहॉ कृपा निधाना।
चलते फिरते सोते-बैठते खाते पिते नाचते गाते हर समय भगवान के नाम स्मरण करतें रहना चाहिए। आयोजित बाबुलाल माली व दुर्गाषकर शर्मा ने बताया कि आज कि आरती के लाभार्थी खत्री महिला मण्डल द्वारा कि गई व प्रसादी के लाभार्थी जेठमल जैन द्वारा कि गई।
19 दिसम्बर से 25 दिसम्बर तक चल रही श्रीमद भागवत सप्ताह पारायण ज्ञान यज्ञ
शहर के प्रजाप जी कि प्रोल तेरापंथी भवन मे चल रही भागवत कथा का महाराज श्री 1008 मोहनपुरी जी महाराज की स्मृति में चल रही श्री मद भागवत सप्ताह पारायण ज्ञान यज्ञ किया गया कथा के समिति के तत्वाधान में आयोजित श्री भागवत कथा के दोरान शनिवार को कथा वाचक कृष्णा प्रिय,वृन्दावन व्यास पीठ ने संत्सग के माध्यम से भक्ति रस की धारा से उपस्थित जन मानस को लाभांवित किया अजामिल कि कथा का,धु्रव,चरित्र कि कथा 28 प्रकार के नरको का वर्णन,समुन्दª,मंथन,धुम-धाम से मनाया उन्होने बताया कि भाव- कुभाव अनख आनसहुॅ,नाम जयत मंगल दिसि दसहुॅ। परमात्मा के नाम को भाव से कुभाव से कैसे भी लिया जाए। भगवान का नाम तो कल्याण ही करता हैं। अजामिल नें जिवन में कितने पाप किये अजामिल उपारव्यान में कृष्णाप्रिया ने बताया कि आय होए संत अजामिल के बेटे का नाम नारायण रखवाने के लिए प्ररित करके सले गऐ और अन्त में समय बैटा नारायण का नाम लेने से यम के दूत वापिस लोट गए और भगवान के पार्षद अजामिल के सामने आकर उपस्थित हो गए जब बेटे नारायण का नाम से भगवान के पार्षद आ सकते है तो क्या प्रभु का सच्चा नाम लेन से परमात्मा कि प्राप्ती नही हो सकती जरूर होगि परमात्मा का नाम तो सदा कल्याण ही करता हैं इस लिए कर से कर्म करहुॅ विधी,नाना,मन,राखो जहॉ कृपा निधाना।
चलते फिरते सोते-बैठते खाते पिते नाचते गाते हर समय भगवान के नाम स्मरण करतें रहना चाहिए। आयोजित बाबुलाल माली व दुर्गाषकर शर्मा ने बताया कि आज कि आरती के लाभार्थी खत्री महिला मण्डल द्वारा कि गई व प्रसादी के लाभार्थी जेठमल जैन द्वारा कि गई।
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