गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019

चूरू के प्राइवेट स्कूल की पानी की टंकी में जहर मिलाया। 45 बच्चे अस्पताल में भर्ती। यह तो बहुत ही अमानवीय वारदात है।

चूरू के प्राइवेट स्कूल की पानी की टंकी में जहर मिलाया। 
45 बच्चे अस्पताल में भर्ती। यह तो बहुत ही अमानवीय वारदात है। 
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राजस्थान के चूरू के भालेर क्षेत्र के ड्रीमलैंड सीनियर सैकंडरी स्कूल की पानी की टंकी और मटकों में किसी अज्ञात व्यक्ति ने जहर (कीटनाशक पदार्थ) जहार मिला दिया। फलस्वरूप 10 अक्टूबर को पानी का सेवन करने वाले 45 बच्चों को डीबी अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। 11 बच्चों की हालत नाजुक बताई जा रही है। इस घटना से चूरू क्षेत्र में अफरा तफरी मच गई है। अस्पताल के चिकित्सक बच्चों को बचाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। जानकारों की माने तो किसी अज्ञात व्यक्ति ने जानबूझकर पीने के पानी की टंकी और मटकों में विषाक्त पदार्थ मिलाया है। यह निजी स्कूलों की प्रतिद्वंद्विता भी हो सकती है। लेकिन यह कृत्य बहुत ही अमानवीय है। जिन बच्चों ने कोई गलत नहीं की उन्हें सजा दी गई है। सवाल उठता है कि जहर मिलाने वाले व्यक्ति ने यह क्यों नहीं सोचा की उसके कृत्य से सैकड़ों मासूम बच्चों की जान भी जा सकती है। अभिभावक अपने बच्चों को सुयोग्य नागरिक बनाने के लिए स्कूल भेजते हैं। चूंकि प्राइवेट स्कूलों में ज्यादा सुरक्षा व्यवस्था और पढ़ाई होती है, इसलिए सरकारी स्कूलों के मुकाबले में प्राइवेट स्कूलों को तरजीह दी जाती है। अनेक अभिभावकों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बाद भी बच्चों के भविष्य के लिए महंगे प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश दिलवाया जाता है। चूरू के जिस प्राइवेट स्कूल में यह अमानवीय वारदात हुई उसका नाम ड्रीमलैंड स्कूल है। जब अभिभावक अपने बच्चों के सपने पूरे करने के लिए इस स्कूल में प्रवेश दिलवा रहे हैं, तब बच्चों को जहर पीने को मिले तो यह बहुत ही शर्मनाक बात है। प्रशासन को इस मामले में तत्काल और सख्त कार्यवाही करते हुए जहर मिलाने वाले व्यक्ति का पता लगा कर सजा दिलवानी चाहिए। यदि यह घटना प्राइवेट स्कूलों की आपसी प्रतिद्वंद्वीता की वजह से हुई है तो सरकार को और ज्यादा सख्त रुख अपनाने की जरूरत है। इस घटना को मामूली घटना मानकर टाला नहीं जा सकता है। इस मामले में स्कूल के संचालकों से भी सख्त पूछताछ होनी चाहिए, क्योंकि स्कूल की पानी की टंकी और मटकों की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संचालकों की है। 

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