बाड़मेर.7 साल पुराने कार्यों से पार कर रहे जल स्वावलंबन की नैया!
जल स्वावलम्बन अभियान के जरिए पानी के मामले में आत्मनिर्भरता के सपने दिखा रही राज्य सरकार का यह अभियान ही आत्मनिर्भर नहीं है। स्थिति यह है कि जो कार्य पांच-सात वर्ष पहले स्वीकृत हो रखे हैं, उन्हें भी जल स्वावलम्बन अभियान में शामिल कर लक्ष्य पूरे करने की खानापूर्ति की जा रही है। चार माह पहले शुरू हुए अभियान में चार वर्ष पूर्व स्वीकृत कार्यों को शामिल करने के मामले में तर्क दिया जा रहा है कि ये कार्य स्वीकृति से आगे नहीं बढ़ पाए, इसलिए इन्हें अभियान का हिस्सा बनाकर पूरा किया जा रहा है। जिले भर में अभियान में शामिल कार्यों में से करीब 600 कार्य एेसे हैं, जो अभियान शुरू होने से पहले ही स्वीकृत हो गए थे। लेकिन अब अभियान का हिस्सा हैं।
ऐसे हुई शुरुआत
जल स्वावलम्बन अभियान 27 जनवरी 2016 को शुरू हुआ। अभियान के तहत बरसात से पहले अर्थात जून महीने की समाप्ति तक टांके, एनिकट व कुछ नाडियां बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इसका उद्देश्य पानी के मामले में आत्मनिर्भरता की ओर बढऩा है।
एक महीना शेष, 66 फीसदी काम बकाया
जिले भर में जल स्वावलम्बन अभियान में कुल 6021 कार्यों को शामिल किया गया। चार महीने बीतने के बाद 2058 कार्य पूरे हो सके हैं। अभी तक 3963 कार्य अर्थात 66 फीसदी कार्य बकाया है। इनमें से 3910 कार्य प्रगति पर हैं। हालांकि सरकारी तंत्र आश्वस्त है कि निर्धारित समयावधि में इन कार्यों को पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन अब तक काम की जो गति रही है, उस लिहाज से उम्मीद कम है।
यूं समझें खानापूर्ति का खेल
- अचलाराम पुत्र मोतीराम निवासी सारणों का सरा भलीसर के यहां टांका निर्माण : स्वीकृति 29.1.2009
- मीरां खां पुत्र जुम्माखां निवासी बूढे़ का तला के यहां टांका निर्माण : स्वीकृति 11.11.2011
- सुजानाराम पुत्र कोजाराम निवासी मगे की ढाणी भलीसर के यहां टांका निर्माण : स्वीकृति 13.1.2014
- सांवलाराम पुत्र धन्नाराम निवासी मुकने का तला दूधू के यहां टांका निर्माण : स्वीकृति 17.10.2014
(जिले भर में करीब 600 कार्य एेसे हैं, जो पूर्व स्वीकृत है और उन्हें जल स्वावलम्बन अभियान का हिस्सा बना दिया गया है।)
स्वीकृति पुरानी, काम अब हो रहे
जल स्वावलम्बन अभियान में एेसा कोई कार्य शामिल नहीं किया गया है, जो अभियान शुरू होने से पहले पूरा हो गया। कुछ काम एेसे हैं, जिनकी स्वीकृति अभियान से पहले की है, पर काम नहीं हुए। लेकिन वे काम अब हो रहे हैं।
हीरालाल अहीर, अधीक्षण अभियंता जलग्रहण, जिला परिषद, बाड़मेर
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