रविवार, 22 दिसंबर 2013

कृष्णमय हुआ थार

कृष्णमय हुआ थार

बाड़मेंर  गोलेच्छा ग्राउण्ड में चल रही श्री भागवत कथा में वर्णन सुनाते हुए राजेन्द्र महाराज ने कहा की भगवान तो संसार को वेकुन्ठ में बैठे-बैठे चला सकते थे पर इस पृथ्वी पर आने के दो ही कारण थे एक मा का ममत्व पाना और दुसरा गौ सेवा करना गौ महिमा सुनाते उन्होने कहा की जिस प्राणी का मलमुत्र इतना पवित्र है वो प्राणी कितना पवित्र होगा जो परमात्मा भी वैकुन्ठ छोड़कर केवल गौ-सेवा करने के लिए इस पृथ्वी पर आते है हम तो बड़े भाग्यषाली है पहली बात भारत भूमि पे हमे जन्म मिला दूसरी कृपा गोपाल कृष्ण कथा सुनने को प्राप्त हो रही है गोवर्धन लीला को कथा सुनाते हुए उन्होने कहा इन्द्र का बहुत बड़ा अपराध लेकिन भगवान ने एक क्षण में इन्द्र को माफ कर दिया क्योंकि इन्द्र के अपराध से भगवान के जितने भी मित्र थे वो भगवान के नजदीक आ गये भगवान कहते है जो जीव मेरे भक्तों को मेरे नजीदक लाते है उसके ऊपर में बड़ा ही प्रसन्न होता हू। रास प्रसंग सुनाते हुए उन्होने कहा की भगवान जो कहते है वो करो न की जो भगवान करे क्यों की जो महिमा गंगा की है वो एक नहर की नही हो सकती। रविवार को कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया जन्मोत्सव में कान्हा की मटकिया फोड़ी गर्इ और कृष्ण भगवान की अनेक झाकिया सजार्इ गर्इ। सैकड़ो की तादाद में श्रद्धालुओं ने षिरकत की।

दुर्गाषंकर शर्मा ने बताया कि आज के मुख्य यजमान स्वर्णकार एवं जागिड़ महिला मण्डल थे। बाबुलाल माली ने बताया कि सोमवार को अमृतलाल खत्री भागवत कथा में प्रसाद का वितरण करेगें।






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