मंगलवार, 15 दिसंबर 2015

खास रिपोर्ट पहली बार। भारत पाक युद्ध के महानायक। भारत को जीत दिलाने ख़ास योगदान था बलवंत सिंह बाखासर का।

खास रिपोर्ट पहली बार। भारत पाक युद्ध के महानायक। भारत को जीत दिलाने ख़ास योगदान था बलवंत सिंह बाखासर का। 

+91 75064 54326‬: यदुवंशी सुरेन्द्र सिंह 


बाड़मेर आज ही के दिन 1971 की लड़ाई में इस शेर बलवन्त सिंह जी बाखासर ने पाकिस्तान के छाछरो समेत 100 गाँवो पर अपना कब्जा जमाया था बाद में इंद्रा गांधी की बेवकुफी कहे या कुछ और वजह से सभी गांव पाकिस्तान को वापिस दिए थे धन्य हे धरा ऐसे सपूतो को जन्म दिया

भारत की आजादी के बाद 60-70वे दशक मे पश्चिमी राजस्थान के लिए एक जाना पहचाना नाम था बलवँत सिँह बाखासर!


गुजरात राजस्थान के सरकारी महकमे व पुलिस विभाग के लिए डकैत लेकिन बाडमेर साँचोर ओर उत्तरी गुजरात के वाव थराद सीमावर्ती गाँवो के लिए वे आधुनिक राबिन हुड समान थे

बलवंत सिंह का जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिला के गांव बाखासर में चौहानो की नाडोला उप शाखा में हुआ आपकी शादी कच्छ गुजरात के विजेपासर गाव में जाडेजा राजपूतो के यहाँ हुयी आपका बचपन राजस्थान गुजरात और पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रो में गुजरा ये पूरी तरह यहाँ के सीमावर्ती क्षेत्रो को लेकर वाकिफ थे वक़्त के साथ बलवंत सिंह ने हथियार उठा दिए
आजादी के बाद पाकिस्तान के सिँधी मुस्लिमो का सीमावर्ती क्षेत्रो मे आतँक था उस वक़्त बॉर्डर खुला होने की वजह से सिँधी मुस्लिम आये दिन भारतीय सीमा में आकर लूट पाठ करने लगे इधर बलवंत सिंह बाखासर सरकारी खजाना व लुटेरो को लूट कर सारा धन गरीबो में बाँट देते थे ग्रामीणों की हर सम्भव मदद करते सरकारी महकमा इनके नाम तक से डरता था पुरे क्षेत्र के लोग जी जान देने को तैयार रहते और ये पुरे 100 किमी क्षेत्र के आधुनिक रोबिंन हुड बन चुके थे और लोगो में किसके फरिश्ते से कम न थे पाकिस्तान से आने वाले लूटेरे भी इनसे नाम से थर्राने लगते थे जिस गाव में ये रात गुजरते वहा का सारा प्रबन्ध ग्रामीण करते धीरे धीरे बलवंत सिंह बाखासर का नाम बढ़ता गया




बलवँत सिँह बाखासर देश में पहली बार चर्चा मे तब आए जब मीठी पाकिस्थान के सिन्धी मुसलमाँन एक साथ 100 गायो लेकर पाकिस्तान जा रहे थे जैसे ही इसकी खबर बलवंत सिंह जी को मिली फिर क्या था उसी क्षण अपने घोड़े पर सवार होकर बलँवत सिँह डाकुओ का पीछा करने निकले अकेले मुकाबला करते हुए 8 सिँधीयो को ढेर कर दिया ओर सभी गाय छुडवा लाए




बाड़मेर के चौहटन के नेता अब्दुल हादी जो 7 बार विधायक मंत्री रहे उनके बड़े भाई मोहम्मद हुसैन पर तस्करी लूट के संगीन आरोप लगे इन्हें भी बलवंत सिंह ने मार गिराया वही मोहम्मद हयात खान नाम के लूटेरे को भी बाड़मेर में लंबी नींद सुलाया

अब्दुल हादी से इनका मन मुटाव हो गया था तब कांग्रेस सरकार आते थे अब्दुल हादी और जाट नेता नाथूराम मिर्धा दोनों ने मिलकर इनको पकड़वाने की साजिश रची

1971 भारत पाक के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण थे 71 युद्ध मे ईनकी अहम भूमिका रही, हमारे सैनिको में ज्यादातर बाहरी और रेगिस्तान के खतरों से अनजान थे बलवंत सिंह पाक सीमा से अच्छी तरह वाकिफ थे और काफी लोकप्रिय हो गए थे उस वक़्त लेफ्टीनेंट भवानी सिंह जी ने सूझ भुझ से काम लिया आखिर में देश हित में लेफ्टिनेँट महाराजा भवानी सिँह जयपुर ने इनको सेना की एक बटालियन और 4 जोन्गा जीपे तक सौँप दी थी पूरी बटालियन की अगुवाई इन्ही बलवंत सिंह बाखासर ने की और अपने धैर्य और सूझबुझ से भारतीय सेना को पाक के भीतर तक ले गए और नतिजा रहा की सुबह के 3 बजे पाकिस्तान के सिंध सूबे के छाछरो कस्बे पर कब्जा करने मे सफलता मिली और पाकिस्थान के 100 गावो पर कब्ज़ा हुआ सारे ठाणे भारतीय सेना के कब्जे में आ गए

भारतिय सैनिको को तब बड़ा ताज्जुब हुआ जब पाकिस्तान ग्रामीण आंचल के लोग सिर्फ बलवंत सिंह बाखासर को देखने के लिए कई किलोमीटर दूर से पैदल आये


इनकी देशभक्ति ओर वीरता से प्रभावित प्रसन्न होकर भारत सरकार ने इन पर लगाए सारे डकेती के केस वापस ले लिए थे

अभी इनके पोत्र रतन सिंह जी बाखासर अहमदाबाद में रह रहे है


इसकी लोकप्रियता का अंदाजा डिंगल भाषा में इन पर गीत तक लिखे गए है
सांचोर में लगने वाले मेले को भय मुक्त बनाने के लिए ये अपने ऊठ पर बैठ खुद निगरानी भी करते थे

राजस्थान ,गुजरात,कच्छ और रण क्षेत्र इनकी वीरता के वीर रस भजन आज तक गाए जाते है


Note - आप सभी को बता देते है 1971 में पाकिस्तान से हुयी जंग में राजस्थान पाकिस्तान बॉर्डर के काफी स्थानीय लोग  सक्रिए हुए थे और हर घर में बंदूको कि सफाई शुरू कर दी गयी थी और सेना को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयता कि थी … राजस्थान का बॉर्डर राजपूत बाहुल्य है और राजपूत किसी भी संदिग्ध गतिविधि होते है जल्दी अलर्ट हो जाते है और सेना को सारी जानकारी मिल जाती है  




  

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