अपना सब कुछ बेटों को दिया अब दर दर की ठोकरे खा रहे थे
एक बेटी विनीता सिंह ने बेटों से दुखी माता पिता की
एक बेटी विनीता सिंह ने बेटों से दुखी माता पिता की
झोलियाँ खुशियों से भरी
उपखंड अधिकारी ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकाें के भरण-पोषण के आवेदन पर सुनवार्इ करते हुए पोषण भत्ता खाते में जमा कराने के निर्देश दिए।
उपखंड अधिकारी ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकाें के भरण-पोषण के आवेदन पर सुनवार्इ करते हुए पोषण भत्ता खाते में जमा कराने के निर्देश दिए।
बाड़मेर। बाड़मेर उपखंड अधिकारी एवं उपखंड मजिस्ट्रेट ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकाें के भरण-पोषण के आवेदन पर सुनवार्इ करते हुए पुत्र को पाबंद करने के साथ दस हजार रूपए प्रति माह पोषण भता देने के आदेश दिए है। इस मामले में कोतवाली थानाधिकारी को भी निर्देश दिए गए है कि वे प्रार्थीगण के भरण पोषण निर्देशों की पालना के लिए समय-समय पर पूर्ण निगरानी रखेें।
बाड़मेर उपखंड मजिस्ट्रेट के न्यायालय में प्रार्थी ताराचन्द पुत्र जगरूपाराम एवं श्रीमती रेखा देवी पत्नी ताराचन्द खत्री निवासी गायत्रीचौक बाड़मेर ने भूरचन्द पुत्र ताराचन्द खत्री निवासी गायत्री चौक बाड़मेर के विरूद्ध माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 की धारा 5(1) के अधीन भरण पोषण के लिए आवेदन पत्र पेश किया। इस पर आवेदन दर्ज करके दोनों पक्षों को आगामी सुनवार्इ के लिए जरिये नोटिस तलब किया गया। सुनवार्इ के दौरान प्रार्थी पक्ष में ताराचन्द एवं श्रीमती रेखा देवी एवं गैरसायल भूरचन्द उपसिथत हुए। दोनों पक्षों द्वारा अपने-अपने समर्थन में लिखित कथन एवं दस्तावेज पेश किए। प्रार्थी पक्ष ने कहा कि प्रार्थी एवं उसकी पत्नी वर्तमान में वृद्ध हालात में है, जो बीमार एवं चलने फिरने से लाचार है। उनकी आर्थिक सिथति अत्यन्त ही दयनीय है। प्रार्थी के एक पुत्र एवं चार पुत्रियां है। पुत्र एवं सभी पुत्रियों की शादी प्रार्थी द्वारा कर दी गर्इ है। प्रार्थी ने अपने पुत्र का पालन-पोषण कर बड़ा किया, पढाया एवं बी.एड. करार्इ तथा बाद में नौकरी लगार्इ। जो वर्तमान में अध्यापक के पद पर सिवाना में लगा हुआ है। परिवादी का पुत्र शादी होने एवं नौकरी लगने के बाद हमारे से बिल्कुल ही अलग हो गया तथा माता-पिता की देखभाल करना भी छोड़ दिया। प्रार्थी ने अपनी स्वयं की स्वअर्जित राशि से भूखंड खरीद कर उस पर मकान का निर्माण कराया। मकान का भूखण्ड खरीदते समय रजिस्ट्री में उसके साथ घरेलू लिहाज से पुत्र का नाम भी साथ लिखवाया था, परन्तु उसका पुत्र इस मकान पर जबरन कब्जा कर अपना हक जता रहा है, जबकि पुत्र उनकी सार संभाल भी नहीं कर रहा है। उसने एक दूसरा भूखण्ड भी स्वयं की कमार्इ से हिंगलाज नगर में खरीदा था, परन्तु उनके पुत्र ने उक्त भूखण्ड में धोखा देकर अपने अकेले के नाम से पटटा करवा दिया। उक्त भूखण्ड पर भी उनका पुत्र अपना हक जता रहा है। प्रार्थी पक्ष ने कहा कि वे दोनों ही बीमार है। हरनिया, बीपी, पेशाब की तकलीफ है, पत्नी को बीपी है एवं हाथ टूटे हुए है। उनका लम्बे समय से बीमारी का उपचार चल रहा है। उनकी पुत्रियां घर पर सार संभाल हेतु आती ह,ै परन्तु उनका पुत्र अपनी बहिनों को हमारे पास आने से मना करता है एवं गाली गलौच व झगड़ा करता है। प्रार्थी पक्ष ने कहा कि उनके पुत्र ने अपनी माता से झगड़ा कर मारपीट कर लोहे के सरिये लगाये एवं कमरे में बंद कर दिया। उनके साथ भी मारपीट व धक्का-मुक्की पर उतारू हुआ। उनकी पुत्र वधु भी उनको परेशान कर रही है। यह सरकारी नौकर होने के उपरांत भी उनके साथ ऐसी हरकत कर रहा है।
बाड़मेर उपखंड मजिस्ट्रेट के न्यायालय में प्रार्थी ताराचन्द पुत्र जगरूपाराम एवं श्रीमती रेखा देवी पत्नी ताराचन्द खत्री निवासी गायत्रीचौक बाड़मेर ने भूरचन्द पुत्र ताराचन्द खत्री निवासी गायत्री चौक बाड़मेर के विरूद्ध माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 की धारा 5(1) के अधीन भरण पोषण के लिए आवेदन पत्र पेश किया। इस पर आवेदन दर्ज करके दोनों पक्षों को आगामी सुनवार्इ के लिए जरिये नोटिस तलब किया गया। सुनवार्इ के दौरान प्रार्थी पक्ष में ताराचन्द एवं श्रीमती रेखा देवी एवं गैरसायल भूरचन्द उपसिथत हुए। दोनों पक्षों द्वारा अपने-अपने समर्थन में लिखित कथन एवं दस्तावेज पेश किए। प्रार्थी पक्ष ने कहा कि प्रार्थी एवं उसकी पत्नी वर्तमान में वृद्ध हालात में है, जो बीमार एवं चलने फिरने से लाचार है। उनकी आर्थिक सिथति अत्यन्त ही दयनीय है। प्रार्थी के एक पुत्र एवं चार पुत्रियां है। पुत्र एवं सभी पुत्रियों की शादी प्रार्थी द्वारा कर दी गर्इ है। प्रार्थी ने अपने पुत्र का पालन-पोषण कर बड़ा किया, पढाया एवं बी.एड. करार्इ तथा बाद में नौकरी लगार्इ। जो वर्तमान में अध्यापक के पद पर सिवाना में लगा हुआ है। परिवादी का पुत्र शादी होने एवं नौकरी लगने के बाद हमारे से बिल्कुल ही अलग हो गया तथा माता-पिता की देखभाल करना भी छोड़ दिया। प्रार्थी ने अपनी स्वयं की स्वअर्जित राशि से भूखंड खरीद कर उस पर मकान का निर्माण कराया। मकान का भूखण्ड खरीदते समय रजिस्ट्री में उसके साथ घरेलू लिहाज से पुत्र का नाम भी साथ लिखवाया था, परन्तु उसका पुत्र इस मकान पर जबरन कब्जा कर अपना हक जता रहा है, जबकि पुत्र उनकी सार संभाल भी नहीं कर रहा है। उसने एक दूसरा भूखण्ड भी स्वयं की कमार्इ से हिंगलाज नगर में खरीदा था, परन्तु उनके पुत्र ने उक्त भूखण्ड में धोखा देकर अपने अकेले के नाम से पटटा करवा दिया। उक्त भूखण्ड पर भी उनका पुत्र अपना हक जता रहा है। प्रार्थी पक्ष ने कहा कि वे दोनों ही बीमार है। हरनिया, बीपी, पेशाब की तकलीफ है, पत्नी को बीपी है एवं हाथ टूटे हुए है। उनका लम्बे समय से बीमारी का उपचार चल रहा है। उनकी पुत्रियां घर पर सार संभाल हेतु आती ह,ै परन्तु उनका पुत्र अपनी बहिनों को हमारे पास आने से मना करता है एवं गाली गलौच व झगड़ा करता है। प्रार्थी पक्ष ने कहा कि उनके पुत्र ने अपनी माता से झगड़ा कर मारपीट कर लोहे के सरिये लगाये एवं कमरे में बंद कर दिया। उनके साथ भी मारपीट व धक्का-मुक्की पर उतारू हुआ। उनकी पुत्र वधु भी उनको परेशान कर रही है। यह सरकारी नौकर होने के उपरांत भी उनके साथ ऐसी हरकत कर रहा है।
प्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र भरण पोषण अधिनियम 2007 के अन्तर्गत स्वीकार करके भरण पोषण के लिए प्रार्थीगण माता एवं पिता दोनों को शामिल मानते हुए प्रतिमाह दस हजार रूपए अधिकतम भरण पोषण- भत्ता निर्धारित करने के निर्देश दिए गए। निर्देशाें के अनुसार उनके पुत्र द्वारा उक्त निर्धारित राशि अपने माता-पिता के बैक खाते में प्रति माह जमा की जावेगी। साथ ही पाबंद किया गया कि माता-पिता जिस मकान पर वर्तमान में निवास कर रहे है। उक्त मकान पर गैरसायल अपने माता-पिता की इच्छा के विरूद्ध जबरन कब्जा करने का प्रयास नहीं करेगा। वह समय-समय पर अपने वृद्ध माता-पिता की सार संभाल करेगा।
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