शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

श्रीकृष्ण के गांव में नहीं की जाती लड़कियों की शादी, हजारों वर्षो से है परम्परा -

भगवान श्रीकृष्ण के गांव में अगर किसी लड़की की शादी हो, तो उसके लिए इससे बढ़कर क्या होगा, लेकिन इसके उलट सदियों से श्रीकृष्ण के गांव नंदगांव में आज भी लड़कियों की शादी नहीं की जाती है। वर्षो पुरानी यह परम्परा अब नियम का रूप ले चुकी है और लोग अपनी लड़कियों की शादी यहां करने के बारे में सोचते भी नहीं है। इस परम्परा के पीछे श्रीकृष्ण ही कारण हैं। Barsana girls not married in Nandgaon from thousands years
मथुरा जाना, बना वजह

श्रीमद्भागवत के दशम स्कंध में गोपियों द्वारा उद्धव को उपलक्ष्य बनाकर कृष्ण को उपालंभ देने का वर्णन है। जब भगवान कृष्ण को मथुरा बुलाया गया तो बलराम सहित वे तैयार हो गए। कंस ने उद्घव जी से कहा था कि तुम ही उन्हें यहां ला सकते हो। जब राधा और गोपियों को मालूम चला कि उद्घव उनके चहेते कान्हा को ले जाने आए हैं, तो रास्ता रोक कर खड़ी हो गई। उनका ध्येय यह था कि वे जैसे-तैसे करके कृष्ण को मथुरा जाने से रोक लें और वादा करवालें कि वे कभी उन्हें छोड़कर नहीं जाएंगे। लेकिन हुआ वही जो होना था। कृष्ण मथुरा चले गए। कई दिन बीत गए। माता यशोदा, राधा, गोप, गोपियां सब अत्यंत दुखी थे। उसी समय उद्धव कृष्ण की ओर से गोपियों को समझाने-बुझाने आए। बरसाना वासी कहते हैं कि उन्हें छला गया, आगे से ऎसी नौबत नहीं आएगी। कहते हैं तब से यह परंपरा बरकार हैं, नंदगांव और बरसाना के बीच शादी नहीं होती।

खाने पड़ते हैं लट्ठ

राधा के जन्मदिन की बधाईयां देने के लिए भक्त बरसाना वासियों को बधाइयां आज भी देते हैं। इस अवसर पर नंदबाबा के गांव से भी भारी संख्या में लोग राधिका जन्म पर्व मनाने आते हैं। बधाइयां देते हैं, लेकिन अजब परंपरा यह है कि बरसाना से इस गांव में आज भी लड़कियों की शादी नहीं की जाती। भला ऎसा हो सकता है कि गांव से गांव सकुशल शादी न हों। लेकिन नंदगांव-बरसाने के बीच हजारों साल से यह परंपरा कायम है। शादी तो दूर की बात है, जब नंदगांव वासी फाल्गुन में यहां आते हैं तो बरसाना की गोरियां लाठियां बरसाती हैं। यहां उनका स्वागत डंडों से किया जाता है।

लडडू क्यों बरसते हैं

फाल्गुन में यहां विश्वप्रसिद्घ मेला लगता है। इस दौरान लट्ठमार होली का उत्सव चलता है। बरसाने की गोपियां होली के बहाने लाठी मारकर परंपरा निभाती हैं। नंदगांव वाले जवान बचने के लिए ढाल-ओढ़े रहते हैं। घी-बूंदी के लड्डूओं की भी बरसात की जाती है। यहां उपस्थित हजारों लोग इस महा-उल्लास का लुत्फ लेते हैं। माना जाता है कि डंड़ों की चोट खाने वाले नंदगांव के रहने वाले हैं और डंडे बरसाने वाली बरसाना की गोपियां। - 

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