रविवार, 25 नवंबर 2018

*पहली बार अविश्वास,भितरघात और जातिवाद से लबरेज होंगे चुनाव बाडमेर जेसलमेर के* *बाडमेर जेसलमेर की सभी सीटों पर विश्लेषण*








*पहली बार अविश्वास,भितरघात और जातिवाद से लबरेज होंगे चुनाव बाडमेर जेसलमेर के*

*बाडमेर जेसलमेर की सभी सीटों पर विश्लेषण*

*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक खास रिपोर्ट*

आगामी 7 दिसम्बर को होने वाले विधानसभा चुनाव में बाड़मेर जैसलमेर की नो सीट पर पहली बार अविश्वास,जातिवाद,भितरघात, धार्मिक उन्माद,और सामाजिक बंटवारे पर आधारित होने वाला हुए चुनाव। मतदाता दोनों पार्टीयो से पांच पांच साल बाद ठगे जाते है।।इस बार भी खुले आम ठगे जा रहे। कोई प्रत्यासी विकास की बात नही कर रहा न किसी के पास चुनाव लड़ने का जनहित के कोई विजन है।।इस बार सब अपने अपने वर्चस्व को बरकरार रखने के लिए चुनाव लड़ रहे है।।सत्ता के संघर्ष में मतदाता कही गम हो गया।।सभी प्रत्यासी जातिगत समीकरणों के आधार पर मौजिज लोगो को पकड़ने में लगे है।।

*बाडमेर विधानसभा*

बाडमेर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के मेवाराम जैन,भाजपा से कर्नल सोनाराम चौधरी, निर्दलीय डॉ राहुल बामनिया के बीच मुकाबला है।।तीनो अपने अपने विजन के लिए खड़े है।।मेवाराम जैन को जनता का नेता माना जाता रहा है।।वास्तविकता चुनाव आते आते सामने आ जाती है।।आज जिस तरह जनता के विधायक को एक एक वोटर को पक्ष में करने के लिए पापड़ बेलने पड़ रहे है।।वोट बैंक का मामला अब रहा नही।।लोग अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए कहीं भी जाकर समर्थन कर देता है।।कर्नल सोनाराम चौधरी जिद करके बाडमेर की टिकट लाये यह सब जानते है।।उनका विजन साफ है कि वो मेवाराम जैन को हराना चाहते है।।बाकी आम जनता के मुद्दों से कोई सरोकार नही।जिला मुख्यालय की सीट है जो जीतेगा उसका ठरका रहेगा।।इन दोनों के बीच राहुल बामनिया को बलि का बकरा बना दिया।।बामनिया को अनुसूचित जाति जनजाति मोर्चे ने अपना उम्मीदवार बनाया।।अब लोग सवाल उठा रहे मोर्चे के दो बड़े नेता हनुमान बेनिवल की पार्टी से टिकट लाये तो राहुल बामनिया को निर्दलीय खड़ा क्यों किया।।उनको बेनिवल की पार्टी से टिकट क्यों नही दिलाई।।राजनीति में थोड़ी बहुत समझ रखने वाले राहुल बामनिया की गणित को समझ गए होंगे मगर खुद बामनिया नही समझे।।

चूंकि कर्नल और बेनीवाल दोस्त है तो बेनिवल ने मुस्लिम प्रत्यासी उतारा बाडमेर से।।ताकि मेवाराम के मुस्लिम वोट काट सके दुर्भाग्य  से हयात खान ने नाम वापस ले लिया।।मेवाराम के दलित वोट काटने की रणनीति के तहत बामनिया को उतारा गया मगर बामनिया मोर्चे की सोच से कही ज्यादा ताकतवर उम्मीदवार निकले।।वो 5 से 7 हजार नही करीब 20 हजार से अधिक वोट लेने वाला उम्मीदवार है अब भाजपा के गले की फांस बन गया।।कर्नल के साथ भितरघात की संभावनाओं से इनकार नही किया जा सकता।।ऐसा ही कुछ शिव क्षेत्र में हुआ।।जाट दलित गठबंधन कर हनुमान बेनीवाल ने पूर्व प्रधान को मैदान में उतारा।।उतारा तो कांग्रेस को हराना था मगर अब यहां पर उदाराम के कारण भाजपा प्रत्यासी तीसरे नम्बर पर चला गया।।कांग्रेस अपनी गणित के हिसाब से चुनाव लड़ रही।।इधर सबसे बडा संख्त चौहटन सीट पर है।।अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर दलित समाज तार तार हो जाएगा।।तीन मुख्य उम्मीदवार दलित है।।आर एल पी के उम्मीदवार सुरताराम की रैली ने सुर्खिया बंटोरी।।जाट दलित बड़ी तादाद में रैली में आये।।वोट कितने देंगे यह 11 को पता चलेगा।।सुरताराम के कारण भाजपा के आदूराम तीसरे नम्बर पर पहुंच गए। कांग्रेस के पदमाराम के पास दलित वोट के साथ बड़ी तादाद में मुस्लिम वोट है। जाट मत सुरताराम,आदूराम और पदमाराम में बंट जाएंगे दलित वोट की तरह। कौन किसपे विश्वास करे।।कर्नल सोनाराम ने आदूराम को टिकट का समर्थन इसी बात पर किया था कि आदूराम को चोहटन में कर्नल जाट वोट दिलाएंगे आदूराम कर्नल को दलित वोट बाडमेर में दिलाएंगे।।मगर सुरताराम ने गेम बिगाड़ दिया।।ऐसा कुछ बायतु में हुआ।हनुमान बेनिवल के सबसे ज्यादा समर्थक बायतु में है।उनके खास समर्थकों में कर्नल सोनाराम के पुत्र डॉ रमन चौधरी का भी नाम आता है जो मीटिंगों में अपील करते है कि बाडमेर में कर्नल साब और बाकी जगह हनुमान बेनिवल को जाट मजबूत करे।।इस जाट बाहुल्य सीट पर भाजपा के कैलाश चौधरी,कांग्रेस के हरीश चौधरी,आर एल पी के उम्मेदाराम मैदान में है।।बहुत मुश्किल गणित। तीनो दावेदार अन्य समाजो के वोट पर नजर गड़ाए है।हरीश चौधरी रूपाराम धनदे को ले आये मगर बेनिवल की पार्टी को दलित वोट दिलाने की जिम्मेदारी शिव प्रत्यासी उदाराम मेघवाल की ।।भाजपा अपने परंपरागत वोट के साथ बढ़त बनाये हुए है।मगर इतना तय है हर वोट पर नजर रहेगी।।भितरघात होगा किसके साथ होगा यह भविष्य के गर्भ में है।।यहां बी एस पी के किशोर सिंह कानोड़ भी मैदान में है उन्हें भी हल्का आंकना राजनीति विशेषग्यो की भूल होगी।।
 पचपदरा में भाजपा के अमराराम और कांग्रेस के मदन प्रजापत के राह में राजपूत अजित सिंह,सहित ब्राह्मण,और माली उम्मीदवार कांटे बिछा रहे है।।यहां जातिगत नाराजगी के चलते जातिगत उम्मीदवार खड़े है। सिवाणा में भाजपा के हमीर सिंह ,कांग्रेस के पंकज प्रताप और निर्दलीय बालाराम के बीच त्रिकोणीय संघर्ष साफ करता है कि जातिगत और सामाजिक रिश्ते प्रभावित हो रहे है।।

अब चलते है जजेसलमेर और पोकरण।।जेसलमेर में कांग्रेस के रूपाराम धनदे और भाजपा के सांग सिंह की सीधी लड़ाई है।।रूपाराम दलित,और ओबीसी मूल वोट के साथ सुरक्षित नजर आ रहे।मगर उन्हें मुस्लिम मत कितने मिलेंगे वही उनकी जीत हार तय करेगी ।फकीर परिवार और धनदे परिवार के बीच सम्बन्ध सबको पता है अविश्वास के बीच है।।सांग सिंह राजपूत वोट के साथ भाजपा के परंपरागत मत पर अपना हक बता रहे।।सांग सिंह पांच साल विधायकी कर चुके है तो सब उनके बारे में जानते है। उनकी भाषा फूहड़ रहती है।।यह उनके लिए नकारात्मक पहलू है।।अगर स्वाभिमान जगा दिया तो सांग सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती है।।पिछली बार सांग सिंह का टिकट क्यों कटा मतदाता अतीत में जरूर जाएंगे।।पोकरण में विवेकानंद मॉडल स्वामी प्रतापपुरी और मुस्लिम धर्म के गुरु गाज़ी फकीर के पुत्र साले मोहम्मद उम्मीदवार है पोकरण से।।तो पोकरण में उनके मुकाबले शास्त्री की उपाधि प्राप्त स्वामी प्रतापपुरी को भाजपा ने मैदान में उतार दिया।।पोकरण मुस्लिम राजपूत बाहुल्य क्षेत्र है।।यहां हिन्दू कार्ड खेल भाजपा ने बाबा रामदेव की समोरदायिक सद्भभावना के मूल मंत्र को तहस नहस करने की शुरुआत की। बाबा रामदेव की धरती पर लाखों लोग विभिन धर्मो से आते है ।।पोकरण की पहचान ही बाबा रामदेव के कारण है ,परमाणु विस्फोट इसी पवित्र धरती पर भाजपा के प्रधानमंत्री ने किया।।यहां जातिगत समीकरण मुस्लिम जाट मूल ओबीसी,कांग्रेस राजपूत और स्वर्ण जातीय भाजपा की मॉनी जाती है।।दलित वोट यहां निर्णायक रहेंगे।।रूपाराम धनदे की दलित वोट पर पकड़ है वो फ़क़ीर परिवार को कितने वोट धार्मिक उन्मादत के बीच दिला पाते है।यह देखने की बात है। यहां भी धनदे और फ़क़ीर परिवार के बीच अविश्वास की डोर बीच मे है।।इस बार दोनो को एक दूसरे पे भरोसा करना होगा चाहे मजबूरी में करे।।दोनो के लिए कांग्रेस में अंतिम मौका साबित हो सकता है। फकीर परिवार की सल्तनत को प्रतापपुरी वैसे चुनोती दे चुके है।।पोकरण के लोग भगवे में कितने रंगते है यह देखने की बात है।प्रतापपुरी के पास खोने को कुछ नही है।मगर उन्होंने खतरनाक मंशा पाल ली।।राज्य का मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख लिया।।जिन जिन ने वसुन्धरा राजे के रहते मुख्यमंत्री बनना तो दूर सपने में भी सोचा उनके क्या हश्र हुए सबके सामने है। खैर क्षेत्र में राजनीति में बड़ा बदलाव आया।।भाईचारा और सौहार्द की जगह अविश्वास और धोखे ने ले लिया।।

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