बुधवार, 11 जून 2014

पाकिस्तान में है हिंगलाज माता का ये मंदिर, मुस्लिम भी श्रद्धा से झुकाते हैं सिर



भारत में हिंगलाज माता के अनेक मंदिर हैं किंतु हिंगलाज माता का मुख्य मंदिर पाकिस्तान में है। यह 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। लोक कथा के अनुसार चारणों की प्रथम कुलदेवी मां हिंगलाज थीं। हिंगलाज नाम के अतिरिक्त हिंगलाज देवी का चरित्र या इसका इतिहास अभी तक अप्राप्य है।

पाकिस्तान में है माता का ये मंदिर, मुस्लिम भी श्रद्धा से झुकाते हैं सिर 
हिंदू और मुसलमान दोनों ही इस मंदिर को बहुत मानते हैं। हिंगलाज मंदिर मुसलमानों के लिए नानी पीर का आस्ताना और हिंदुओं के लिए हिंगलाज देवी का स्थान है। मान्यता है कि सातों द्वीपों में सब शक्तियां रात्रि में रास रचाती हैं और सुबह सभी शक्तियां भगवती हिंगलाज के गिर में आ जाती हैं-
सातों द्वीप शक्ति सब रात को रचात रास।
प्रात:आप तिहु मात हिंगलाज गिर में।।

पाकिस्तान में है माता का ये मंदिर, मुस्लिम भी श्रद्धा से झुकाते हैं सिर 
कहां है मंदिर?
हिंगलाज माता का मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान राज्य की राजधानी कराची से 120 कि.मी. उत्तर-पश्चिम में हिंगोल नदी के तट पर ल्यारी तहसील के मकराना के तटीय क्षेत्र में स्थित है। इस सिद्ध पीठ की यात्रा के लिए दो मार्ग हैं- एक पहाड़ी तथा दूसरा मरुस्थली। इस इलाके की सबसे बड़ी नदी हिंगोल है, जिसके निकट चंद्रकूप पहाड़ है। चंद्रकूप तथा हिंगोल नदी के मध्य लगभग 15 मील का फासला है। मंदिर की परिक्रमा में गुफा भी है। यात्री गुफा के एक रास्ते से दाखिल होकर दूसरी ओर निकल जाते हैं। 


पाकिस्तान में है माता का ये मंदिर, मुस्लिम भी श्रद्धा से झुकाते हैं सिर

माता सती का सिर गिरा था यहां

मान्यता के अनुसार जब माता सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह किया तब भगवान शिव वैराग्य धारण कर उनके शव को लेकर ब्रह्मांड में घुमने लगे। भगवान शिव को वैराग्य से दूर करने के लिए विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शव के टुकड़े कर दिए। यह टुकड़े जहां भी गिरे, वहां शक्तिपीठ की स्थापना हो गई। धर्म ग्रंथों के अनुसार हिंगलाज माता शक्तिपीठ में माता सती का ब्रह्मरंध्र यानी सिर गिरा था।

पाकिस्तान में है माता का ये मंदिर, मुस्लिम भी श्रद्धा से झुकाते हैं सिरधर्म ग्रंथों के अनुसार ये देवी सूर्य से भी अधिक तेजस्वी हैं और स्वेच्छा से अवतार धारण करती हैं। इस आदि शक्ति ने 8वीं शताब्दी में सिंध प्रान्त में मामड़ (मम्मट) के घर में आवड देवी के रूप में द्वितीय अवतार धारण किया था।

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