गुरुवार, 27 सितंबर 2018

चुनावी रणभेरी बाड़मेर विधानसभा चुनाव 2018 दल बदलू ज्यादा पार्टी के वफादार कम रहे बाड़मेर के नेता

चुनावी रणभेरी बाड़मेर विधानसभा चुनाव 2018 

 दल बदलू ज्यादा पार्टी के वफादार कम रहे बाड़मेर के नेता 


 भाटी चन्दन सिंह


बाड़मेर आगामी नवम्बर माह में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी हलचल देश भर में शुरू हो गयी हें ,सरहदी बाड़मेर जिले का राजनितिक परिदृश्य बेहद भयानक रहा ,वहा अपनी पार्टी के वफादार कम और पार्टी को धोखा देने वाले नेताओ का बाहुल्य रहा हें ,आपको ऐसे नेताओ से रूबरू कतर्व रहे हें जिन्होंने अपनी पार्टी के विश्वासघात कर चुनाव लदे पार्टी की लुटिया डूबा दी ,बाड़मेर ने डाक बदलू नेता बहुर ज्यादा रहे वाही पार्टी के प्रति वफादारी निभाने वाले कर्मठ नेता उंगुलियो पर गिनने लायक हें। आज़ादी के बाद जब सन १९५२ में देश की लोकसभा और राजस्थान की विधानसभा के प्रथम आम चुनाव हुए तब पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती रेगिस्तानी बाड़मेर जिले में राजनैतिक जागरूकता आई ,इन दोनों चुनावो में १,९१,५२९ मतदाताओ ने मतदान कर अपने पसंद के जन प्रतिनिधि चुने थे ,१९५२ से लेकर २०१८ तक राजनितिक फिजा ही इस जिले की बदल गयी ,


दल बदल की शुरुआत। . राजस्थान विधान सभा के लिए १९५२ में जिले की सिवाना सीट से राम राज्य परिषद् के मोटा राम विधायक चुने गए। बाद में जब मोहन मुख्यमंत्री बने तो इन्होने कांग्रेस का समर्थन कर दिया बाद में पचपदरा में कांग्रेस के प्रधान तेज सिंह ने दल बदल कर कांग्रेस प्रत्यासी मदन कौर के सामने चुनाव लड़ा लगभग तीन हज़ार मतों से मात खा गए ,१९८० का दसक दल बदलुओ के लिए ख़ास तौर से जाना गया ,हर स्तर के नेताओ ने पार्टी के चोले बदले ,हालत यह हो गयी की दल बदल के कारन प्रमुख पार्टियों के पास चुनाव में उतरने के लिए ढंग के नेता तक नहीं थे ,कांग्रेस का विभाजन कांग्रेस अर्स के रूप में हुआ ,बाड़मेर से कांग्रेस की प्रथम पंक्ति के नेता मदन कौर ,कांग्रेस से अब्दुल हदी तीन बार विधायक रहे , चार बार कांग्रेस से विधायक रहे गंगा राम चौधरी ,कांग्रेस को छोड़ कर कांग्रेस अर्स में शामिल हो गए ,मदन कौर के सामने कांग्रेस ने अमर राम चौधरी को गंगा राम के सामने गुड़ा मालानी से हेमाराम चौधरी तथा चौहटन से अब्दुल हादी के सामने भगवान दास डोशी को मैदान में उतरा ,जनता ने दल बदलुओ को सीरे से ख़ारिज कर उन्हें हरा दिया ,बाद १९८५ में फिर बदलाव हुआ गंगा राम चौधरी और अब्दुल हादी ने कांग्रेस अर्स छोड़ कर लोकदल का दमन थाम लिया ,गंगाराम चौधरी ने बाड़मेर विधानसभा से चुनाव लड़ कांग्रेस के रिखबदास जैन को हरा दिया तो चौहटन में लोकदल के अब्दुल हादी ने कांग्रेस के मोहन लाल डोशी को हरा दिया ,१९९० में फिर गंगा राम चौधरी ने लोक दल को जनता दल में आ गए तथा बाड़मेर से चुनाव लड़े कांग्रेस के हेमाराम चौधरी को से हरा दिया ,वाही लोकदल से जनता दल में आई मदन कौर ने गुड़ा से चुनाव लड़ा जहा कांग्रेस के चैनाराम को हरा दिया ,वाही चौहटन में अब्दुल हादी ने जनता दल से चुनाव लड़ कर कांग्रेस के गणपत सिंह को शिकस्त दे दी ,


कांग्रेस ने पचपदरा से नहीं दिया तो कांग्रेस की मदन कौर के सामने चुनाव लड़ा , इस चुनाव में भाजपा के चंपालाल बांठिया दुसरे और मदन कौर तीसरे स्थान पर रही ,१९९३ में जनता दल छोड़ गंगाराम ने भाजपा के समर्थन से निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस के विरधी चंद जैन को हरा कर विधानसभा में पहुंचे। वही लोकदल ,जनता दल ,कांग्रेस अर्स से वापस कांग्रेस में आये अब्दुल हादी के सामने कांग्रेस के बागी निर्दलीय भगवान दास दोषी ने चुनाव लड़ा ,यहाँ अब्दुल हादी छबीस हज़ार मतो से हार गए ,१९९८ में अमराराम चौधरी भाजपा में शामिल हो गए पचपदरा से चुनाव लड़ा कांग्रेस की मदन कौर को हरा दिया कांग्रेस के कई बार प्रधान रहे तगाराम चौधरी भी भाजपा में शामिल हुए बाड़मेर से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के विरधी चंद से तेंतीस हज़ार मतों से हार गए ,चौहटन में भी कांग्रेस के भगवन दास डोशी ने भाजपा में शामिल होकर चुनाव लड़ा और हादी से चुनाव हार गए ,२००३ में सिवान से भाजपा के टीकम चंद कान्त को टिकट नहीं मिला तो निर्दाकीय चुनाव लदे और चुनाव जीते। बाद में वे वापस भाजपा में लौट आये ,बाड़मेर में पुराने दिग्गज नेता दल बदल के लिए काफी बदनाम भी रहे इसके बावजूद जनता ने उन्हें विधान सभा तक पहुँचाया ,बाड़मेर की राजनीती के धुरी माने जाने वाले अब्दुल हादी ,गंगाराम चौधरी ,मदन कौर ,अमराराम दल बदल के लिए खास तौर से जाने जाते रहे हें ,अपनी पार्टी के विरधी चंद जैन हमेशा अडिग रह।   चुनावो में कर्नल सोनाराम चौधरी ने कांग्रेस का दमन छोड़ भाजपा ज्वाइन की। लोकसभा चुनाव जीते ,चुनाव हरने के बाद मृदुरेखा चौधरी ने भी भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुई,


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