गुरुवार, 6 अक्टूबर 2016

पाली में न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला, पानी की जगह तेज़ाब पिलाने वाले 5 आरोपियों को मृत्युदंड


पाली में न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला, पानी की जगह तेज़ाब पिलाने वाले 5 आरोपियों को मृत्युदंड
 
पाली में न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला,  पानी की जगह तेज़ाब पिलाने वाले 5 आरोपियों को मृत्युदंड
करीब सात वर्ष पूर्व जमीन विवाद में चार जनों की निमर्म हत्या करने के मामले में दोषी पाए गए पांच अभियुक्तों को अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश पाली सुकेश कुमार जैन ने गुरुवार को मृत्युदंड की सजा सुनाई तथा बीस हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। यह राशि अदा नहीं करने पर छह माह के अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा सुनाई।

राजस्थान सरकार एवं मृतकगण की ओर से विशेष लोक अभियोजक एडवोकेट कमलेश दवेरा ने बताया कि 19 जुलाई 2009 को एक राय होकर इन्द्रिकों की ढाणी निवासी अभियुक्त शकूर खान (60) पुत्र अल्फू खान तेेली मुसलमान, शहाबुद्दीन (30) पुत्र शकूर खान, कालू खान (20) पुत्र शकूर खान, उस्मान खान (35) पुत्र शकूर खान, रहीमबक्श (25) पुत्र शकूर खान ने जमीन विवाद को लेकर एक राय होकर हमले की तैयारी के साथ निहत्थे इन्द्रिकों की ढाणी निवासी शरीफ मोहम्मद पुत्र हकीम खान, बाबू खान उर्फ उस्मान गनी पुत्र हकीम खान, लाल मोहम्मद पुत्र उस्मान गनी उर्फ बाबू खान एवं साबीर मोहम्मद पुत्र उस्मान गनी उर्फ बाबू खान की देशी कट्टे, धारदार हथियार एवं लाठियों से मारपीट की तथा तेजाब डालकर हत्या कर दी थी।

मामले में दोनों पक्षों को सजा के बिंदू पर बुधवार को अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश पाली ने सुना गया था तथा पांचों अभियुक्तों को हत्या का दोषी मानकर लंच के बाद सुनवाई की थी। मामले में उन्होंने पांचों दोषियों को गुरुवार शाम को भारतीय दंड संहिता की धारा 302/149 के तहत मृत्युदंड की सजा सुनाई तथा 20 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। राशि अदा नहीं करने पर छह माह के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई।
इसके साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 147 व 148 के तहत एक-एक वर्ष के कठोर कारावास एवं एक-एक हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। राशि अदा नहीं करने पर 10-10 दिन के साधारण कारावास की सजा सुनाई।
इसके साथ ही शहाबुद्दीन, उस्मान खान को 4/25 आयुद्ध अधिनियम के तहत एक वर्ष के कठोर कारावास एवं एक हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। यह राशि अदा नहीं करने पर 10 दिन के साधारण कारावास की सजा सुनाई। ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी।
इसके साथ ही अभियुक्तों द्वारा पुलिस व न्यायिक अभिरक्षा में व्यतीत की गई अवधि को मूल सजा में समायोजित करने के आदेश सुनाया।

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