ज्योतिष शास्त्र के दिन-शास्त्रों में सावन के सोमवार का सर्वाधिक महात्म्य है। इस महीने में सोमवार के दिन शिव आराधना का विशेष महत्व है। सावन को मनोकामनाओं की पूर्ति का महीना भी कहा गया है। ज्योतिष के अनुसार इस महीने की एक विशेषता यह भी है कि इसका कोई भी दिन और व्रत शून्य नहीं होता। वार प्रणाली के अनुसार सोम अर्थात चंद्रमा को हिमांशु की संज्ञा दी जाती है। शब्द हिमांशु का अर्थ बर्फ की तरह ठंडा और कर्पूर की तरह उज्ज्वल होता है। चंद्रमा की पूजा भी स्वयं परमेश्वर शिव को समर्पित होती है क्योंकि चंद्रमा का निवास भी भुजंग भूषण शिव का मस्तक है। श्रावण मास व श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा हैं और चंद्र के स्वामी स्वयं शिव है। शास्त्रों में शिव को चन्द्रशेखर और चन्द्रमोलेश्वर कहकर संबोधित किया गया है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार दांपत्य जीवन में चंद्रमा और शुक्र ग्रह का अत्यधिक महत्व है। शुक्र अगर भोग और विलासिता का ग्रह है तो चंद्रमा मन और प्रेम का ग्रह है। सुखी दाम्पत्य हेतु शारीरिक आकर्षण से बढ़कर पति-पत्नी के बीच मानसिकता मिलना और पारस्परिक प्रेम का होना अत्यधिक आवश्यक है। कालपुरुष सिद्धांत अनुसार किसी भी जातक की कुण्डली में चंद्रमा का मूल स्थान चौथा घर जो घर और ग्रहस्थी को दर्शता है। चंद्रमा का उच्च स्थान व्यक्ति की कुण्डली का दूसरा घर जो सुख और धन को दर्शता है तथा चंद्रमा का पक्का घर व्यक्ति की कुण्डली का सातवां स्थान जो प्रेम, भोग प्रणय और दांपत्य को दर्शता है।
जिस किसी व्यक्ति के दांपत्य जीवन में समस्याएं है अथवा पति-पत्नी के बीच में पारस्परिक प्रेम की कमी है अथवा जहां कहीं गृहस्थी की गाड़ी पटरी से उतर गई है उनके लिए सर्वश्रेष्ठ है सावन के सोमवार की शिव उपासना। सोमवार का दिन गौरी और शंकर को समर्पित होता है अर्थात सोमवार की शिव उपासना और उपायों से गौरी (पत्नी) और शंकर (पति) के बीच की दूरियां भी समाप्त होती है।
उपाय: सोमवार के दिन शाम के समय लगभग 5 बजे घर में विराजमान पारद शिवलिंग अथवा किसी ऐसे शिवालय जाएं जहां सफ़ेद शिवलिंग स्थापित हों। यह उपाय करते समय मन को एकाग्र रखें और पूरा ध्यान गौरी और शंकर के युग्मित स्वरुप पर लगाएं। मन से ऐसा संकल्प लें के मैं अपनी गृहस्थी और दांपत्य में सुख वृद्धि हेतु ये उपाय कर रहा हूं अथवा कर रही हूं। सफेद कपड़े पहने और पूजा हेतु सफेद आसन का प्रयोग करें। सर्वप्रथम गाय के शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें। चंदन की धूप करें। शिवलिंग पर सफ़ेद कनेर के फूल चढ़ाएं। सफेद चंदन से शिवलिंग से त्रिपुंड बनाएं। साबूदाने की खीर का भोग लगाएं। गाय के दूध में देसी शक्कर, गंगाजल, मंदकिनी का इत्र और शतावरी मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें और इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
मंत्र: ॐ श्रीं अर्धनारीश्वराय प्रेमतत्त्वमूर्तये नमः शिवाय।।
उपाय पूरा होने पश्चात बची हुई खीर पति-पत्नी मिलकर बराबर खाएं। शिवलिंग पर चढ़े हुए सफेद कनेर के फूल शयन कक्ष में रखें। शिवलिंग से उतरा हुआ अभिषेक के द्रव्य से शयनकक्ष में छिड़काव करें। इस उपाय से निश्चित ही दांपत्य जीवन में पुनः प्रेम की गंगा बहेगी।
आचार्य कमल नंदलाल
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार दांपत्य जीवन में चंद्रमा और शुक्र ग्रह का अत्यधिक महत्व है। शुक्र अगर भोग और विलासिता का ग्रह है तो चंद्रमा मन और प्रेम का ग्रह है। सुखी दाम्पत्य हेतु शारीरिक आकर्षण से बढ़कर पति-पत्नी के बीच मानसिकता मिलना और पारस्परिक प्रेम का होना अत्यधिक आवश्यक है। कालपुरुष सिद्धांत अनुसार किसी भी जातक की कुण्डली में चंद्रमा का मूल स्थान चौथा घर जो घर और ग्रहस्थी को दर्शता है। चंद्रमा का उच्च स्थान व्यक्ति की कुण्डली का दूसरा घर जो सुख और धन को दर्शता है तथा चंद्रमा का पक्का घर व्यक्ति की कुण्डली का सातवां स्थान जो प्रेम, भोग प्रणय और दांपत्य को दर्शता है।
जिस किसी व्यक्ति के दांपत्य जीवन में समस्याएं है अथवा पति-पत्नी के बीच में पारस्परिक प्रेम की कमी है अथवा जहां कहीं गृहस्थी की गाड़ी पटरी से उतर गई है उनके लिए सर्वश्रेष्ठ है सावन के सोमवार की शिव उपासना। सोमवार का दिन गौरी और शंकर को समर्पित होता है अर्थात सोमवार की शिव उपासना और उपायों से गौरी (पत्नी) और शंकर (पति) के बीच की दूरियां भी समाप्त होती है।
उपाय: सोमवार के दिन शाम के समय लगभग 5 बजे घर में विराजमान पारद शिवलिंग अथवा किसी ऐसे शिवालय जाएं जहां सफ़ेद शिवलिंग स्थापित हों। यह उपाय करते समय मन को एकाग्र रखें और पूरा ध्यान गौरी और शंकर के युग्मित स्वरुप पर लगाएं। मन से ऐसा संकल्प लें के मैं अपनी गृहस्थी और दांपत्य में सुख वृद्धि हेतु ये उपाय कर रहा हूं अथवा कर रही हूं। सफेद कपड़े पहने और पूजा हेतु सफेद आसन का प्रयोग करें। सर्वप्रथम गाय के शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें। चंदन की धूप करें। शिवलिंग पर सफ़ेद कनेर के फूल चढ़ाएं। सफेद चंदन से शिवलिंग से त्रिपुंड बनाएं। साबूदाने की खीर का भोग लगाएं। गाय के दूध में देसी शक्कर, गंगाजल, मंदकिनी का इत्र और शतावरी मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें और इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
मंत्र: ॐ श्रीं अर्धनारीश्वराय प्रेमतत्त्वमूर्तये नमः शिवाय।।
उपाय पूरा होने पश्चात बची हुई खीर पति-पत्नी मिलकर बराबर खाएं। शिवलिंग पर चढ़े हुए सफेद कनेर के फूल शयन कक्ष में रखें। शिवलिंग से उतरा हुआ अभिषेक के द्रव्य से शयनकक्ष में छिड़काव करें। इस उपाय से निश्चित ही दांपत्य जीवन में पुनः प्रेम की गंगा बहेगी।
आचार्य कमल नंदलाल
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें