बाड़मेर.सरकारी जलापूर्ति ठप, 'पार' लगा रहा पार
क्षेत्र में आंधी के चलते गड़बड़ाई विद्युत आपूर्ति के चलते बीते 5 दिनों से पेयजल आपूर्ति ठप है। क्षेत्र के लोग अब मात्र बेरियों के पानी के भरोसे हैं। जैसलमेर जिले के भागू का गांव के पास बिजली का टावर गिर गया। इससे बीते 5 दिन से बाड़मेर लिफ्ट परियोजना की जलापूर्ति बंद है। वहीं बीते 4 दिन से गड़बड़ाई विद्युत आपूर्ति से क्षेत्र के दर्जनों सरकारी नलकूप बंद हो गए। ऐसे में क्षेत्र में पेयजल का भयंकर संकट खड़ा हो गया है। सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में प्यास बुझाने के लिए एक बार फि र परंपरागत जलस्रोत 'पार' (भू-जल रिचार्ज क्षेत्र) ग्रामीणों व मवेशियों का सहारा बना है।
हालांकि सालों तक सीमावर्ती उपखंड के बाशिंदों की प्यास बुझाने वाले परम्परागत जल स्रोत अब बदहाली के शिकार हैं। प्रशासनिक अधिकारियों, भू-जल वैज्ञानिकों व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से इनके सरंक्षण को लेकर होने वाले प्रयास भी नगण्य दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में रेगिस्तान में सदियों से संजोए गए पारम्परिक पेयजल स्त्रोत सरंक्षण के अभाव में अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं।
एक मात्र साधन
इन दिनों सीमावर्ती गांवों में पेयजल का एक मात्र साधन बेरियां हैं, जो भीषण गर्मी व अकाल के दौरान ग्रामीणों व मवेशियों को जिंदा रख रही है। इन प्राचीन बेरियों पर इन दिनों सुबह-शाम पणिहारियों का पनघट उमड़ता देख कई बुजुर्गों की पुरानी यादें व दृश्य ताजा होने लगे हैं।
पार में खुदाई थी बेरियां
रेगिस्तानी इलाकों में धोरों के आस-पास व बीच में कहीं ढलान के नीचे अवतलाकार जमीन, जहां बारिश का पानी इकट्ठा होता था। लंबे समय तक पानी स्थिर रहने से यह रिस कर जमीन में चला जाता था। इससे भू-जल स्तर बढ़ जाता। फिर गर्मी के मौसम में यहां खुदाई करने पर जमीन से पानी निकल आता था।
यहां बनी हैं बेरियां
उपखंड के थूम्बली, आकली, गिरल, जुनेजों की बस्ती, सरगिला पार, आरंग, चोचरा, हाथीसिंह का गांव, चक भैंसका, रावत का गांव, जसे का गांव, तेजरावों की ढाणी, गूंगा, हड़वा, हड़वेचा, नेगरड़ा, राजड़ाल, धारवी, कोटड़ा, जालेला, तालो का पार, राणेजी की बस्ती, नागड़दा, मुंगेरिया, सुवाला, निम्बला, आगोरिया इत्यादि गांवों में 50 वर्ष पूर्व एक गांव के आस-पास 5 से 7 बैरियां देखने को मिलती थी। वर्तमान में कई स्थानों पर ये जमींदोज हो गई हंै।
अधिकारियों को अवगत करवाया है
एक सप्ताह से लिफ्ट परियोजना से होने वाली जलापूर्ति ठप है। क्षेत्र में जहां अतिरिक्त जलस्रोत हैं, वहां बीते 4 दिन से बिजली आपूर्ति नहीं के बराबर हो रही है। ऐसे में स्टोरज व सप्लाई के हौद सूख गए हैं। जलसंकट के हालात की वस्तुस्थिति से जिला अधिकारियों को भी अवगत करवा दिया है।
- भूराराम धण्दे, कनिष्ठ अभियंता, जलदाय विभाग, शिव
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