मालानी री धरा में जन्मया सिद्धपुरुष खेमा बाबा
बाड़मेर जिलै रै बायतू गाम मांय जनम्या खेमा बाबा जाटा हा। अै सदीव साधु-संन्यासी रै बेस मांय रैया करता हा, जिणरी वजै सूं लग इणां नै 'खेमा बाबा' रै नाम सूं बतलावता। अै आपरै जीवण मांय जैरीलै जीव-जंतुवां रै काटियौड़ै लोगां रा झाड़ा-झपटा करिया करता। इण भांत अै अणगिणत लोगां नै अभयदान दिया। आपरै जीवण रै छहलै बगत ताईं अै बायतूं मायं इज रैया। सुरगवास सूं पांच-सात घड़ी पैला अै आपरै सगै-संबंधियां, मित्रां अर गामवासियां सूं आग्रह करियौ हौ के अबै म्हारौ अंतिम बगत आयग्यौ है, थे लोग म्हनै अमुक जगै लिजाय'र बिना बालियां गाड दीजौ अर उण जगै अेक चबूतरौ बणवाय दीजौ। जे किणी नै कोई तकलीफ हुय जावै तौ चबूतरै माथै नालेर इत्याद चढा देवैला तौ उणनै किणी ई तरै री तकलीफ नीं हुवैला। खास तौर सूं जैरीलै जीव-जंतुवां रै काटियां तौ तत्काल इज आराम हुय जावैला।
सिद्धपुरुष जाट खेमाराम जाखड़ आपरौ नश्वर शरीर त्याग दियौ। उणां रै कैयां मुजब उणां नै अमुक स्थान माथै गाडण सारू लेयग्या, पण वा जमीन बायतू रै अेक ठाकर री ही, जिकां अपणी जमीन मांय गाडण नीं दिया। कीं बगत बाद अचाणचक ठाकर नै निपटण री शंका हुई। ठाकर निपटण सारू गाम रै बारै गया। सिद्धपुरुष खेमा बाबा रै नश्वर शरीर नै आपरी जमीन मांय नीं गाडण देवण री बजै सूं जैरीला जीवजन्तु ठाकर नै घेर लियौ। ठाकर जद अणूंती देर तांी बावड़िया नीं तौ परिवार रा सगला ई लोग उणां रै नीं बावड़ियां चिंतातुर हुवण लागग्या। उठीनै खेमा बाबा रै नश्वर शरीर नै उणी जगै गाडण री मंजूरी सारू हजारूं लोग उडीक रैया हा। जद ठाकर नै सोधण सारू नौकर भेजीजियौ तौ पतौ लागियौ के वै तौ जैरीलै जीव-जंतुवां रै जाल सूं मुगत हुया। ठाकर खेमा बाबा रै चमत्कार सूं प्रभावित हुय'र आपरी जमीन मांय उणां रै शरीरर नै गाडण री मंजूरी देय दी अर खुद आपरै खरजै सूं उण माथै चबूतरौ बणवाय'र पैलौ नालेर चढायौ।
आज वौ इज चबूतरौ अेक सुंदर मिंदर रै रूप मांय नागदेवता री बणियोड़ी प्रतिमावां अेक नीं, अनेकूं विराजमान है। मिंदर रै च्यारूंमेर पक्की दीवारां रौ परकोटौ अर उणरै बीच मांय जातरूवां रै ठैरण अर मिंदर रै कर्मचारियां अर पुजारियां रै रैवास सारू पक्का मकान बणियोड़ा है। मिंदर रे लारली कानी 150 फुट सूं ई ऊंचौ रेतीलौ धोरौ आयौ थकौ है। मेला स्थल माथै तीन टांकां रौ निरमाण ई हुयोड़ौ है।
मेलै मांय हिस्सौ लेवण सारू दूर-दूर सूं हजारूं जातरूं अेकठ हुवै। जैरीलै जीव-जंतुवां सांप-बिच्छु इत्यार रै काटियां उणी बगत इणां रै स्थल री जातरा करण, पूजा चढावण री जाचना करण अर मोरपांख नै काडियौडै़ स्थल माथै बांधियां सूं तत्काल आराम मिल जावै। अैड़ौ करियां अेक नीं, अनेकूं श्रद्धालू भगतां नै आराम अर राहत मिली है। नतीजन मैलै रै मौकै माथै हजारूं री तादाद में स्त्री, पुरुष, बच्चा, बूढ़ा सगला ी आवै, जिका आपरै साथै छोटौ-सोक सफेद कपड़ौ त्रिकोण आकार रौ लावै अर आपरी जाचना, चढावै चढायां रे बाद उणनै नजीक खड़ै पेड़ रै बांध देवै।
मेलै रै अेक दिन विसाल पैमानै माथै ठाकर री बणियोड़ी कोटी माथै भजन-कीरतन रौ आयोजन हुवै। उण मांय चमार जाति रै लोगां रै अलावा हर जाति रा लोग हिस्सौ लेवै। औ कार्यक्रम रात भर चालू रैवै। सूबै-सवाणी हजारूं लोग खेमा बाबा रै मिंदर दरसणां सारू जावै अर प्रसाद चढावै। प्रसाद सूं नीं जाणै कित्ती ई बोरियंा भर जावै। औ प्रसाद बाद में भजन करण वालां अर पिछड़ी जातियां रै लोगां मांय बांट दियौ जावै। सिंझ्या तांी मैलौ बिखरणौ सरू हुय जावै।
खेमा बाबा रै इम मेलै नै औरूं बेसी विसाल रूप देवण सारू पंचायत समिति, बायतु इणी स्थल माथै पशु मैलै रौ आयोजन करै जिकौ कोई सात दिन तांई रैवै। माघ सुदी 7 लेय'र माघ सुदी 13 तांई लगातार औ मेलौ चालै। इण मेलै मांय हजारूं री संख्या में उन्नत नस्ल रा थारपारकर अर कांकरेज नस्ल रै बलदां नै मारवाड़ी नस्ल रै ऊंटा रै अलावा दूजा केई पशु ई खरीदण-बेचण सारू लाया जावै। पशुवां री खरी सारू राजस्थान रै अलावा दूजै प्रदेशां रा केई वौपारी ई आवै। इण मेलै मांय पशुवां री अच्छी कीमत आंकीजै।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें