शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

भीनमाल मजदूर बदलवा रहे हैं अपने मालिकों का पैसा ...................



भीनमाल मजदूर बदलवा रहे हैं अपने मालिकों का पैसा ...................



--- माणकमल भण्डारी ---
भीनमाल । सरकार कह रही है कि नोटबंदी का सबसे ज़्यादा फ़ायदा समाज के आखिरी पायदान पर खड़े गरीबों को होगा लेकिन कतारों में खड़े मजदूरों से बात करने पर हक़ीकत कुछ और ही सामने आती हैं। पिछले 10 दिनों से नोटबंदी के बाद आज सुबह जब फिर कतारों में खड़े लोगों की तक़लीफ़ों को जानने एक बैंक पहुंचा तो पता चला कि कुछ मजदूर अपने मालिकों का पैसा बदलवाने कतारों में खड़े होते हैं । ऐसा ही एक मजदूर हमें मिला लेकिन कैमरे के डर कुछ बोलने को तैयार नहीं हुआ लेकिन बहुत समझाने के बाद और इस शर्त पर कि हम उसकी पहचान या उसके मालिक की पहचान नहीं बताएंगे वो हमसे बात करने को तैयार हो गया । मजदूर ने बताया कि उसकी फैक्ट्री में कुल 40 मजदूर काम करते हैं और मालिक उन्हें दिहाड़ी तब ही देता है जब वो मालिक के रुपये अपने पहचान पत्र दिखा कर बदलवा कर लाते है । हालत इतनी ख़राब है कि मालिक ने सबके मूल पहचान पत्र अपने पास जमा कर लिए हैं और रोज़ नोट बदलवाने के लिए फोटो कॉपी दे देता हैं । यहां सारे मजदूर बाहर के है, अपने पहचान पत्र छोड़ कर घर भी नहीं जा सकते। गरीब आदमी क्या करे. ऐसी न जाने कितने मजदूर बैंकों की कतार में न जाने किसके किसके नोट बदलवाने खड़े रहते हैं । न ही इनके पास बैंक खाते हैं न ही जमा कराने के लिए पैसे ।




दिहाड़ी मजदूरों की चांदी, कमा रहे हैं 300 से 500 रुपए




दिहाड़ी मजदूरों को दिनभर कमरतोड़ मेहनत के बाद 300-400 रुपए नसीब होते हैं। एक सप्ताह से दिहाड़ी मजदूरों को नया काम मिल गया है। यह काम बैंकों के बाहर नोट बदलने की लाइन में लगने का है। इसके एवज में उन्हें 400 से 500 रुपए मिल रहे हैं। इसमें दिहाड़ी मजदूरों की चांदी है । जुर्माने और कार्रवाई के भय से लोगों ने अपने मोटे धन को बाहर निकालना शुरू कर दिया है। वे ब्लैक मनी को जमा कराने के लिए तरह तरह के प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए सबसे ज्यादा सहारा मजदूरों का लिया जा रहा है। मजदूरों को ढूंढऩे और उन्हें मैनेज करने के लिए दलाल सक्रिय हो गए हैं। ऐसे मजदूरों का सबसे ज्यादा सहारा कारोबारी ले रहे हैं। शहर से लेकर देहात तक सैकड़ों ऐसे मजदूर हैं, जिन्होंने अपनी निर्धारित मजदूरी को छोड़कर यह काम पकड़ लिया है। मजदूरों व अन्य लोगों को रोजाना बैंक की लाइन में खड़ा कर नकदी जमा करने में लगे हैं। इससे आमजन और जरूरतमंद को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अत्यधिक भीड़ और दबाव के कारण बैंककर्मी भी ठीक से जांच पड़ताल नहीं कर पा रहे हैं।




आईडी प्रूफ वाले मजदूरों को महत्व




सुबह से शाम तक लाइन में लगकर बड़े व्यापारियों की ब्लैक मनी को व्हाइट में कनवर्ट कराने के लिए इनकी आईडी का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन मजदूरों को तवज्जो दी जा रही है, जिनका बैंक एकाउंट है और जिनके पास आईडी प्रूफ है। मजदूरों की निगरानी के लिए एक व्यक्ति को भी तैनात किया गया है, ताकि मजदूर पुराने नोट लेकर चंपत न हो जाएं। जिन मजदूरों के पास आधार या वोटर कार्ड है, उनका नोट बदलने में इस्तेमाल किया जा रहा है। जहां मजदूरों को दिनभर मजदूरी करके 200 से 300 रुपए तक मिल पाते थे, वहीं अब सिर्फ लाइन में लगकर ही 300 से 500 रुपए कमा लेते हैं। एक सप्ताह से दिहाड़ी मजदूरों को बैंकों के बाहर नोट बदलने की लाइन में लगने का नया काम मिल गया है।

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