बाड़मेर, सरपंच संघ ने जताया आभार,आवारा पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था का अनुरोध
-सरपंच संघ ने बताया कि बाड़मेर जिले मंे पशु शिविर एवं चारा डिपो विधिवत संचालित हो रहे है।
बाड़मेर, 11 जून। बाड़मेर जिले मंे पशुधन संरक्षण के लिए ग्राम पंचायतांे के सहयोग से 248 पशु शिविर एव 412 चारा डिपो संचालित किए जा रहे हैं। इसको लेकर सरपंच संघ ने अतिरिक्त जिला कलक्टर राकेश कुमार शर्मा को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर पशुधन संरक्षण के लिए आभार जताते हुए आवारा पशुआंे के लिए चारे की व्यवस्था करवाने का अनुरोध किया।
सरपंच संघ के अध्यक्ष उगमसिंह राणीगांव समेत अन्य सरपंचांे के प्रतिनिधि मंडल ने मंगलवार को मुख्यमंत्री के नाम सौंपे ज्ञापन मंे बताया कि बाड़मेर जिले मंे राज्य सरकार के निर्देशानुसार लघु एवं सीमांत कृषकांे के पशुधन के लिए चारे की व्यवस्था शिविरांे एवं डिपो के माध्यम से की गई है। जिले मंे पशु शिविर एवं चारा डिपो विधिवत तथा सुचारू रूप से संचालित करके पशुधन संरक्षण किया जा रहा है। जिला स्तर से इसकी प्रभावी मोनेटरिंग की जा रही है। ज्ञापन मंे बताया कि आवारा, घुमक्कड़ एवं बिना दूध देने वाले पशु भी चारा डिपो एवं पशु शिविरांे मंे आ रहे है। इनके लिए चारा देने का कोई प्रावधान नहीं होने से दिक्कत हो रही है। ज्ञापन मंे मुख्यमंत्री से इन पशुआंे के लिए चारे की व्यवस्था करवाने संबंधित आदेश करवाने के अनुरोध किया गया। सरपंच संघ के प्रतिनिधि मंडल ने अतिरिक्त जिला कलक्टर राकेश कुमार शर्मा एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहनदान रतनू को बताया कि हालांकि व्यवहारिक तौर पर शिविरांे मंे पहुंचने वाले सभी मवेशियांे को अपने स्तर पर जनसहयोग से चारा उपलब्ध करवाने का प्रयास किया जा रहा है तथा किसी भी गौ वंश को चारे के अभाव में। मरने नहीं दिया जा रहा हैं।अतिरिक्त जिला कलक्टर शर्मा ने प्रतिनिधि मंडल को भरोसा दिलाया कि ज्ञापन मंे उल्लेखित मांग के संबंध मंे राज्य सरकार को अवगत कराते हुए आवारा पशुआंे के संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने के प्रयास किए जाएंगे। उन्हांेने बताया कि बाड़मेर जिले मंे गाइड लाइन के अनुसार ग्राम पंचायतांे के माध्यम से पशु शिविर एवं चारा डिपो संचालित किए जा रहे हैं। बाड़मेर प्रवास के दौरान विभिन्न मंत्रीगणांे को भी स्थानीय जन प्रतिनिधियांे तथा जिला प्रशासन की ओर से इस संबंध मंे अवगत कराते हुए एनडीआरएफ नियमांे मंे उल्लेखित प्रावधानांे मंे शिथिलता दिलाने का अनुरोध किया गया है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहनदान रतनू ने बताया कि बाड़मेर जिले मंे 11 अप्रैल को आपदा राहत प्रबंधन विभाग की ओर से स्वीकृति मिलने के साथ ही अगले दिन ही 250 चारा डिपो प्रारंभ कर दिए गए थे। जहां पर अनुदानित दरांे पर पशुपालकांे को चारा उपलब्ध करवाया जा रहा है। इसके अलावा 248 स्थानांे पर पशु शिविर संचालित है। पशुधन संरक्षण के लिए राज्य सरकार के अलावा विभिन्न संस्थाआंे एवं दानदाताआंे का भी अपेक्षित सहयोग मिला है। इस दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर राकेश कुमार शर्मा एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहनदान रतनू ने पशु शिविर एवं चारा डिपो सुचारू डिपो से संचालित करने के लिए सरपंच संघ का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अनुरोध किया कि इसको निरंतर जारी करते हुए पशुधन संरक्षण के लिए समन्वित प्रयास जारी रखे जाए। ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधि मंडल मंे सरपंच संघ अध्यक्ष उगमसिंह राणीगांव, हाथीतला सरपंच मगराज गोदारा,गालाबेरी सरपंच अचलाराम सियोल समेत कई सरपंच शामिल थे।
पीसीपीएनडीटी जिला सलाहकार समिति की बैठक आयोजित
बाड़मेर, 11 जून। पीसीपीएनडीटी जिला सलाहकार समिति की बैठक मंगलवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा.कमलेश चौधरी की अध्यक्षता मंे स्वास्थ्य भवन मंे आयोजित हुई।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा.कमलेश चौधरी ने बताया कि बैठक में प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 के तहत पंजीकरण के लिए विभिन्न संस्थाओं से तीन आवेदन प्राप्त हुए। जबकि एक पूर्व में पंजीकृत संस्थान के मालिक की मृत्यु हो जाने के कारण प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम 1994 में रजिस्ट्रेशन को स्थाई तौर पर समाप्त करने की अनुशंषा की गई। विभिन्न संस्थाओं से प्राप्त आवेदनों को पंजीकरण करने के लिए जिला सलाहकार समिति के सदस्यों ने अनुशंषा की गई। इस दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. चौधरी ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए हर संस्थान को आईईसी,निजी एवं सरकारी अस्पताल में काउंसलिंग के माध्यम से आमजन मंे जागरूकता लाई जाए। उन्हांेने बताया कि प्रबंध निदेशक एनएचएम डॉ समित शर्मा के निर्देशानुसार अब प्रसव पूर्व निदान तकनीक के गलत उपयोग की शिकायत व्हाट्सएप्प नंबर 9799997795 पर की जा सकती है। शिकायत-कर्ता की पहचान गोपनिय रखी जाएगी। इस बैठक में अतिरिक्त सीएमएचओ डॉ सत्ताराम भाखर ,सहायक अभियोजन निदेशक दिनेश तिवारी ,शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ महेन्द्र चौधरी, सहायक जनसंपर्क अधिकारी मदन बारुपाल,हैल्थ मेनेजर नरेन्द्र कुमार खत्री एवं पीसीपीएनडीटी समन्वयक अजय कुमार कल्याण उपस्थित रहे।
पशुपालन विभाग ने दी मवेशियांे को गर्मी से बचाने के लिए सलाह
बाड़मेर, 11 जून। बाड़मेर जिले मंे पशुधन को भीषण गर्मी, लू एवं तापमान के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए पशुपालन विभाग की ओर से पशुपालकों को एहतियात बरतने की सलाह दी गई है।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डा.नारायणसिंह सोलंकी ने बताया कि बाड़मेर जिले मंे गर्मी का प्रभाव तीव्र होने तथा वातावरण के तापमान में निरंतर बढ़ोतरी के साथ-साथ लू के कारण पशुधन की उत्पादन क्षमता प्रभावित हो सकती है। ऐेस मंे डिहाइड्रेशन, तापघात, बुखार, दस्त एवं गर्भपात इत्यादि से पशुधन की हानि के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होने से विभिन्न संक्रामक रोग होने की आशंका है। उन्हांेने बताया कि तापघात से बचाने के लिए पशुओं को प्रातः 9 बजे से सायं 6 बजे तक छायादार स्थान यथा पेड़ों के नीचे अथवा पशु बाड़ों में रखा जाए। उनके मुताबिक पशुबाड़ों में हवा का पर्याप्त प्रवाह हो तथा विचरण के लिए पर्याप्त स्थान की उपलब्धता होनी चाहिए। अत्यधिक गर्मी की स्थिति में विशेषकर संकर जाति एवं उच्च दुग्ध उत्पादन क्षमता वाले पशुओं के बाड़ों के दरवाजों-खिड़कियों पर पाल,टाटी लगाकर दोपहर के समय पानी का छिड़काव कराने से राहत मिलती है। भैसवंशीय पशुओं को शाम के समय नहलाना, तालाब में छोड़ना लाभदायक होता है। पशुओं को दिन में कम से कम दो बार ठण्डा, शुद्ध एवम् पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराया जाए। उन्हांेने बताया कि पशुआंे को सूखे चारे के साथ-साथ कुछ मात्रा हरे चारे की भी दी जाए, ताकि उनमें कब्जी अथवा अन्य पाचन संबंधित व्याधियां उत्पन्न नहीं हो। भारवाहक पशुओं को यथासम्भव प्रातः एवं सायंकाल में काम में लिया जाए तथा दोपहर के समय इन्हें आराम दिलाना जाए। उन्हांेने बताया कि पशुओं में लू अथवा तापघात के लक्षण तेज बुखार होना, पशु का सुस्त होना, खाना-पीना बन्द कर देना, पशु की श्वसन गति का तेज होना, कभी-कभी नाक से खून बहना, धीरे-धीरे पशु की श्वसन गति कम होना तथा चक्कर खाकर पशु का बेहोश हो जाना है। पशुओं में तापघात की स्थिति होने पर तत्काल उन्हें छायादार स्थान पर रखने के साथ यथाशीघ्र पशु चिकित्सक से उपचार करवाएं। उन्हांेने बताया कि पशु चिकित्सक की सलाह पर आवश्यक रोग प्रतिरोधक टीके लगवाए जाए। अगर पशु चारा खाना बन्द करें अथवा सुस्त-बीमार दिखाई दें तो बिना देरी समीपवर्ती पशु चिकित्सालय से सम्पर्क स्थापित कर परामर्श एवं पर्याप्त उपचार करवाएं।
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