पाक शरणार्थी बने पहली बार विधायक मेरे हिन्दुस्तान ने छाती से लगा लिया...
बाड़मेर।सन्1971 भारत-पाकिस्तान का युद्ध। पाकिस्तान में हिन्दुओं का रहना मुश्किल हो गया। 24-25 साल का बिना मां-बाप का एक युवा अपने भाई-बहिनों को लेकर निकल पड़ा हिन्दुस्तान की ओर। ऎसा वतन जिससे पाकिस्तान की लड़ाई थी, लेकिन उसे उम्मीद थी कि वहीं उसे "शरण" मिलेगी। उसी युवा को आज 67 वर्ष की उम्र में यहां के लोगों ने सरताज बना दिया है। सीमावर्ती चौहटन विधानसभा क्षेत्र का विधायक बनने के बाद तरूणराय कागा कहते हैं "मेरे हिन्दुस्तान ने मुझे छाती से लगा लिया..।"
चौहटन से भाजपा प्रत्याशी तरूणराय कागा विधायक चुने गए हैं। कागा का जीवन संघर्ष की मिसाल है। 1971 तक पाकिस्तान के भाडासिंधा तहसील छाछरों निवासी कागा के लिए वहां रहना मुश्किल हो गया।युद्ध के बाद जन्मभूमि (पाकिस्तान) को छोड़ना पड़ा। परिवार सहित भारत आ गए। स्नातक तक पाकिस्तान में पढ़ाई की हुईथी। यहां आते ही पढ़े लिखे होने के कारण उन्हें शरणार्थी शिविर में 21 मई 1972 को शिक्षक बना दिया ताकि वे शरणार्थियों को पढ़ा सके। अकेले आए कागा को यहां 1972 में ही जीवनसाथी मिल गया। उनकी शादी भोजारिया की मिश्रीदेवी के साथ हो गई। 1978 में शरणार्थी शिविर समाप्त हुए और कागा की शिक्षक की नौकरी नहीं रही। वे चिकित्सा विभाग में कंपाउंडर बन गए।1982 में विभाग ने उन्हें क्लर्क बना दिया।
राजनीति सफर
कागा शरणार्थी परिवारों के निकट रहने के साथ पढ़े लिखे होने से उनके नेता तो बने ही पाकिस्तानी अंदाज की उनकी बोली और व्यवहार हिन्दुस्तान के लोगों को भी जोड़ता रहा। लिहाजा चौहटन क्षेत्र के गांवों में पकड़ बढ़ी। उनकी पत्नी मिश्रीदेवी को 1995 में चौहटन का प्रधान पद मिल गया।
खुद उतर गए मैदान में
2003 में सरकारी नौकरी छोड़ कागा खुद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव में उतरे मगर जीत नहीं पाए।2008 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमाई और पिछड़ गए। संघर्ष खत्म करने की बजाय लोगों से जुड़े रहे। 2013 के चुनावों में चौहटन के 88 हजार 647 लोगों ने साथ दिया और 23 हजार 526 वोटों से जीत दर्ज करवा दी।
पाकिस्तान मेरी मातृभूमि है और हिन्दुस्तान कर्मभूमि। पाकिस्तान से आया था तो यही सोचा था कि शरण मिल जाए लेकिन हिन्दुस्तान ने मुझे छाती से लगा लिया।इतना अपनापन कोई और धरती नहीं दे सकती।मुझे फक्र है और शुक्रगुजार हूं कि मेरे भगवान ने मुझे पाकिस्तान में जन्म देने के बाद भारत की सरजमीं भेज दिया।- तरूणराय कागा, विधायक चौहटन
पहले विधायक
1947 में बंटवारे के वक्त आए कई लोग विधानसभा व लोकसभा में पहुंचे हैंलेकिन 1965 व 1971 के शरणार्थियों मे से विधायक बनने वाले कागा पहले व्यक्ति हैं। उनके विधायक बनने की पाक विस्थापितों में खुशी भी है और नागरिकता सहित अन्य समस्याओं के समाधान की उम्मीद करते हंै।
- हिन्दूसिंह सोढ़ा, नेता पाक विस्थापित संघ
चौहटन से भाजपा प्रत्याशी तरूणराय कागा विधायक चुने गए हैं। कागा का जीवन संघर्ष की मिसाल है। 1971 तक पाकिस्तान के भाडासिंधा तहसील छाछरों निवासी कागा के लिए वहां रहना मुश्किल हो गया।युद्ध के बाद जन्मभूमि (पाकिस्तान) को छोड़ना पड़ा। परिवार सहित भारत आ गए। स्नातक तक पाकिस्तान में पढ़ाई की हुईथी। यहां आते ही पढ़े लिखे होने के कारण उन्हें शरणार्थी शिविर में 21 मई 1972 को शिक्षक बना दिया ताकि वे शरणार्थियों को पढ़ा सके। अकेले आए कागा को यहां 1972 में ही जीवनसाथी मिल गया। उनकी शादी भोजारिया की मिश्रीदेवी के साथ हो गई। 1978 में शरणार्थी शिविर समाप्त हुए और कागा की शिक्षक की नौकरी नहीं रही। वे चिकित्सा विभाग में कंपाउंडर बन गए।1982 में विभाग ने उन्हें क्लर्क बना दिया।
राजनीति सफर
कागा शरणार्थी परिवारों के निकट रहने के साथ पढ़े लिखे होने से उनके नेता तो बने ही पाकिस्तानी अंदाज की उनकी बोली और व्यवहार हिन्दुस्तान के लोगों को भी जोड़ता रहा। लिहाजा चौहटन क्षेत्र के गांवों में पकड़ बढ़ी। उनकी पत्नी मिश्रीदेवी को 1995 में चौहटन का प्रधान पद मिल गया।
खुद उतर गए मैदान में
2003 में सरकारी नौकरी छोड़ कागा खुद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव में उतरे मगर जीत नहीं पाए।2008 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमाई और पिछड़ गए। संघर्ष खत्म करने की बजाय लोगों से जुड़े रहे। 2013 के चुनावों में चौहटन के 88 हजार 647 लोगों ने साथ दिया और 23 हजार 526 वोटों से जीत दर्ज करवा दी।
पाकिस्तान मेरी मातृभूमि है और हिन्दुस्तान कर्मभूमि। पाकिस्तान से आया था तो यही सोचा था कि शरण मिल जाए लेकिन हिन्दुस्तान ने मुझे छाती से लगा लिया।इतना अपनापन कोई और धरती नहीं दे सकती।मुझे फक्र है और शुक्रगुजार हूं कि मेरे भगवान ने मुझे पाकिस्तान में जन्म देने के बाद भारत की सरजमीं भेज दिया।- तरूणराय कागा, विधायक चौहटन
पहले विधायक
1947 में बंटवारे के वक्त आए कई लोग विधानसभा व लोकसभा में पहुंचे हैंलेकिन 1965 व 1971 के शरणार्थियों मे से विधायक बनने वाले कागा पहले व्यक्ति हैं। उनके विधायक बनने की पाक विस्थापितों में खुशी भी है और नागरिकता सहित अन्य समस्याओं के समाधान की उम्मीद करते हंै।
- हिन्दूसिंह सोढ़ा, नेता पाक विस्थापित संघ
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