Flipkart और Amazon पर 80 से 90% तक छूट को लेकर कोर्ट पहुंचा ट्रेड यूनियन, केंद्र सरकार को नोटिस
जोधपुर. ऑनलाइन खुदरा कंपनियां (ई-कॉमर्स) अमेजन फ्लिपकार्ट और पेटीएम पर एफडीआई (FDI) नियमों के उल्लंघन के आरोप मामले में मंगलवार को राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कॉन्फ़िगरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन की ओर से पेश की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दिनेश मेहता की कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता राजवेंद्र सारस्वत व अधिवक्ता अबीर रॉय ने कोर्ट को बताया कि यह कंपनियां एफडीआई के नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रही हैं. कंपनियों द्वारा मार्केट पर कब्जा जमाने के उद्देश्य से लॉस्ट फंडिंग कर खरीदारों को 80 से 90 फीसदी तक डिस्काउंट दिया जा रहा है. इसके अलावा यह कंपनियां अपने उत्पाद को अपने प्लेटफार्म के माध्यम से बेच रही हैं, जो कि एफडीआई के नियमों का खुला उल्लंघन है.
घरेलू बाजार को नुकसान, केंद्र से जवाब तलब
याचिकाकर्ता की ओर से यह आरोप लगाया गया है कि कंपनियां लगातार घरेलू बाजार को नुकसान पहुंचा रही है और सरकार इस पर कोई एक्शन नहीं ले रही है. जिस पर जस्टिस दिनेश मेहता की कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया हैअधिवक्ता राजवेंद्र सारस्वत ने कोर्ट को बताया कि गत वर्ष इन कंपनियों को करीब साढ़े सात हजार करोड़ का नुकसान हुआ. लेकिन बाजार पर कब्जा जमाने के उद्देश्य से इस नुकसान को वह सहजता से उठा रहे हैं. उदाहरण देते हुए अधिवक्ता ने बताया कि जिस तरह से पहले बुक स्टॉल पर किताबें बिकती थी लेकिन ऑनलाइन कंपनियों ने 50 से 60 फ़ीसदी डिस्काउंट देते हुए किताबे बेचना शुरू किया. धीरे-धीरे घरेलू बाजार से बुक स्टॉल खत्म हो गई और अब कंपनियों ने डिस्काउंट देना बंद कर दिया.
एफबीआई नियमों को खुला उल्लंघन
इसके अलावा अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इनका उद्देश्य घरेलू बाजार को तहस-नहस कर देना है और घरेलू बाजार को खत्म कर पूरे बाजार पर एकाधिकार स्थापित करने के उद्देश्य से इस तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं जो कि एफबीआई के नियमों का खुला उल्लंघन है.
जोधपुर. ऑनलाइन खुदरा कंपनियां (ई-कॉमर्स) अमेजन फ्लिपकार्ट और पेटीएम पर एफडीआई (FDI) नियमों के उल्लंघन के आरोप मामले में मंगलवार को राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. कॉन्फ़िगरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन की ओर से पेश की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दिनेश मेहता की कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता राजवेंद्र सारस्वत व अधिवक्ता अबीर रॉय ने कोर्ट को बताया कि यह कंपनियां एफडीआई के नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रही हैं. कंपनियों द्वारा मार्केट पर कब्जा जमाने के उद्देश्य से लॉस्ट फंडिंग कर खरीदारों को 80 से 90 फीसदी तक डिस्काउंट दिया जा रहा है. इसके अलावा यह कंपनियां अपने उत्पाद को अपने प्लेटफार्म के माध्यम से बेच रही हैं, जो कि एफडीआई के नियमों का खुला उल्लंघन है.
घरेलू बाजार को नुकसान, केंद्र से जवाब तलब
याचिकाकर्ता की ओर से यह आरोप लगाया गया है कि कंपनियां लगातार घरेलू बाजार को नुकसान पहुंचा रही है और सरकार इस पर कोई एक्शन नहीं ले रही है. जिस पर जस्टिस दिनेश मेहता की कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया हैअधिवक्ता राजवेंद्र सारस्वत ने कोर्ट को बताया कि गत वर्ष इन कंपनियों को करीब साढ़े सात हजार करोड़ का नुकसान हुआ. लेकिन बाजार पर कब्जा जमाने के उद्देश्य से इस नुकसान को वह सहजता से उठा रहे हैं. उदाहरण देते हुए अधिवक्ता ने बताया कि जिस तरह से पहले बुक स्टॉल पर किताबें बिकती थी लेकिन ऑनलाइन कंपनियों ने 50 से 60 फ़ीसदी डिस्काउंट देते हुए किताबे बेचना शुरू किया. धीरे-धीरे घरेलू बाजार से बुक स्टॉल खत्म हो गई और अब कंपनियों ने डिस्काउंट देना बंद कर दिया.
एफबीआई नियमों को खुला उल्लंघन
इसके अलावा अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि इनका उद्देश्य घरेलू बाजार को तहस-नहस कर देना है और घरेलू बाजार को खत्म कर पूरे बाजार पर एकाधिकार स्थापित करने के उद्देश्य से इस तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं जो कि एफबीआई के नियमों का खुला उल्लंघन है.
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