अपनी मातृभाषा में शपथ न लेने देना दुर्भाग्यपूर्ण,14 करोड़ राजस्थानियों का अपमान*
*चारो विधायको का आभार,मातृभाषा के प्रति उनकी निष्ठा को सलाम*
*मंगलवार को नव निर्वाचित विधायको को अपनी मातृभाषा में शपथ लेने से विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर द्वारा रोकना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि 14 करोड़ राजस्थानियों का सीधा सीधा अपमान है।।आखिर कब तक जनप्रतिनिधियों को अपनी मातृभाषा में शपथ में लेने से रोकते रहोगे।।जिस भाषा को अमेरिका सीनेट और नेपाल जसए देशों ने मान्यता दे दी उसी भाषा को अपने ही घर मे रोकना दुर्भाग्यपूर्ण है।।गत विधानसभा में भी कई विधायक राजस्थानी भाषा मे शपथ लेने की जिद कर बेठे थे। आखिर राजस्थानी कब तक अपमान का घूंट पीते रहेंगे।।नोखा के विधायक बिहारीलाल विश्नोई को दंडवत धोक जिन्होंने राजस्थानी भाषा को मान्यता और विधानसभा में राजस्थानी भाषा मे शपथ के लिए मुंह पर पट्टी बांध पूरे देश का ध्यान अपनी मायड़ भाषा के प्रति आकर्षित किया।।खुद अशोक गहलोत राजस्थानी भाषा को मान्यता देने का प्रस्ताव दस साल पहले केंद्र सरकार को भेज चुके है।।इसके बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह कई मौकों पर राजस्थानी भाषा को भोजपुरी के साथ मान्यता देने की बात कह चुके है। राजस्थानी भाषा को आठवी संवैधानिक सूची में शामिल करने को लेकर राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति कई सालों से आंदोलनरत है।।विश्व भर में लोकप्रिय राजस्थानी भाषा को जानबूझ कर मान्यता से रोका जा रहा है जो दुर्भाग्यपूर है।।मंगलवार को करीब आधा दर्जन विधायको को राजस्थानी में शपथ लेने से रोकने से ऐसे ही लगा घर से माँ को घसीट के बाहर निकाला जा रहा है।।आखिर कब तक राजस्थानीयो की भावनाओ के साथ खिलवाड़ कर अपमान का दौर चलता रहेगा।।दुनिया की सबसे समृद्ध भाषा के रूप में राजस्थानी अपना खास स्थान रखती है । इस का शब्दकोश विश्व की किसी भी भाषा से सबसे बड़ा है।।विख्यात कवि दिनकर तो राजस्थानी भाषा को हिंदी की माँ बता चुके है।।इसके बाद भी राजस्थानी भाषा बार बार दुत्कारी जा रही है।।आज छोटी से छोटी भाषा को मान्यता मिल चुकी है मगर चौदह करोड़ लोगों की भाषा मान्यतके लिए तरस रही है।।एक बार फिर उन सभी विधयकों का आभार जिन्होंने मायड़ भाषा का मान रखा ।।
*चन्दन सिंह भाटी*
*प्रदेश उप पाटवी*
*अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति
*चारो विधायको का आभार,मातृभाषा के प्रति उनकी निष्ठा को सलाम*
*मंगलवार को नव निर्वाचित विधायको को अपनी मातृभाषा में शपथ लेने से विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर द्वारा रोकना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि 14 करोड़ राजस्थानियों का सीधा सीधा अपमान है।।आखिर कब तक जनप्रतिनिधियों को अपनी मातृभाषा में शपथ में लेने से रोकते रहोगे।।जिस भाषा को अमेरिका सीनेट और नेपाल जसए देशों ने मान्यता दे दी उसी भाषा को अपने ही घर मे रोकना दुर्भाग्यपूर्ण है।।गत विधानसभा में भी कई विधायक राजस्थानी भाषा मे शपथ लेने की जिद कर बेठे थे। आखिर राजस्थानी कब तक अपमान का घूंट पीते रहेंगे।।नोखा के विधायक बिहारीलाल विश्नोई को दंडवत धोक जिन्होंने राजस्थानी भाषा को मान्यता और विधानसभा में राजस्थानी भाषा मे शपथ के लिए मुंह पर पट्टी बांध पूरे देश का ध्यान अपनी मायड़ भाषा के प्रति आकर्षित किया।।खुद अशोक गहलोत राजस्थानी भाषा को मान्यता देने का प्रस्ताव दस साल पहले केंद्र सरकार को भेज चुके है।।इसके बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह कई मौकों पर राजस्थानी भाषा को भोजपुरी के साथ मान्यता देने की बात कह चुके है। राजस्थानी भाषा को आठवी संवैधानिक सूची में शामिल करने को लेकर राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति कई सालों से आंदोलनरत है।।विश्व भर में लोकप्रिय राजस्थानी भाषा को जानबूझ कर मान्यता से रोका जा रहा है जो दुर्भाग्यपूर है।।मंगलवार को करीब आधा दर्जन विधायको को राजस्थानी में शपथ लेने से रोकने से ऐसे ही लगा घर से माँ को घसीट के बाहर निकाला जा रहा है।।आखिर कब तक राजस्थानीयो की भावनाओ के साथ खिलवाड़ कर अपमान का दौर चलता रहेगा।।दुनिया की सबसे समृद्ध भाषा के रूप में राजस्थानी अपना खास स्थान रखती है । इस का शब्दकोश विश्व की किसी भी भाषा से सबसे बड़ा है।।विख्यात कवि दिनकर तो राजस्थानी भाषा को हिंदी की माँ बता चुके है।।इसके बाद भी राजस्थानी भाषा बार बार दुत्कारी जा रही है।।आज छोटी से छोटी भाषा को मान्यता मिल चुकी है मगर चौदह करोड़ लोगों की भाषा मान्यतके लिए तरस रही है।।एक बार फिर उन सभी विधयकों का आभार जिन्होंने मायड़ भाषा का मान रखा ।।
*चन्दन सिंह भाटी*
*प्रदेश उप पाटवी*
*अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति
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