सीकर.खुद ना बन पाए इंजीनियर तो परिवार में बना दिए 11 इंजीनियर, अपनाया सिर्फ यह तरीका
इनसे मिलिए ये हैं 70 साल के धूड़मल सैनी। पैसे से सरकारी सेवानिवृत शिक्षक हैं। लेकिन, अब इस उम्र में ये इंजीनियरों के मास्टर बने हुए हैं। हालांकि खुद की इच्छा एक कामयाब इंजीनियर बनने की थी। मुफलिसी ने एेसा रोड़ा डाला कि सपना टूटकर बिखर गया।
हिम्मत जुटाई और संकल्प लिया कि कमी को पूरा करने के लिए इंजीनियरों की फौज खड़ी कर दूंगा। बस फिर क्या था जुट गए प्रतिज्ञा पूरी करने में और परिणाम सामने है कि पूरे परिवार में अब तक 11 इंजीनियर बना चुके हैं। जिसमें भाई, बेटे, भतीजे, भतीजियां, पौते व पौतियां तक शामिल हैं। जो कि, अलग-अलग जगहों पर अपनी सरकारी सेवाएं दे रहे हैं।
बतौर धूड़मल का मानना है कि सपने खुली आंखों से भी देखे जा सकते हैं। जज्बा हो तो उन्हें दूसरों के भरोसे भी पूरा किया जा सकता है। वर्ष 1964 में अच्छे नंबरों से 10वीं कक्षा पास की। इसके बाद जी-जान से जुट गए इंजीनियर बनने की तैयारी में। लेकिन, जब परीक्षा में बैठने का समय आया तो फीस भरने तक के पैसे नहीं जुटा पाए।
आखिरकार चंद रुपयों के अभाव में इंजीनियर बनने की ख्वाइश धाराशाही हो गई। लेकिन, तमन्ना मन में घर कर गई। उसके बाद सरकारी शिक्षक बनने में नंबर आ गया। छोटे भाई बड़ा हुआ तो उसे इंजीनियर बनने के लिए तैयार किया। जी-जान से मेहनत कराई और खुशी का पल भी पा लिया।
दिन-रात इसी उदेश्य में जुट रहे परिवार के बाकी सदस्यों को भी प्रेरित करते रहे। इसके बाद इंजीनियर बनने का सिलसिला थमा ही नहीं। हालात यह हैं कि वर्तमान में खुद के परिवार में 11 लोग एेसे हैं जो कि, इनकी बदौलत इंजीनियर बन गए। इंजीनियर बनाने का जज्बा देखकर गांव चिराना व परिवार के बाकी लोग भी धूड़मल को इंजीनियरों का मास्टर कहने लगे हैं।
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