जैसलमेर शक्तिपीठ काले डूंगर राय मन्दिर ,जन जन की आस्था का केंद्र
*बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक*
स्वर्णनगरी जैसलमेर शक्ति उपासना का सबसे बड़ा केंद्र है।।पकुस्तान सीमा से सटे इस रियासत में रियासत काल से कुलदेवियों के प्रति आस्था का ज्वार उमड़ता रहा। समय समय पर राजपरिवार ने इन शक्ति पीठ परमन्दिर निर्माण करवा कर आम जन के लिए श्रद्धा के केंद्र खोल दिये।
काले डूगर राय मन्दिर यह मन्दिर जैसलमेर शहर से ४५ की. मी उतर दिशा मे हड्डा गांव के समीप एक पहाड़ी की चोटी पर हें ! इस पहाड़ी का रंग काला होने के कारण इस मन्दिर को काले डूगर राय के नाम से जाना जाता हें ! जब माड़ प्रदेश के महाराजा भादरिये से जब वापिस पधारे तब मैया के कथानुसार इस पहाड़ी पर पधार कर मैया के नाम से एक छोटे से मन्दिर की स्थापना कर दी थी जो कालांतर मे अनेको भक्तो के सहयोग से भव्य मन्दिर बन गया ! जैसलमेर व आसपास के ग्रामो का विशेष श्रद्धा का केन्द्र हें !
ग्रामीणों ने बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक को बताया कि उस समय माड़ प्रदेश एक सुनसान क्षेत्र था उबड़ खाबड़ इलाका था , हालाँकि मैया उस समय शशरीर इस धरा पर विराजमान थी ! लेकिन मैया एसे पर्वतो मे जाकर तपस्या लीन हो जाती थी !सभी को दर्शन दुर्लभ थे सिर्फ़ धर्मात्मा राजा या अनन्य भक्तो के वसीभूत होकर मैया को शशरीर उस समय पधारना पड़ता था , मैया कभी नभ डूगर , कभी काले डूगर , कभी भूरे डूगर इस प्रकार अनेको पर्वतो पर निवास स्थान था ! जिस जगहों का भक्तो का मालूम हुवा वहा तो स्थान बना दिए बाकि जगहों का आज तक पता नही हे !संवत 1998 में महारावल जवाहर सिंह जी ने मंदिर निर्माण करवाया।।लोगो की काले डुंगरराय के प्रति जबरदस्त आस्था है।।
*काले डूगर कोड सु , नमै नगर नर नार पूजा ! चढ़े पहाड़ पर, पुरे भगत पुकार !!*
*बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक*
स्वर्णनगरी जैसलमेर शक्ति उपासना का सबसे बड़ा केंद्र है।।पकुस्तान सीमा से सटे इस रियासत में रियासत काल से कुलदेवियों के प्रति आस्था का ज्वार उमड़ता रहा। समय समय पर राजपरिवार ने इन शक्ति पीठ परमन्दिर निर्माण करवा कर आम जन के लिए श्रद्धा के केंद्र खोल दिये।
काले डूगर राय मन्दिर यह मन्दिर जैसलमेर शहर से ४५ की. मी उतर दिशा मे हड्डा गांव के समीप एक पहाड़ी की चोटी पर हें ! इस पहाड़ी का रंग काला होने के कारण इस मन्दिर को काले डूगर राय के नाम से जाना जाता हें ! जब माड़ प्रदेश के महाराजा भादरिये से जब वापिस पधारे तब मैया के कथानुसार इस पहाड़ी पर पधार कर मैया के नाम से एक छोटे से मन्दिर की स्थापना कर दी थी जो कालांतर मे अनेको भक्तो के सहयोग से भव्य मन्दिर बन गया ! जैसलमेर व आसपास के ग्रामो का विशेष श्रद्धा का केन्द्र हें !
ग्रामीणों ने बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक को बताया कि उस समय माड़ प्रदेश एक सुनसान क्षेत्र था उबड़ खाबड़ इलाका था , हालाँकि मैया उस समय शशरीर इस धरा पर विराजमान थी ! लेकिन मैया एसे पर्वतो मे जाकर तपस्या लीन हो जाती थी !सभी को दर्शन दुर्लभ थे सिर्फ़ धर्मात्मा राजा या अनन्य भक्तो के वसीभूत होकर मैया को शशरीर उस समय पधारना पड़ता था , मैया कभी नभ डूगर , कभी काले डूगर , कभी भूरे डूगर इस प्रकार अनेको पर्वतो पर निवास स्थान था ! जिस जगहों का भक्तो का मालूम हुवा वहा तो स्थान बना दिए बाकि जगहों का आज तक पता नही हे !संवत 1998 में महारावल जवाहर सिंह जी ने मंदिर निर्माण करवाया।।लोगो की काले डुंगरराय के प्रति जबरदस्त आस्था है।।
*काले डूगर कोड सु , नमै नगर नर नार पूजा ! चढ़े पहाड़ पर, पुरे भगत पुकार !!*
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